लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों में तेज गिरावट, या तो इसे प्रभावी बनाएं या भंग करें- पूर्व सीआईसी

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. उन्होंने कहा कि बहुत उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन हुआ था लेकिन अफ़सोस है कि इसका भ्रष्टाचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

लोकपाल का लोगो. (फोटो: द वायर)

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. उन्होंने कहा कि बहुत उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन हुआ था लेकिन अफ़सोस है कि इसका भ्रष्टाचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

लोकपाल का आधिकारिक लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्लीः लोकपाल को अब तक 1,600 से भी कम शिकायतें मिली हैं जबकि 2019 में गठित इसके कार्यालय के निर्माण में ही लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. हालांकि कार्यकर्ताओं को अधिक चिंता इस बात की है कि लोकपाल के समक्ष प्रति वर्ष दर्ज की जा रही शिकायतों की संख्या तेजी से घटी है.

यह 2019-2020 में 1,427 से घटकर 2020-2021 में 110 हो गई जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआती छह महीनों में यह केवल 30 रही.

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त और ट्रांसपेरेंसी कार्यकर्ता शैलेश गांधी ने लोकपाल को प्रभावी बनाने या इसे भंग करने के लिए एक याचिका की शुरुआत की है, जिसे लोकपाल के अध्यक्ष के पास भेजा जाएगा.

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत अधिनियम के दायरे में आने वाले सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकपाल की स्थापना की गई थी.

लोकपाल के पास किसी के भी खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है, फिर चाहे वह प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार में कोई मंत्री, सांसद, केंद्र सरकार के तहत ग्रुप ए, बी, सी और डी स्तर का कोई भी अधिकारी हो. इसके दायरे में किसी भी बोर्ड, कॉरपोरेशन, सोसायटी, ट्रस्ट या किसी स्वायत्त निकाय के अध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी और निदेशक भी आते हैं.

इस कदम के पीछे के उद्देश्य के बारे में बताते हुए शैलेश गांधी ने अपनी याचिका में हर साल दर्ज हो रही शिकायतों की संख्या में तेजी से गिरावट के मुद्दे को उठाया है.

उन्होंने कहा, ‘आपकी वेबसाइट के डेटा से पता चलता है कि लोकपाल को इस साल सिर्फ 1,427 शिकायतें मिली. इसका परिणाम इतना अप्रभावी रहा कि नागरिकों ने उसके बाद सिर्फ 110 शिकायतें की दर्ज कराई और उसके बाद 2021-22 के शुरुआती छह महीनों में यह सिर्फ 30 रही.’

लोकपाल ने 60 करोड़ रुपये से अधिक खर्चे

केंद्रीय सूचना आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान रिकॉर्ड संख्या में शिकायतों और अपीलों पर कार्रवाई करने वाले पूर्व सीआईसी ने याचिका में लोकपाल के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि लोकपाल बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. हमें यकीन है कि आप यह जानते हैं कि लोकपाल ने जो 60 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए हैं, वह देश के उन गरीब लोगों की जेब से आया है जो शायद भूख से मर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि बिना जवाबेदही के जनता का पैसा खर्च करना स्वीकार्य नहीं है.

उन्होंने यह उल्लेख करते हुए कि आंदोलन और लोगों की कितनी उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन किया गया था लेकिन अफसोस कि लोकपाल का देश में भ्रष्टाचार पर बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

उन्होंने लोकपाल के अधिकारियों के आत्मनिरीक्षण की भी मांग करते हुए उनसे या तो बेहतर प्रदर्शन करने या फिर पद छोड़ देने का आग्रह किया.

बता दें कि लोकपाल में एक अध्यक्ष और आठ सदस्य होते हैं, जिनमें से पचास फीसदी न्यायिक सदस्य होते हैं. इन सदस्यों में से एक जस्टिस दिलीप बी. भोंसले ने जनवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया था.

शैलेश गांधी ने लोकपाल में काम कर रहे लोगों से या तो कर्तव्यों का निर्वहन करने का तरीका निकालने या फिर इस्तीफा देने का आग्रह किया.

उन्होंने जस्टिस भोंसले के इस्तीफे का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा दिया.

उन्होंने कहा, ‘उच्च पदों पर बैठे लोकसेवकों को इस स्तर की ईमानदारी दिखानी चाहिए. अगर लोकपाल में यही सिलसिला जारी रहा तो सरकार की निगरानी करने वाले ऐसे संस्थानों में आम नागरिक अपना विश्वास को खो देंगे.’

मोदी सरकार लोकपाल के गठन में धीमी रही

लोकपाल के गठन के इतिहास को देखें तो पता चलेगा कि यह यात्रा कुछ खास नहीं रही.

2018 के शुरुआत में नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफोर्मेशन (एनसीपीआरआई) के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में बताया था कि लोकपाल कानून संसद में दिसंबर 2013 में पारित हो गया था और इसे एक जनवरी 2014 को गैजेट में अधिसूचित किया गया लेकिन उनकी सरकार ने एक भी लोकपाल की नियुक्ति नहीं की.

इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को बताया गया कि इसके क्रियान्वयन में देरी ने एक मजबूत धारणा बनाई कि आपकी सरकार एक प्रभावी भ्रष्टाचार रोधी संस्थागत ढांचा स्थापित नहीं करना चाहती.

इस पत्र में मोदी सरकार पर एक संशोधित विधेयक के जरिये वास्तविक कानून को कमजोर करने का भी आरोप लगाया गया.

पत्र में कहा गया कि इस संशोधित कानून ने सरकारी कर्मचारियों की पत्नियों और बच्चों की संपत्तियों को सार्वजनिक तौर पर उजागर करने के वैधानिक प्रावधान को खत्म कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया को असंतोषजनक बताया था

जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया था कि नागरिकों को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए लोकपाल के लिए नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने का सरकार का रुख पूरी तरह से असंतोषजनक था.

बाद में उसी वर्ष आरटीआई के जरिये यह पता चला कि किस तरह मोदी सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर ढीला रवैया अपनाया.

कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर आरटीआई के जवाब से पता चला कि मोदी सरकार के शुरुआती 45 महीनों में उन्होंने (मोदी ने ) लोकपाल चयन समिति की एक भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने उजागर किया कि उस समय इस तरह की चयन समिति की कोई बैठक नहीं बुलाई गई.

चयन समिति में सरकारी प्रतिनिधियों का बोलबाला

2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लोकपाल की नियुक्ति की गई लेकिन चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी.

भारद्वाज का आरोप है कि जिस तरह से नियुक्तियां की गई, उससे लोकपाल के संस्थान में जनता के विश्वास का पूरा पतन हुआ है.

भारद्वाज ने कहा, ‘चयन समिति में सरकारी प्रतिनिधियों का बहुमत नहीं होना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ. क्या लोकपाल नियुक्तियां करने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर पाएगा?’

दो साल बाद लोकपाल के पास दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट शायद इस सवाल का जवाब है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq