चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राजनीतिक दलों को यह छूट दी है कि वे अधिकतम 300 व्यक्तियों के साथ या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित कर सकते हैं. आयोग ने कहा कि वह बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और नया निर्देश जारी करेगा.
नई दिल्ली: कोविड-19 मामलों में वृद्धि के चलते निर्वाचन आयोग ने बीते शनिवार को पांचों चुनावी राज्यों में प्रत्यक्ष रैलियों और रोड शो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ा दी है. आयोग ने कहा कि वह बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और नया निर्देश जारी करेगा.
हालांकि एक अधिकारिक बयान के अनुसार, चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को यह छूट दी है कि वे अधिकतम 300 व्यक्तियों की भागीदारी या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों (एसडीएमए) द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित कर सकते हैं.
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने वर्तमान स्थिति, तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद निर्णय लिया है. साथ ही निर्णय लेते वक्त बीते शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, मुख्य सचिवों, स्वास्थ्य सचिवों और चुनाव वाले राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ हुई डिजिटल बैठकों में प्राप्त जानकारियों को ध्यान में रखा गया है.
बयान में कहा गया है, ‘22 जनवरी 2022 तक किसी भी रोड शो, पदयात्रा, साइकिल, बाइक, वाहन रैली और जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी. आयोग बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और उसके मुताबिक आगे निर्देश जारी करेगा.’
आयोग ने कहा है कि 22 जनवरी तक राजनीतिक दलों या संभावित उम्मीदवारों सहित उम्मीदवारों या चुनाव से संबंधित किसी अन्य समूह की किसी भी प्रत्यक्ष रैली को अनुमति नहीं दी जाएगी.
आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधित गतिविधियों के दौरान आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार और दिशा-निर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया.
साथ ही, राज्य और जिला प्रशासन को चुनाव आचार संहिता और महामारी नियंत्रण उपायों से संबंधित सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
बता देंं कि आठ जनवरी को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब के लिए विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोड शो और इसी तरह के प्रत्यक्ष प्रचार कार्यक्रमों पर रोक लगाने का फैसला किया था.
तब विभिन्न क्षेत्रीय दलों ने चुनाव आयोग से प्रत्यक्ष रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के मानदंडों में ढील देने का आग्रह करते हुए कहा था कि डिजिटल रैलियों से केवल उन अमीर राजनीतिक दलों को मदद मिलेगी, जिनके पास आयोजन के लिए अधिक संसाधन हैं.
आयोग ने उस दौरान चुनाव प्रचार के लिए 16 सूत्रीय दिशा-निर्देशों को भी सूचीबद्ध किया था और सार्वजनिक सड़कों और चौराहों पर सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. घर-घर प्रचार अभियान के लिए लोगों की संख्या को उम्मीदवार सहित पांच तक सीमित कर दिया गया था और मतगणना के बाद विजय जुलूसों पर रोक लगा दी थी.
शनिवार की बैठकों के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे के साथ वर्तमान स्थिति और कोविड-19 महामारी के अनुमानित रुझानों की व्यापक समीक्षा की, जिसमें विशेष जोर उन पांच राज्यों पर रहा जहां चुनाव होने वाले हैं.
आयोग ने महामारी की अवधि के दौरान व्यक्तियों के एकत्रित होने के मानदंडों को विनियमित करने वाले एसडीएमए की पाबंदियों और राज्य विशिष्ट मौजूदा दिशानिर्देशों पर भी चर्चा की.
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच होंगे और 10 मार्च को मतगणना होगी. उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होना है और पहले चरण के लिए मतदान 10 फरवरी को होगा.
भाजपा विधायक और 27 समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज
मुजफ्फरनगर: इस बीच उत्तर प्रदेश की पुरकाजी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक प्रमोद उतवल और उनके 27 समर्थकों के खिलाफ चुनाव आचार संहिता और कोविड संबंधी नियमों का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के बाद की गई. वीडियो में मेघना चंदन गांव में कथित तौर पर विधायक की जनसभा के दौरान खिचड़ी वितरण होता दिख रहा है.
पुरकाजी पुलिस थाने के उप-निरीक्षक लोकेश सिंह ने बताया कि विधायक और उनके समर्थकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत शनिवार को मामला दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि बीते 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) ने कोविड नियमों की अवहेलना करते हुए लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय परिसर में एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया था. जिसके चलते 2500 सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.