विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन’ नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ क़रार दिया है. इस वायरस की सबसे पहले जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में मिली. इससे संक्रमण के मामले बोत्स्वाना, बेल्जियम, हांगकांग और इज़रायल में भी मिले हैं.
ब्रसेल्स/लंदन/जोहानिसबर्ग/नई दिल्ली/मुंबई/कोलंबो: कोविड-19 महामारी फैलने के तकरीबन दो साल बाद दुनिया बीते दिनों सामने आए वायरस के नए स्वरूपों से संभवत: अधिक खतरनाक एक और नए स्वरूप से जूझती नजर आ रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप (Variant) को ‘ओमीक्रॉन’ (Omicron) नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप’ (Variant of Concern) करार दिया है. इससे पहले इस श्रेणी में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था, जिससे यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में लोगों ने बड़े पैमाने पर जान गंवाई थी.
इस वायरस की सबसे पहले जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में मिली. इससे संक्रमण के मामले बोत्स्वाना, बेल्जियम, हांगकांग और इजरायल में भी मिले हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने नए स्वरूप के बारे में कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह तेजी से फैलता है.’ नई यात्रा पाबंदियों की घोषणा करते हुए उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मैंने फैसला किया है कि हम सतर्कता बरतेंगे.’
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ओमीक्रॉन के वास्तविक खतरों को अभी समझा नहीं गया है, लेकिन शुरुआती सबूतों से पता चलता है कि अन्य अत्यधिक संक्रामक स्वरूपों के मुकाबले इससे फिर से संक्रमित होने का जोखिम अधिक है. इसका मतलब है कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और उससे उबर गए हैं, वे फिर से संक्रमित हो सकते हैं. हालांकि, यह जानने में हफ्तों का वक्त लगेगा कि क्या मौजूदा टीके इसके खिलाफ कम प्रभावी हैं.
दक्षिणी अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया स्वरूप सामने आने के बाद अमेरिका, कनाडा, रूस और कई अन्य देशों के साथ यूरोपीय संघ ने उस क्षेत्र से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
ह्वाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका सोमवार से दक्षिण अफ्रीका और क्षेत्र में सात अन्य देशों से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा. बाइडन ने कहा कि इसका मतलब है कि देश लौट रहे अमेरिकी नागरिकों और स्थायी निवासियों के अलावा इन देशों से न कोई आएगा और न ही कोई वहां जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि अमेरिका ने सोमवार तक का इंतजार क्यों किया, इस पर बाइडन ने कहा, ‘केवल इसलिए कि मेरे चिकित्सा दल ने यही सिफारिश की है.’
डब्ल्यूएचओ समेत चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस स्वरूप के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन किए जाने से पहले जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देने के खिलाफ आगाह किया है. लेकिन इस वायरस से दुनियाभर में 50 लाख से अधिक लोगों की मौत के बाद लोग डरे हुए हैं.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने सांसदों से कहा, ‘हमें जल्द से जल्द हरसंभव कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.’ दक्षिणी अफ्रीका के साथ ही बेल्जियम, हांगकांग और इजराइल आने वाले यात्रियों में भी ओमीक्रॉन स्वरूप के मामले देखे गए हैं.
दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने कहा कि अभी ऐसे कोई संकेत नहीं है कि क्या इस स्वरूप से अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं. अन्य स्वरूपों की तरह कुछ संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं. हालांकि, कुछ आनुवंशिक बदलाव चिंताजनक लगते हैं, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इससे जन स्वास्थ्य को कितना खतरा है. पहले कुछ स्वरूपों जैसे कि बीटा स्वरूप ने शुरुआत में वैज्ञानिकों को चिंता में डाला था, लेकिन यह इतना ज्यादा नहीं फैला था.
नए स्वरूप ने दुनियाभर के शेयर बाजारों को तुरंत प्रभावित किया. एशिया, यूरोप और अमेरिका में प्रमुख सूचकांक गिर गये. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने कहा, ‘यह नया स्वरूप कई समस्याएं पैदा करेगा.’
