सीआईसी ने 11 साल पुराने हाईकोर्ट आदेश के आधार पर आईएएस अधिकारी को जानकारी देने से मना किया

आईएएस अधिकारी ज्योति कलश ने साल 2018 में आरटीआई आवेदन दायर कर उच्च पेंशन लाभ के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों के पैनल के लिए ‘कट-ऑफ स्कोर’ की जानकारी मांगी थी. उन्होंने मनोनयन के लिए तैयार किए गए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी थी.

(फोटो साभार: cic.gov.in)

आईएएस अधिकारी ज्योति कलश ने साल 2018 में आरटीआई आवेदन दायर कर उच्च पेंशन लाभ के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों के पैनल के लिए ‘कट-ऑफ स्कोर’ की जानकारी मांगी थी. उन्होंने मनोनयन के लिए तैयार किए गए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी थी.

(फोटो साभार: cic.gov.in)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने एक आईएएस अधिकारी की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ पदों पर मनोनयन या चुने गए लोगों की सूची में शामिल करने की केंद्र सरकार की प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी थी.

आयोग ने हाईकोर्ट के एक 11 साल पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि उस समय न्यायालय ने कैबिनेट की नियुक्ति समिति की सिफारिशों और दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दिया था, इसलिए ये जानकारी मुहैया नहीं कराई जा सकती है.

आईएएस अधिकारी ज्योति कलश ने 29 अगस्त 2018 को एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन दायर किया था, जिसमें उन्होंने उच्च पेंशन लाभ के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में 1990 बैच के आईएएस अधिकारियों के पैनल के लिए ‘कट-ऑफ स्कोर’ की जानकारी मांगी थी.

कलश नगालैंड कैडर के अधिकारी हैं. उन्होंने मनोनयन के लिए तैयार किए गए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी थी.

इस संबंध में उन्होंने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) में आरटीआई आवेदन दायर किया था, जिसे अगले दिन कैबिनेट सचिवालय भेज दिया गया. सचिवालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने अपने जवाब में कहा कि उनके पास ऐसी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपील दायर की, लेकिन ये भी खारिज हो गई.

इसके बाद अधिकारी ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का रुख किया.

मामले की सुनवाई के दौरान अधिकारी ज्योति कलश ने दलील दी कि ये जानकारी उनके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अतिरिक्त सचिव के स्तर का रैंक दिए जाने पर उन्हें रिटायरमेंट के बाद उच्च पेंशन सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी.

हालांकि इस पर कैबिनेट सचिवालय के अधिकारी ने कहा कि डीओपीटी के साथ विचार करने के बाद ये तय किया गया है कि ऐसी जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये मामला अभी दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के सामने विचाराधीन है, जिसने न्यायालय की एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दिया था.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने कहा कि चूंकि कैबिनेट की नियुक्ति समिति से जुड़े दस्तावेजों के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 30 नवंबर 2009 को दिए गए आदेश पर खंडपीठ ने 12 जुलाई 2010 को रोक लगा दिया था और ये स्थिति अभी भी बनी हुई है, इसलिए ऐसी सूचनाओं के खुलासे का आदेश नहीं दिया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित मामले के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा करना विवेकपूर्ण होगा.’

मालूम हो कि जब से हाईकोर्ट ने सीआईसी और अपने ही एकल पीठ के आदेश, जिन्होंने इन सूचनाओं का खुलासा करने को कहा था, पर रोक लगाई है, तब से कई आईएएस अधिकारियों को नियुक्ति और पदोन्नति से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करने में काफी मुश्किल हो रही है.

इससे पहले सीआईसी ने नूतन ठाकुर बनाम सीपीआईओ, डीओपीटी मामले में भी इन्हीं दलीलों के साथ दस्तावेजों का खुलासा करने से रोक दिया था.

आरटीआई कार्यकर्ता ने कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा विभिन्न पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में डीओपीटी और विभिन्न कार्यालयों के बीच आदान-प्रदान किए गए सभी दस्तावेजों और पत्रों की प्रति मुहैया कराने की मांग की थी.

हालांकि तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने मार्च 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था.

कैबिनेट की नियुक्ति समिति के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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