सूत्रों के मुताबिक बांध परियोजना से विस्थापित होने वाले हज़ारों लोग इस नदी के किनारों की अपनी मूल बसाहटों में अब भी डटे हैं.
इंदौर: मध्यप्रदेश के दो जिलों में सरदार सरोवर बांध के बैक वॉटर का स्तर 128 मीटर के पार पहुंचने से निचले इलाकों में जल भराव हो गया और 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. ये इलाके गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आते हैं.
संभागायुक्त संजय दुबे ने को बताया कि धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर बढ़ने के मद्देनजर हम नर्मदा तट के पास स्थित निचले इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में उनकी मदद कर रहे हैं. अब तक इन इलाकों के 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा चुका है.
दुबे ने स्पष्ट किया कि धार और बड़वानी जिलों में बांध के बैक वॉटर का स्तर पिछ्ले कई दिनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वहां एकाएक बाढ़ आने जैसी कोई स्थिति नहीं है. उन्होंने बताया कि जल भराव के कारण जिन निचले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, उनमें चिखल्दा गांव और निसरपुर कस्बा शामिल है.
बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक बांध परियोजना से विस्थापित होने वाले हजारों लोग इस नदी के किनारों की अपनी मूल बसाहटों में अब भी डटे हैं. सरकारी अमला इन लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से डूब क्षेत्र खाली करने की गुजारिश कर रहा है.
आने वाले दिनों में बांध के बैक वॉटर का स्तर और बढ़ने पर मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी, अलीराजपुर और खरगोन जिलों के उन इलाकों के आंशिक रूप से जलमग्न होने का खतरा है, जो नर्मदा नदी के एकदम पास बसे हैं.
प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि बड़वानी जिले के राजघाट गांव में बांध के बैक वॉटर का स्तर खतरे का निशान पार करते हुए 128 मीटर के पार पहुंच चुका है. इस गांव में खतरे का निशान 123.28 मीटर पर है. उन्होंने बताया कि जलस्तर बढ़ने से बड़वानी और धार जिलों के जोड़ने वाला राजघाट का पुराना पुल पहले ही डूब चुका है.
अधिकारी ने बताया कि गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध में भरे पानी का स्तर भी 128 मीटर को पार कर गया है, जबकि इस बांध को लगभग 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरा जा सकता है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने से आने वाली डूब के कारण मध्यप्रदेश के 141 गांवों के 18,386 परिवार प्रभावित होंगे. सूबे में बांध विस्थापितों के लिये करीब 3,000 अस्थायी आवासों और 88 स्थायी पुनर्वास स्थलों का निर्माण किया गया है.
नर्मदा बचाओ आंदोलन का दावा है कि बांध को करीब 138 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक भरे जाने की स्थिति में सूबे के 192 गांवों और एक कस्बे के करीब 40,000 परिवारों को विस्थापन की त्रासदी झोलनी पड़ेगी. संगठन का यह भी आरोप है कि सभी बांध विस्थापितों को न तो सही मुआवजा मिला है, न ही उनके उचित पुनर्वास के इंतजाम किये गये हैं.
विस्थापन की स्थिति बनने से आक्रोशित लोगों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के नेतृत्व में छोटा बारदा गांव में जल सत्याग्रह आंदोलन किया.
कुक्षी के उपमंडल अधिकारी ऋषभ गुप्ता ने बताया कि क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है इसलिए जल स्तर बढ़ गया है. डूब प्रभावित लोग स्वेच्छा से अपने घरों को छोडकर जा रहे है. जानमाल की रक्षा सुरक्षा के लिए 12 नौका और एनडीआरएएफ की टीम सक्रिय है. हमने 4 बोट और मांगी है जो दो कुक्षी और दो मनावर में आवश्यकता अनुसार तैनात रहेंगी.
इस बीच एनबीए और अन्य संगठनों ने शनिवार को अंजड़ से छोटा बारदा गांव तक विरोध यात्रा निकाली. इसमें माकपा नेता सुभाषिनी अली और नेशनल अलॉयंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट की संयोजक अरूंधति भी शामिल हुई.
अरूंधति ने आरोप लगाया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर को सरदार सरोवर बांध परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं. इसलिये बांध के सभी गेट बंद कर दिये गये हैं, ताकि मोदी को जलाशय पूरा पानी से भरा नजर आये.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांध प्रभावितों का उचित पुर्नवास किये बिना ही उन्हें अपने घरों से हटाया जा रहा है. इनमें से अधिकांश ने जलस्तर बढ़ने के बावजूद भी अपने घर नहीं छोड़े हैं. जलस्तर बढ़ने से निसरपुर कस्बे के कुछ इलाकों सहित चिखल्दा, धर्मरी और ककराना गांव पानी में डूब गये हैं.
घुटने तक पानी आने के बाद भी सुबह निसरपुर का रहने वाला मोहनलाल प्रजापति अपने अपना घर छोड़ने से इंकार कर दिया. पानी में खाट के पर बैठे मोहनलाल ने कहा, मुझे अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. मैं तभी यहां से हटूंगा जब मुझे मुआवजा मिलेगा.
दूसरी ओर गुप्ता ने कहा, मोहन के खाते में 3 लाख रुपये डाल दिए है और 2.80 लाख रुपये मकान तोड़ने पर मिल जाएगे. इस प्रकार उसे खाते में 5.80 लाख रुपये पहुंच जायेंगे. जब यह बात हम लोगों ने मोहन प्रजापति को यह बात समझाई तो वह डूब क्षेत्र छोड़ने के लिए सहमत हो गया. तत्काल हमने एनडीआरएएफ की टीम को निर्देश देकर उसको वहां से निकाल लिया है.