27 देशों वाले यूरोपीय संघ के सदस्य हाल में संक्रमण के मामलों में वृद्धि का सामना कर रहे हैं.
ब्रिटेन, यूरोपीय संघ के देशों और कुछ अन्य देशों ने शुक्रवार को नई यात्रा पाबंदियां लगाईं और इनमें से कुछ देशों ने नए स्वरूप का पता चलने के कुछ घंटों के भीतर पाबंदियां लगा दीं.
यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य देश, कोरोना वायरस के नए प्रकार को फैलने से रोकने के लिए दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पर प्रतिबंध लगाने को शुक्रवार को राजी हुए.
ईयू के अध्यक्ष की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि 27 देशों के प्रतिनिधियों ने कुछ घंटों में भीतर ही ईयू कार्यकारी की सलाह पर अमल किया, जिसमें कहा गया था कि वायरस के नए प्रकार से निपटने में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह कितना खतरनाक है.
वर्तमान में ईयू की अध्यक्षता स्लोवेनिया के पास है. अध्यक्ष ने सभी सदस्य देशों से यह भी कहा कि आने वाले यात्रियों की जांच की जाये और उन्हें क्वारंटीन में रखा जाए.
यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘उड़ानों को तब तक स्थगित किया जाना चाहिए जब तक कि हमें इस नए स्वरूप से उत्पन्न खतरे के बारे में स्पष्ट समझ न हो और इस क्षेत्र से लौटने वाले यात्रियों को सख्त क्वारंटीन नियमों का पालन करना चाहिए.’
उन्होंने आगाह किया, ‘उत्परिवर्तन से संक्रमण कुछ ही महीनों में दुनियाभर में फैल सकता है.’
बेल्जियम के स्वास्थ्य मंत्री फ्रैंक वैंडेनब्रुक ने कहा, ‘यह एक संदिग्ध स्वरूप है. हम नहीं जानते कि क्या यह बहुत खतरनाक स्वरूप है.’
अमेरिकी सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि ओमीक्रॉन का अभी अमेरिका में कोई मामला नहीं आया है. उन्होंने कहा, हालांकि हो सकता है कि यह अन्य स्वरूप के मुकाबले अधिक संक्रामक हो और इस पर टीके का उतना असर न हो लेकिन ‘हमें अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं पता है.’
बाइडन ने कहा कि नया स्वरूप ‘गंभीर चिंता’ का विषय है और यह स्पष्ट होना चाहिए कि जब तक दुनियाभर में टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक महामारी खत्म नहीं होगी.
दुनिया के सबसे अधिक टीकाकरण करने वाले देशों में से एक इजराइल ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसके यहां मलावी से लौटे एक यात्री में कोरोना वायरस के नए स्वरूप का पहला मामला आया है. यात्री और दो अन्य संदिग्ध लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है.
इजराइल ने बताया कि तीनों ने टीके की खुराक ले रखी है, लेकिन अधिकारी उनके टीकाकरण की वास्तविक स्थिति का पता लगा रहे हैं.
रात भर 10 घंटे की उड़ान के बाद दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से एम्सटर्डम की केएलएम फ्लाइट 598 में सवार यात्रियों को शुक्रवार सुबह विशेष जांच के लिए चार घंटों तक शिफॉल हवाई अड्डे के रनवे पर रोक कर रखा गया.
ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका और पांच अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों से शुक्रवार दोपहर उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया और घोषणा की कि जो कोई भी हाल में उन देशों से आया था, उसे कोरोना वायरस जांच कराने के लिए कहा जाएगा.
ब्रिटेन ने शुक्रवार से दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, लेसोथो, इस्वातिनी, जिम्बाब्वे और नामीबिया से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लागू कर दिया है. शुक्रवार दोपहर से इन देशों से उड़ानें अस्थायी रूप से निलंबित हो जाएंगी. हालांकि, सरकार ने दोहराया कि देश में अब तक वायरस के नए स्वरूप के किसी भी मामले का पता नहीं चला है.
