आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तीन साल के न्यूनतम स्तर पर, नीति आयोग को है सुधार की उम्मीद.
नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने आज बुधवार को कहा कि देश संप्रग सरकार के अंतिम दो वर्ष के दौरान शुरू हुई आर्थिक नरमी की स्थिति से बाहर आ गया है और अगली दो तिमाही में आर्थिक वृद्धि सुधरेगी. कुमार ने यह भी स्वीकार किया कि नोटबंदी और माल एवं सेवा कर जीएसटी के कारण समस्या हुई है लेकिन लोगों ने अब नई कर व्यवस्था को अपना लिया है.
आॅल इंडिया मैनेजमेंट एसोसएिशन (एआईएमए) के हीरक जयंती कार्यक्रम में उन्होंने कहा, आर्थिक वृद्धि में नरमी का चक्र संप्रग दो के अंतिम दो साल में शुरू हुआ और मेरे हिसाब से आर्थिक वृद्धि के नीचे जाने का चक्र अब खत्म हो गया है और यह उससे बाहर आ गया है.
कुमार ने कहा, …हम अगली दो तिमाहियों में उच्च वृद्धि हासिल करेंगे और मुझे लगता है कि आर्थिक वृद्धि के लिहाज से वर्ष 2018-19 मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले बेहतर होगा. उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत रही जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि अगर आप विनिर्माण और सेवा पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) देखें, जुलाई में यह न्यूनतम स्तर पर गया और अब यह ऊपर आने लगा है.
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से जिन देशें ने जीएसटी अपनाया, वहां आर्थिक वृद्धि में कुछ गिरावट देखी गई. उन्होंने कहा कि इसका कारण व्यवस्था को नई चीजों को अपनाने में थोड़ी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है.
नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज का बचाव करते हुए कुमार ने कहा कि देश में पिछले तीन साल में 250 अरब डालर मूल्य का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई आया. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय उद्योग को राष्ट्रीय हितों को पूरा करना चाहिए न कि समाज के केवल एक तबके को. कुमार ने जोर देकर कहा कि सरकार तथा उद्योग के बीच भरोसा सृजित करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि उद्योग को विश्व की आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए, घरेलू उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर काम करने के दिन अब बीते दिनों की बात है. इससे पहले, इसी कार्यक्रम में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि स्त्री-पुरुष समानता के बिना देश वृद्धि नहीं कर सकता क्योंकि महिलाओं से जीडीपी का केवल 24 प्रतिशत हिस्सा आता है. कांत ने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों में स्थिरता और उसका भरोसेमंद होना महत्वपूर्ण है.