पंजाबः भाजपा ने क़ानून को धता बताते हुए राष्ट्रीय आयोगों के प्रमुखों को चुनावी मैदान में उतारा

भाजपा ने होशियारपुर के पूर्व सांसद विजय सांपला को फगवाड़ा से टिकट दिया है. सांपला फरवरी 2021 से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष हैं, जिसके चलते उनकी उम्मीदवारी सवालों के घेरे में है. पार्टी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को भी रूपनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है.

//
विजय सांपला और इकबाल सिंह लालपुरा

भाजपा ने होशियारपुर के पूर्व सांसद विजय सांपला को फगवाड़ा से टिकट दिया है. सांपला फरवरी 2021 से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष हैं, जिसके चलते उनकी उम्मीदवारी सवालों के घेरे में है. पार्टी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को भी रूपनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है.

विजय सांपला और इकबाल सिंह लालपुरा

नई दिल्लीः भाजपा ने आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय आयोगों में अध्यक्ष पदों पर आसीन दो लोगों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला कर कथित तौर पर कानून का उल्लंघन किया है.

राज्य विधानसभा कानून के तहत लाभ के पदों पर आसीन लोगों के चुनाव लड़ने पर मनाही है.

भाजपा ने 27 जनवरी को होशियारपुर से पूर्व सांसद और दलित नेता विजय सांपला को फगवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा था. हालांकि, सांपला फरवरी 2021 से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष पद पर आसीन हैं, जिस वजह से उनकी उम्मीदवारी सवालों के घेरे में है.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत कुमार बताते हैं कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष का पद एक संवैधानिक पद है और पंजाब विधानसभा द्वारा तैयार कानून पंजाब राज्य विधानमंडल (अयोग्यता निवारण) अधिनियम 1952 में लाभ के पद पर बैठे लोगों को विधानसभा चुनाव लड़ने की छूट नहीं दी गई है.

कुमार ने कहा, ‘हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अपना नामांकन भरने से पहले सांपला ने वास्तव में अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और क्या नामांकन भरने से पहले केंद्र सरकार ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया था.’

एनसीएससी प्रमुख ने नामांकन भरने के एक दिन बाद इस्तीफा दिया था

इस संबंध में अधिवक्ता ने कहा कि सांपला ने एक फरवरी को स्पष्ट किया था कि 27 जनवरी को फगवाड़ा से नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था.

वकील ने कहा, ‘सवाल यह है कि नामांकन के साथ सांपला द्वारा दायर किए गए हलफनामे में साफ कहा गया है कि नामांकन दाखिल करने के दिन वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर थे. इसके साथ ही जब मैंने केंद्रीय राजपत्र देखा तो मुझे सांपला का इस्तीफा स्वीकार किए जाने से संबंधित कोई अधिसूचना नहीं मिली.’

उन्होंने बताया कि इससे सांपला के चुनाव लड़ने में कानूनी अड़चन पैदा हो सकती है.

नामांकन दाखिल करने के बाद एनसीएम प्रमुख के इस्तीफे की स्वीकृति अधिसूचित

कुमार ने कहा कि अन्य उम्मीदवार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा का मामला कमोबेश एक जैसा ही है.

वह पंजाब की रूपनगर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने सितंबर 2021 में सिंह को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया था और उन्होंने एक फरवरी को रूपनगर निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था.

उन्होंने बाद में समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उन्होंने अगले दिन ही इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा, ‘मैंने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था. चुनाव लड़ने के लिए मेरा इस्तीफा देना अनिवार्य है.’

हालांकि, पंजाब पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और भाजपा प्रवक्ता के लिए यहीं खत्म नहीं होता.

कुमार ने बताते हैं कि सांपला के विपरीत लालपुरा के पास कोई संवैधानिक पद नहीं था लेकिन कानूनी पद था.

कुमार ने कहा कि एक फरवरी की रात अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एनसीएम के अध्यक्ष के तौर पर उनके इस्तीफे को स्वीकार करने से जुड़ी एक गजट अधिसूचना जारी की थी.

कुमार ने कहा, ‘पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पर्चों की जांच की प्रक्रिया दो फरवरी को समाप्त हो गई और नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख चार फरवरी थी.’

मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था, जब पार्टी ने तारकेश्वर सीट से राज्यसभा के लिए नामित सांसद स्वपन दासगुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा था जबकि उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा नहीं दिया था.

तब तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार राज्यसभा में उन्हें अयोग्य ठहराने का आह्वान किया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)