हालांकि, घोषित प्रोटोकॉल के अनुसार, इन छह दक्षिणी अफ्रीकी देशों से शुक्रवार को ब्रिटेन पहुंचने वाले यात्रियों को सरकार द्वारा चिह्नित एक होटल में 10 दिन के क्वारंटीन में रहना होगा.
जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, माल्टा और चेक गणराज्य, यूरोप के उन देशों में शामिल है जिन्होंने यात्रा पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और पहले से ही कोविड-19 मामलों के चिंताजनक वृद्धि के बीच लॉकडाउन लगाया है.
दक्षिण अफ्रीका से उड़ानें रद्द होने पर यात्री फंसे
पारिवारिक और व्यावसायिक यात्राओं पर दक्षिण अफ्रीका आए सैंकड़ों विदेशी नागरिक फंस गए हैं क्योंकि देश में कोविड-19 के नए स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ के सामने आने के बाद कई देशों ने यात्रा प्रतिबंध लागू कर दिए हैं.
ब्रिटेन ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि दक्षिण अफ्रीका और पांच पड़ोसी देशों से आने-जाने वाली सभी उड़ानें शुक्रवार दोपहर से प्रतिबंधित रहेंगी. देश ने वायरस के नए स्वरूप के सामने आने के बाद यह घोषणा की.
कई अन्य देशों ने भी इस तरह के कदम उठाए और यह संकेत दिया कि सिर्फ उनके अपने नागरिक ही वापस लौट पाएंगे और वे भी क्वारंटीन में रहेंगे.
नई दिल्ली में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से दक्षिण अफ्रीका से सीधे या दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना से होकर आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कड़ाई से जांच के आदेश दिए हैं.
शुक्रवार को सरकार के आदेश के अनुसार विमानन कंपनियां भारत और दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना के बीच 15 दिसंबर से 50 फीसदी क्षमता के साथ परिचालन कर सकती हैं.
भारत का दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना के बीच ‘एयर बबल’ यात्रा व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, जिसके तहत विशेष यात्री विमानों का परिचालन किया जाता है. वहीं इन तीनों देशों को भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘खतरे’ वाले श्रेणी में रखा है.
ब्रिटेन के पर्यटक नए प्रतिबंध की वजह से विशेष प्रभावित हुए हैं, क्योंकि वहां से बड़ी संख्या में लोग पर्यटन या पारिवारिक संबंधों के लिहाज से दक्षिण अफ्रीका आते हैं. जोआना जॉनसन ने नम आंखों से कहा, ‘मुझे क्रिसमस के मौके पर अपने परिवार के साथ रहने के लिए घर जाना है, लेकिन ऐसा लगता है कि मैं अब अपने दोस्तों के साथ फंस गई हूं.’
वहीं, हवाई अड्डे पर भारतीय मूल के एक व्यक्ति अब्दुल पटेल ने कहा कि वह सोमवार को दुबई के रास्ते मुंबई लौटने वाले थे, लेकिन अब वह उपलब्ध किसी उड़ान में टिकट चाहते हैं.
एक एयरलाइन के कर्मचारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि सप्ताहांत में दबाव और भी बढ़ने वाला है क्योंकि कई और देशों ने उड़ानें रद्द कर दी हैं.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने बैठक बुलाई
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कोरोना वायरस के नए ओमीक्रॉन स्वरूप को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंता के बीच शनिवार को राष्ट्रीय कोरोना वायरस कमांड काउंसिल (एनसीसीसी) की एक आवश्यक बैठक समय से पहले बुलायी है. इस स्वरूप के अधिक संक्रामक होने की आशंका है.
यह बैठक पहले रविवार को होनी थी. यह बैठक दक्षिण अफ्रीका और पड़ोसी देशों नामीबिया, ज़िम्बाब्वे और बोत्सवाना के साथ-साथ लेसोथो और इस्वातिनी (पूर्व में स्वाज़ीलैंड) से आने-जाने पर ब्रिटेन के बाद कई यूरोपीय देशों द्वारा यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने के बीच हो रही है.
प्रतिबंध लगाने वाले नए देशों में मॉरिशस, अमेरिका, इजराइल, श्रीलंका और नीदरलैंड शामिल हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि रामफोसा नए स्वरूप के प्रसार को रोकने के लिए सख्त लॉकडाउन और अन्य उपायों की घोषणा करेंगे.
अतीत में, दक्षिण अफ्रीका की पांच-स्तरीय लॉकडाउन रणनीति में बदलाव की घोषणा करने के पहले हमेशा एनसीसीसी की बैठक होती थी.
मंत्री मोंडली गुंगुबेले ने एक बयान में कहा, ‘इस बैठक के नतीजे यह दिशा देंगे कि क्या राष्ट्रपति की समन्वय परिषद के स्तर पर और परामर्श की आवश्यकता है.’
दक्षिण अफ्रीका में नया स्वरूप सामने आने से दुनियाभर में चिंता
दक्षिण अफ्रीका में इस सप्ताह सामने आए कोरोना वायरस के नए स्वरूप ने दुनियाभर के लिए चिंता पैदा कर दी है. इस स्वरूप के बारे में दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रांत गौतेंग में महामारी के मामलों में हालिया वृद्धि के लिए यही उत्परिवर्तित स्वरूप जिम्मेदार हो सकता है.
यह स्पष्ट नहीं है कि नया स्वरूप वास्तव में कहां से आया है, लेकिन पहली बार दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया और हांगकांग तथा बोत्सवाना के यात्रियों में भी इसका संक्रमण देखा गया है.
स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने कहा कि वायरस के इस स्वरूप का संबंध पिछले कुछ दिनों में मामलों में ‘वृद्धि’ से है. हालांकि, विशेषज्ञ अभी भी यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वास्तव में मामलों में वृद्धि के लिए ‘बी.1.1.1.529’ नाम का यही स्वरूप जिम्मेदार है.
दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने कहा कि अभी तक इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि यह स्वरूप अधिक गंभीर या असामान्य बीमारी का कारण बनता है. उनका कहना है कि अन्य स्वरूपों की तरह ही इस स्वरूप से संक्रमित कुछ लोगों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं.
ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कोविड-19 संबंधी आनुवंशिक अनुक्रमण कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाली शेरोन पीकॉक ने कहा कि यह पता करने में अभी कई सप्ताह लगेंगे कि नए स्वरूप के खिलाफ मौजूदा कोविड रोधी टीके प्रभावी हैं या नहीं.
पीकॉक ने यह भी कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि इस स्वरूप से अधिक घातक बीमारी होती है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में जेनेटिक्स इंस्टिट्यूट के निदेशक फ्रेंकोइस बलौक्स ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और विशेष रूप से इसके गौतेंग प्रांत में कोविड-19 के मामलों में तीव्र वृद्धि चिंताजनक है.
दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ वायरस के इस स्वरूप को लेकर चिंतित हैं और इसका अध्ययन करने में लगे हैं.
नए ‘वैरिएंट’ की वजह से डब्ल्यूएचओ की बैठक अनिश्चितकाल के लिए टली
कोरोना वायरस की वजह से विश्व व्यापार संगठन की 30 नवंबर से जिनेवा में होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक अनिश्चितकाल के लिए टल गई है.
डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी बयान में 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक की नई तारीखों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
स्विट्जरलैंड और कई अन्य यूरोपीय देशों में यात्रा अंकुशों तथा पृथकवास या क्वारंटीन की जरूरतों के मद्देनजर सामान्य परिषद के अध्यक्ष राजदूत दसियो कैस्टिलो (होंडुरास) ने शुक्रवार रात डब्ल्यूएचओ के सभी सदस्यों की बैठक बुलाई और उन्हें स्थिति से अवगत कराया.
कैस्टिलो ने सामान्य परिषद से कहा, ‘इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रमों तथा इनकी वजह से पैदा होने वाली अनिश्चित स्थिति के चलते मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जैसे ही परिस्थितियां अनुमति देंगी हम यह बैठक फिर बुलाएंगे.’
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक नगोजी ओकोंजो इवेला ने कहा कि यात्रा अंकुशों का मतलब है कि कई मंत्री और वरिष्ठ प्रतिनिधि इन सम्मेलन में आमने-सामने की बातचीत में शामिल नहीं हो पाएंगे. डब्ल्यूएचओ के सदस्यों ने एकमत से सामान्य परिषद तथा महानिदेशक का समर्थन किया.
यह दूसरा मौका है जबकि महामारी की वजह से 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक को टाला गया है. इससे पहले यह बैठक जून, 2020 में नूर-सुल्तान, कजाखस्तान में होनी थी. डब्ल्यूएचओ जिनेवा स्थित 164 सदस्यीय बहुपक्षीय संगठन है. भारत 1995 से डब्ल्यूएचओ का सदस्य है.
संक्रमण के बढ़ते मामलों और नए स्वरूप के मद्देनजर सतर्क रहें: डब्ल्यूएचओ
कोरोना वायरस संक्रमण के नए स्वरूप का पता चलने और कई स्थानों पर संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र के देशों से शनिवार को कहा कि वे सतर्कता बढ़ाएं और जन स्वास्थ्य सेवा एवं सामाजिक उपायों को मजबूत करें.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उत्सवों और समारोहों में सभी एहतियाती उपाय किए जाने चाहिए और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए.
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘हमें किसी भी कीमत पर सतर्कता कम नहीं करनी है.’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘हमारे क्षेत्र के अधिकतर देशों में कोविड-19 के मामलों में कमी आई है, लेकिन दुनिया के अन्य देशों में मामलों में बढ़ोतरी हुई है और नए चिंताजनक स्वरूप की पुष्टि लगातार बने हुए जोखिम की याद दिलाती है तथा वायरस से बचाव करने और इसे फैलने से रोकने के लिए हमें हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है.’
सिंह ने कहा कि देशों को सतर्कता बढ़ानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए व्यापक और आवश्यता के अनुरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक उपाय जारी रखने चाहिए. उन्होंने कहा कि सुरक्षात्मक कदम जितने जल्दी लागू किए जाएंगे, देशों को उतने ही कम प्रतिबंधात्मक कदम उठाने पड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद भी सभी को सावधानी बरतनी चाहिए.
नए स्वरूप के मद्देनजर ‘प्रोएक्टिव’ रहने की जरूरत: मोदी
कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ का पता चलने और इसे लेकर दुनिया भर में पैदा हुईं आशंकाओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ‘प्रोएक्टिव’ रहने की आवश्यकता जताई और संभावित खतरों के मद्देनजर अधिकारियों से अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने की योजना की समीक्षा करने को भी कहा.
देश में कोविड-19 की ताजा स्थिति और जारी टीकाकरण अभियान की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने शीर्ष अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की.
लगभग दो घंटे चली इस बैठक के दौरान अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को ‘चिंता का विषय’ बने ‘ओमीक्रॉन’ और उसकी प्रकृति, विभिन्न देशों में इसके प्रभाव और भारत पर इसके असर के बारे में जानकारी दी और साथ ही संभावित प्रभावों पर भी चर्चा की.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी ने नए स्वरूप को देखते हुए ‘प्रोएक्टिव’ रहने की आवश्यकता के बारे में बताया.
पीएमओ के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘नए खतरे को देखते हुए लोगों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है और मास्क लगाने तथा सामाजिक दूरी का पालन करने जैसी उचित सावधानी बरतने की जरूरत है.’
