महिला को गोली मारकर उसे अपंग बनाने के दोषी को मिली उम्रक़ैद की सज़ा को न्यायालय ने बरक़रार रखा.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह महिलाओं का पीछा किए जाने की शिकायतों को गंभीरता से देखे.
अदालत ने यह निर्देश एक व्यक्ति द्वारा एक महिला को गोली मारकर जीवनभर के लिए अपंग किए जाने से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए दिया. इस व्यक्ति पर महिला का पीछा करने का आरोप था और पीड़िता ने इस संबंध में पुलिस को भी शिकायत की थी.
उच्च न्यायालय ने महिला की हत्या की कोशिश के मामले में निचली अदालत द्वारा व्यक्ति को सुनाई गई उम्रक़ैद की सज़ा को बरक़रार रखते हुए कहा कि यदि पुलिस ने पीछा करने की महिला की शिकायतों को गंभीरता से लिया होता तो जो उसके साथ हुआ, उसे टाला जा सकता था.
यह कहते हुए कि महिलाओं का पीछा किए जाने की घटनाओं में इज़ाफ़ा हो रहा है, न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी तथा न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को सभी थानों को इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेने के प्रति संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया.
अदालत ने दोषी अरुण कुमार मिश्रा के प्रति कोई भी सहानुभूति दिखाने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करना न्यायिक प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचाना और जनता के विश्वास को कमज़ोर करने जैसा होगा.
पीठ ने निचली अदालत के फैसले को बरक़रार रखते हुए 22 पन्ने के अपने फैसले में कहा, ‘प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा की भावना और गरिमा के साथ रहने का अधिकार है. राज्य को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नागरिक, ख़ासकर बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे असुरक्षा की भावना के साथ न रहें.’
पुलिस के अनुसार, घटना 15 दिसंबर 2010 को उस समय हुई जब महिला अपनी स्कूटी पर सवार होकर अपने रिश्तेदार के घर जा रही थी. जब वह एक रेड लाइट पर रुकी तो दोषी अरुण कुमार मिश्रा अचानक से पीछे से आया और जबर्दस्ती उसकी स्कूटी पर बैठ गया. उसने कहा कि वह स्कूटी चलाती रहे, अन्यथा वह उसे गोली मार देगा.
उत्तर पश्चिमी दिल्ली स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल के पास पहुंचने पर अरुण ने महिला से उससे शादी करने को कहा. उसने धमकी दी कि यदि वह ऐसा नहीं करेगी तो वह उसे गोली मार देगा.
पुलिस के अनुसार, महिला ने स्कूटी रोक दी और अरुण से कहा कि वह उसका पीछा करना और उसे परेशान करना छोड़ दे. इस पर उसने महिला की पीठ में गोली मार दी. लोगों ने दोषी को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.
महिला का उपचार करने वाले चिकित्सकों ने अदालत को बताया था कि गोली महिला की रीढ़ की हड्डी में लगी जिससे जीवनभर के लिए उसका कमर से नीचे वाला हिस्सा अपंग हो गया.
महिला की शिकायत के अनुसार, अरुण ने 2008 में उस समय से उसका पीछा करना शुरू किया जब वह गुरुग्राम स्थित एक कंपनी में काम करती थी. इसके चलते वहां से उसे नौकरी छोड़नी पड़ी और अपने घर के पास उसने काम करना शुरू कर दिया.
महिला ने अदालत को बताया था कि अरुण ने उसका पता लगा लिया और फोन पर उसे तथा उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने लगा. गोली मारे जाने की घटना से डेढ़ महीने पहले उसने मियावाली थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.