गठबंधन सरकारों ने पूर्ण बहुमत वाली सरकारों से बेहतर आर्थिक वृद्धि दी: पूर्व आरबीआई गवर्नर

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.

YV Reddy Reuters
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी. (फोटो: रॉयटर्स)

वॉशिंगटन: भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने देश की आर्थिक वृद्धि के लिए गठबंधन सरकारों को बेहतर बताया क्योंकि पिछले तीन दशक में इन्होंने बहुमत की सरकारों की अपेक्षा भारत को बेहतर आर्थिक वृद्धि दी है.

रेड्डी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘यह रोचक बात है कि भारत में सबसे अधिक आर्थिक वृद्धि 1990 से 2014 के बीच गठबंधन सरकारों के दौरान ही रही. एक तरह से देखा जाए तो आम सहमति के आधार पर भारतीय परिस्थितियों में एक गठबंधन सरकार किसी मजबूत पूर्ण बहुमत वाली सरकार की अपेक्षा बेहतर आर्थिक परिणाम देती है.’

वर्ष 1991 में भारत के भुगतान संकट का उल्लेख करते हुए रेड्डी ने कहा, ‘उस दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि अस्थिर राजनीतिक हालातों के बावजूद उन्होंने, जो कदम उठाए जाने की ज़रूरत थी उनके लिए एक आम राजनीतिक सहमति बनाई और इसका सफलतापूर्वक प्रबंधन किया.’

वह यहां अमेरिका के प्रमुख थिंकटैंक हडसन इंस्टीट्यूट में बोल रहे थे. रेड्डी वर्ष 2003 से 2008 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे.

उन्होंने कहा, वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है. रेड्डी ने कहा, लघु अवधि में निश्चित तौर पर स्थिति बेहतर हुई है लेकिन मध्यम अवधि में अभी भी प्रश्नचिन्ह्न लगे हुए हैं.

उन्होंने कहा कि वह अगले 10 साल में भू-राजनैतिक परिस्थितयों में महत्वपूर्ण बदलाव देखते हैं. पूंजी के वैश्वीकरण की वर्तमान प्रक्रिया में कई सरकारों का मानना है कि लोगों की उम्मीदों के अनुरूप नीतियां बनाने की उनकी क्षमता पर वैश्वीकरण ने अंकुश लगाया है.

रेड्डी ने कहा, अब हम वैश्विक और राष्ट्रीय, राज्य और बाजार, विश्व और गैर-विश्व के बीच नए संतुलन की खोज में हैं. यह खोज जारी है.

उन्होंने कहा कि अगले 10-15 साल में होने वाले जनसांख्यिकीय और तकनीकी परिवर्तन पर्यावरण मुद्दों के लिए भी चिंता का विषय हैं और यह तीन विषय वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं.