विधानसभा ने ‘झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार रोज़गार विधेयक, 2021’ को पारित कर दिया, जिसके तहत निजी क्षेत्र में 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश व हरियाणा के बाद झारखंड ऐसा तीसरा राज्य बन गया, जहां निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोज़गार प्रदान करने वाला क़ानून है.
रांची: झारखंड विधानसभा में बुधवार को हंगामे के बीच एक विधेयक पारित किया गया, जिसके तहत निजी क्षेत्र में 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.
झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक, 2021 के अधिनियमित हो जाने पर आंध्र प्रदेश व हरियाणा के बाद ऐसा तीसरा राज्य बन जाएगा, जहां निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला कानून है.
इससे पहले झारखंड विधानसभा की प्रवर समिति ने कुछ संशोधनों के साथ इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इसे मार्च में बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो द्वारा गठित छह सदस्यीय समिति के समक्ष इसे पुनरीक्षण के लिए भेजा गया था.
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की अध्यक्षता वाली समिति ने संशोधन विधेयक में निजी क्षेत्र जोड़ा और यह ‘झारखंड राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक, 2021’ की जगह अब ‘झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक, 2021’ हो गया.
संशोधित विधेयक में वेतन सीमा को पूर्व के 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दिया गया.
विधेयक में कहा गया, ‘प्रत्येक नियोक्ता इस अधिनियम के लागू होने के तीन महीने के अंदर निर्दिष्ट पोर्टल पर सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सीमा के रूप में 40 हजार रुपये प्रतिमाह से कम वेतन लेने वाले कर्मचारियों का पंजीकरण कराएगा. बशर्ते कि एक बार नामित पोर्टल विकसित और अधिसूचित हो जाने के बाद किसी भी व्यक्ति को किसी भी नियोक्ता द्वारा नियोजित या नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक कि ऐसे सभी कर्मचारियों की पंजीकरण प्रक्रिया नामित पोर्टल पर पूरी नहीं हो जाती है.’
विधेयक में कहा गया है, ‘अधिनियम की अधिसूचना की तारीख और उसके बाद प्रत्येक नियोक्ता 40 हजार रुपये के सकल मासिक वेतन या उससे कम वेतन वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय उम्मीदवारों से भरेंगे.’
समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी संगठनों के सेवा प्रदाताओं को कानून के दायरे में शामिल करने के लिए प्रावधानों में संशोधन किया गया.