छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के भरंडा गांव में बीते 23 जनवरी को एक कथित नक्सली मुठभेड़ में एक युवक की मौत हो गई थी. युवक की पहचान मानूराम नुरेटी के रूप में हुई है. उनकी पहचान डीआरजी बल के ही एक जवान रेनूराम नुरेटी के भाई के तौर पर हुई है. रेनूराम ने मुठभेड़ को फ़र्ज़ी क़रार देते हुए कहा है कि उनका भाई तो पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था.
नारायणपुर: छत्तीसगढ़ नक्सल उन्मूलन के लिए गठित किए गए जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) बल पर एक बार फिर फर्जी मुठभेड़ के आरोप लगे हैं. नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में बीते 23 जनवरी को एक कथित नक्सली मुठभेड़ में 25 वर्षीय युवक की मौत हो गई.
जिस मृतक युवक को पुलिस नक्सली बता रही है, उसकी पहचान डीआरजी बल के ही एक जवान रेनूराम नुरेटी के भाई के तौर पर हुई है.
मृतक मानूराम नुरेटी के भाई और पत्नी उसे बेकुसूर बता रहे हैं. उनका कहना है कि मनु स्वयं पुलिस में शामिल होने की तैयारी कर रहा था, उसने पुलिस द्वारा गठित किए जा रहे ‘बस्तर फाइटर्स’ में शामिल होने के लिए आवेदन भी डाला था.
उनका आरोप है कि पुलिस मानूराम को गलत तरीके से फर्जी मुठभेड़ में मारकर नक्सली बता रही है.
बस्तर फाइटर्स के बारे में बता दें कि बस्तर क्षेत्र में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत राज्य शासन ने इस बल का गठन किया है. पुलिस द्वारा इसमें शामिल करने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है. बस्तर संभाग के 7 जिलों में 2800 जवानों की भर्ती होनी है. प्रत्येक जिले में स्थानीय युवक-युवतियों को प्राथमिकता देते हुए 400 जवानों की भर्ती की जाएगी.
वहीं, घटना के संबंध में पुलिस का दावा है कि नारायणपुर जिले के भरंडा से 6 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में पुल के पास 23 जनवरी की रात लगभग डेढ़ बजे जवानों (पुलिस) और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में जवानों ने एक नक्सली को मार गिराया था. सर्चिंग के दौरान नक्सली का शव भी मिला. साथ ही, हथियारों के साथ भारी मात्रा में नक्सल सामग्री भी बरामद की गई.
जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) गिरिजाशंकर जायसवाल ने मुठभेड़ की पुष्टि की.
बहरहाल, मृतक मानू के भाई डीआरजी जवान रेनूराम नुरेटी का परिवार मूलत: दुर्ग जिले के घोटिया का रहने वाला है. नक्सली गतिविधियों का शिकार होकर नक्सल पीड़ित रेनूराम वर्ष 2014 में परिवार सहित भरंडा में आ बसे थे.
उनके मुताबिक, इसी वर्ष वह गोपनीय सैनिक के तौर पर पुलिस में शामिल हुए. जनवरी 2021 में वह नव आरक्षक के रूप में पदोन्नत होकर डीआरजी का हिस्सा बने. वर्तमान में वह कड़ेमेटा क्षेत्र में पदस्थ हैं और अपनी पत्नी व बेटी के साथ गुडरी पारा में रहते हैं.
उनकी पत्नी और बेटी भरंडा जाकर ईंट बनाने का काम करती हैं. मानूराम उनके छोटे भाई थे और अपनी पत्नी मनोरा के साथ भरंडा गांव में ही रहकर खेती-किसानी करके पेट पालते थे.
रेनूराम द वायर से कहते हैं, ‘अगर मेरे परिवार को नक्सलियों का साथ देना होता तो हम पुलिस में भर्ती क्यों होते? मेरा भाई भी पुलिस में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था. पुलिस ने जिसे मारा है, वह नक्सली नहीं था, मेरा निर्दोष भाई था.’
रेनूराम ने आगे बताया कि पुलिस ने मेरे भाई को नक्सली वर्दी पहनाकर और उसके शव को बंदूक के साथ मीडिया में पेश करके अज्ञात नक्सली ठहरा दिया, जबकि हमारा परिवार तो नक्सल पीड़ित है.
मृतक मानू की पत्नी मनोरा नुरेटी ने बताया, ‘मनु 21 जनवरी की शाम जंगल में चिड़िया मारने के लिए गए थे और रात 10 बजे तक वापस आने का बोल गए थे. लेकिन, जब वे रात को नहीं लौटे तो आस-पास उनकी खोजबीन की. सुबह होते ही किसी ने बताया कि जंगल में पुलिस-नक्सल मुठभेड़ हुई है. तब मालूम हुआ के मेरे पति को उस मुठभेड़ में नक्सली बताकर मार दिया गया है.’
बहरहाल, घटना के संबंध में जानकारी देते हुए नारायणपुर के एडिशनल एसपी नीरज चंद्राकर ने बताया है, ‘रात करीब 1:30 बजे भरंडा गांव के पास डीआरजी फोर्स की टीम सर्चिंग पर निकली हुई थी. मुख्य मार्ग की पुलिया के पास 10 से 15 नक्सलियों ने सर्चिंग टीम पर जबरदस्त फायरिंग की. करीब दस से पंद्रह मिनट चली फायरिंग में डीआरजी की टीम ने भी जवाबी फायरिंग की.’
उन्होंने आगे बताया, ‘फायरिंग बंद होने के बाद सुबह-सुबह जब क्षेत्र में वापस सर्चिंग शुरू की तो एक शव मिला, जिसके पास से एक भरी हुई बंदूक और नक्सली सामग्री भी मिली, जिसमें एक तीन किलो का कुकर बम, तार, नक्सली साहित्य और कुछ बैनर-पोस्टर भी मिले हैं.’