पर्याप्त रोज़गार पैदा नहीं होने से देश में बढ़ेगी आय असमानता: अध्ययन

वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल के अध्ययन में बताया गया है कि बेरोज़गारी और असमानता के कारण अपराधों में तेज़ी और सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है.

Applicants look at job offers displayed on a glass window of a recruitment agency in Manila in this October 9, 2010 file photo. REUTERS/Cheryl Ravelo/File Photo

वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल के अध्ययन में बताया गया है कि बेरोज़गारी और असमानता के कारण अपराधों में तेज़ी और सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है.

Applicants look at job offers displayed on a glass window of a recruitment agency in Manila in this October 9, 2010 file photo.   REUTERS/Cheryl Ravelo/File Photo
(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: केंद्र सरकार द्वारा पर्याप्त नौकरियां सृजित करने में नाकाम रहने के कारण देश में आय असामनता बढ़ सकती है. एक रपट में इस संबंध में चेतावनी दी गई है. वित्तीय सेवा प्रदाता ‘एमबिट कैपिटल’ ने अपने शोध में कहा कि बेरोज़गारी और आय असमानता का मेल सामाजिक तनाव का कारण बन सकता है.

फ्रांसीसी अर्थशास्त्री के नवीनतम निष्कर्षों के आधार पर बताया गया है कि वर्ष 1980 से आय असामनता चरणबद्ध तरीके से बढ़ रही है. इस ओर ध्यान दिलाते हुए एमबिट ने कहा कि देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत निम्न आय स्तर वाले की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी केवल 11 प्रतिशत है, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है.

इनकी प्रति व्यक्ति आय 1,850 डॉलर है, जबकि निचले तबके के 66 करोड़ लोगों या देश की 50 प्रतिशत आबादी की प्रति व्यक्ति आय 400 डॉलर से कम है, जो कि हैरान करने वाला है.

यह आंकड़ा मेडागास्कर के नागरिकों के प्रति व्यक्ति आंकड़ों के समान है और यहां तक कि अफगानिस्तान के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय से भी कम है, जो कि 561 डॉलर है.

वहीं, दूसरी ओर देश की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी 1.30 करोड़ की प्रति व्यक्ति आय 53,700 डॉलर है जो कि डेनमार्क की प्रति व्यक्ति आय से तुलना योग्य और सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय 52,961 डॉलर से ज़्यादा है.

रिपोर्ट में ज़ोर देते हुये कहा गया कि सरकार के नौकरियां सृजित करने में असमर्थ रहने के कारण असमानता बढ़ सकती है. आगे कहा गया है कि मनरेगा योजना के तहत नौकरियों की बढ़ती मांग नौकरियों की संभावना बिगड़ने का संकेत है.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बेरोज़गारी और असमानता के कारण अपराधों में तेज़ी और सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है. हमारा अपना अनुभव है कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जहां प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम है और असमानता अधिक है, वहां अन्य राज्यों की तुलना में अपराध की दर ज़्यादा है.