लक्षद्वीप में सार्वजनिक परिवहन, यात्री जहाजों और हवाई एम्बुलेंस सहित आवश्यक सेवाओं के लिए किराया बढ़ाने के प्रफुल्ल पटेल प्रशासन के फ़ैसले की व्यापक आलोचना हो रही है.
कोझिकोड: केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा हाल के दिनों में लिए गए कुछ विवादित एकतरफा फैसले लिए गए हैं, जिसे लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
लक्षद्वीप पुलिस विरोध को दबाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रही है, जिसमें एफआईआर दर्ज करना और नोटिस जारी करना शामिल है.
इस कड़ी में पुलिस ने लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल के खिलाफ ‘सार्वजनिक उपद्रव’ के आरोप में केस दर्ज किया है क्योंकि वे यातायात किराया में वृद्धि को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और इस केंद्रशासित प्रदेश के एकमात्र सांसद फैजल पर आईपीसी की धाराएं 188, 268, 269 और 270 लगाई गई हैं. इसके साथ ही आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51(ए) भी इसमें जोड़ा गया है.
इसी तरह शिक्षा विभाग के निदेशक ने स्कूल प्रिंसिपलों को नोटिस जारी कर उन छात्र प्रदर्शनकारियों का विवरण मांगा है, जो छात्रवृत्ति की बहाली के लिए प्रदर्शन कर रहे थे.
लक्षद्वीप के नेताओं और अन्य नागरिकों का कहना है कि किराए में बढ़ोतरी से द्वीपवासियों के रहने की स्थिति और खराब हो जाएगी.
एक निवासी ने द वायर को बताया कि इस द्वीपसमूह की अर्थव्यवस्था कोविड-19 संकट के कारण प्रभावित हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि सैकड़ों कर्मचारियों को बर्खास्त करने के प्रशासन के हालिया फैसलों ने स्थिति को और खराब कर दिया है.
बढ़े हुए किराए के अनुसार, एक परिवार को अब हवाई यात्रा के माध्यम से निकटतम केरल में आपातकालीन चिकित्सा उपचार की आवश्यकता वाले मरीज को स्थानांतरित करने के लिए 30,000-50,000 रुपये का भुगतान करना होगा.
इसी तरह पानी वाले जहाज के जरिये सबसे निचले क्लास की यात्रा टिकटों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
लक्षद्वीप के एक स्थानीय व्यक्ति को कोच्चि से कवारत्ती तक यात्रा करने के लिए द्वितीय श्रेणी और प्रथम श्रेणी के टिकट के लिए क्रमशः 1,300 रुपये और 3,510 रुपये का भुगतान करना होगा.
बित्रा और चेतलाट जैसे अधिक दूर के द्वीपों के लिए किराया और भी अधिक है. कोच्चि से बित्रा के लिए द्वितीय और प्रथम श्रेणी के टिकट का किराया क्रमशः 1,500 रुपये और 4,130 रुपये है.
छात्रों को बनाया जा रहा निशाना
इसी तरह केंद्रशासित प्रदेश में विरोध करने वाले छात्रों को भी निशाना बनाया जा रहा है.
बीते 17 नवंबर को शिक्षा विभाग के निदेशक ने लक्षद्वीप में स्कूल के प्रधानाध्यापकों को अजीबोगरीब नोटिस जारी किया.
आईएएस विशाल साह द्वारा जारी नोटिस में उन छात्रों का विवरण मांगा गया है, जो शैक्षिक छात्रवृत्ति की बहाली और रिक्त शिक्षण पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे.
बीते 15 नवंबर को लक्षद्वीप स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एलएसए) के बैनर तले सभी 10 द्वीपों में विरोध प्रदर्शन और कक्षाओं का बहिष्कार किया गया था.
मालूम हो कि लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल हैं, जो गुजरात से भाजपा नेता हैं. पटेल द्वारा पिछले कुछ महीने में लिए गए एकतरफा फैसलों ने विवाद खड़ा कर दिया है.
नवीनतम किराया वृद्धि का आदेश लक्षद्वीप प्रशासन के पोर्ट शिपिंग और विमानन विभाग द्वारा दिया गया है.
सांसद फैजल ने द वायर को बताया कि ‘जब भी अतीत में समुद्र और हवाई किराए में वृद्धि की गई थी, तब एयर एम्बुलेंस के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया था.’
अतीत में किराए में वृद्धि के विपरीत मौजूदा वृद्धि पर द्वीपों के निर्वाचित प्रतिनिधियों, जैसे लोकसभा सदस्य और जिला पंचायत के प्रमुख के साथ चर्चा नहीं की गई थी.
फैजल ने कहा कि स्थानीय लोगों को मरीजों को बाहर भेजना ही पड़ता है, क्योंकि लक्षद्वीप में कोई पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है. इसलिए सरकार को मरीजों से इसकी कोई राशि नहीं वसूलनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को यहां से निकालना सरकार की जिम्मेदारी है. पर्याप्त उपचार प्राप्त करना नागरिक का अधिकार है.’
फैजल ने किराया वृद्धि के विवादित फैसले को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.
फैजल और एक सरकारी कर्मचारी ने द वायर को बताया कि कि इन द्वीपों में पूरा स्वास्थ्य क्षेत्र संकट में है. सरकारी कर्मचारी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में किराया वृद्धि के अलावा कई और नकारात्मक फैसले लिए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘प्रशासन ने हाल ही में विभिन्न द्वीपों के चिकित्सा केंद्रों से कई संविदा पर काम कर रहे पैरामेडिकल कर्मचारियों को अगत्ती द्वीप के एक अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है. लेकिन, कम भुगतान और अन्य कारणों से कई कर्मचारियों ने निर्णय को स्वीकार नहीं किया और सेवा से इस्तीफा दे दिया. इससे वे दोनों चिकित्सा केंद्र कमजोर हो गए, जहां वे काम करते थे और जिस अस्पताल में उन्हें स्थानांतरित किया गया था.’
फैजल ने कहा कि प्रशासन, उनके और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके महामारी को नियंत्रित करने के बहाने उनकी पार्टी के विरोध को निशाना बना रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि अक्टूबर में ‘गांधी जयंती समारोह में 2,000-3,000 लोग शामिल हुए थे, तब पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, उन्होंने यह भी कहा कि हाल के दिनों में राजनीतिक दलों द्वारा भी विरोध प्रदर्शन किए गए और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
सांसद ने कहा, ‘लेकिन उन्होंने हमारे खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आरोप लगाए हैं. पुलिस इन आरोपों को तभी लगाती है जब कोई प्रशासन की गलत नीतियों का विरोध करता है.’
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