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से सामने आ रहे नए साक्ष्यों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने की योजना की समीक्षा करने को भी कहा.
दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों को मुंबई पहुंचने पर क्वारंटीन में रहना होगा: महापौर
दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के एक नए संक्रामक स्वरूप के सामने आने के मद्देनजर मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर ने शनिवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका से शहर में आने वाले सभी यात्रियों को क्वारंटीन में रहना होगा.
उन्होंने बताया कि इन यात्रियों के नमूने जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे जाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘विदेशों में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ गया है, इसलिए बाहर से आने वाले लोगों को जीनोम जांच से गुजरना होगा.’
उन्होंने कहा कि वायरस के नए स्वरूप से प्रभावित देशों से आनेवाले यात्रियों के लिए भी इस तरह के प्रतिबंध लागू हो सकते हैं.
नए स्वरूप से प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानों को रोका जाए: केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को आग्रह किया कि वह कोरोना वायरस संक्रमण के नए स्वरूप से प्रभावित देशों से भारत आने वाली उड़ानों पर रोक लगाएं.
केजरीवाल ने एक ट्वीट में इस बात पर जोर दिया कि देश ‘बड़ी मुश्किल’ से कोविड-19 वैश्विक महामारी से ‘उबर पाया’ है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं माननीय प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वह नए स्वरूप से प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानों पर रोक लगाएं. हमारा देश बड़ी मुश्किल से कोरोना वायरस से उबरा है. हमें इस नए स्वरूप को भारत में आने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए.’
केंद्र ने बृहस्पतिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना से आने वाले या इन देशों के रास्ते आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कड़ी जांच की जाए. इन देशों में कोविड-19 के नए स्वरूप के सामने आने की सूचना है जिसके जनस्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकते हैं.
इस बीच, दिल्ली सरकार ने अफ्रीकी देशों से कोविड-19 के नए स्वरूप के खतरे के मद्देनजर उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा के लिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की सोमवार को एक बैठक बुलाई है.
केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘अफ्रीकी देशों से कोविड-19 के नए स्वरूप के खतरे के मद्देनजर, हमने विशेषज्ञों से सोमवार को डीडीएमए से चर्चा करने और यह सुझाव देने को कहा है कि हमें कौन से कदम उठाने चाहिए. हम आपकी और आपके परिवार की रक्षा के लिए आवश्यक सभी कदम उठाएंगे.’
श्रीलंका ने छह अफ्रीकी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया
ब्रिटेन की तरह श्रीलंका भी रविवार से छह दक्षिण अफ्रीकी देशों के अधिकतर यात्रियों को अपनी सीमा में प्रवेश देने पर रोक लगाएगा. यहां की सरकार ने यह कदम दक्षिण अफ्रीका में इस हफ्ते के शुरुआत में कोविड-19 वायरस के अपेक्षाकृत अधिक घातक स्वरूप ओमीक्रॉन की पहचान होने के मद्देनजर उठाया है.
स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, ‘रविवार से दक्षिण अफ्रीका, बोत्स्वाना, जिम्बाब्वे, नामीबिया, लेसोथो और इस्वातिनी से आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से क्वारंटीन में रहने की आवश्यकता होगी.’
परिपत्र में कहा गया, ‘कोविड-19 का नए स्वरूप की पहचान दक्षिण अफ्रीका में की गई है और जो लोग दक्षिण अफ्रीका, बोसत्सवाना, लेसोथो, नामीबिया, जिम्बाब्वे और इस्वातिनी (स्वाजीलैंड) से आएंगे या गत 14 दिनों में वहां पर निवास किया है उन्हें श्रीलंका आने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
आदेश में कहा गया कि सप्ताहांत में इन छह अफ्रीकी देशों से आने वाले 12 साल से अधिक उम्र के यात्रियों को भी आरटी-पीसीआर जांच से गुजरना पड़ेगा, भले ही उनका टीकाकरण पूर्ण हो चुका है.