अगर किसानों की आय दुगनी हो गई है तो वे हर दिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं: बीजद सांसद

बीजू जनता दल के राज्यसभा सदस्य प्रसन्न आचार्य ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए क़ानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

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Karad: Farmers plough their field as they sow soyabean at a field in Ghogaon village near Karad, Friday, July 5, 2019. Finance Minister Nirmala Sitharaman said the government will invest widely in agriculture infrastructure and support private entrepreneurship for value addition in farm sector. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000217B)
Karad: Farmers plough their field as they sow soyabean at a field in Ghogaon village near Karad, Friday, July 5, 2019. Finance Minister Nirmala Sitharaman said the government will invest widely in agriculture infrastructure and support private entrepreneurship for value addition in farm sector. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000217B)

बीजू जनता दल के राज्यसभा सदस्य प्रसन्न आचार्य ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए क़ानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

बीजू जनता दल के नेता प्रसन्न आचार्य. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राज्यसभा में बीजू जनता दल के नेता ने किसानों की आय दोगुना करने के वादे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए बीते शुक्रवार को प्रश्न किया कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गई है तो आज उन्हें प्रतिदिन आत्महत्या करने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है? साथ ही पार्टी ने महिला सशक्तिकरण और संघवाद को लेकर सरकार की ‘कथनी और करनी में फर्क’ होने का आरोप भी लगाया.

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने कहा कि अभिभाषण में किसानों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की जो बात कही गई है, वह स्वागत योग्य है.

हालांकि उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब किसान ने देश में इतना योगदान दिया तो बदले में उन्हें क्या लाभ मिला? उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था.

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या किसानों की आय अभी तक दोगुनी हो पाई? उन्होंने यह भी पूछा कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गई होती तो वे प्रतिदिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वालों में छोटे एवं सीमांत किसान और भूमिहीन कृषक सबसे अधिक हैं.

बीजद नेता ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे.

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए कानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

आचार्य ने कहा कि अभिभाषण में महिला सशक्तिकरण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताया गया है, लेकिन यह तथ्यों के विपरीत है. उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे बहुत नारे हैं किंतु सबरीमला मामले में क्या हुआ?

उन्होंने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘एक ओर हम महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की बात करते हैं फिर हम कैसे महिलाओं को मंदिर में जाने से रोकने का समर्थन कर सकते हैं? हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार भी चलने के लिए तैयार नहीं हैं.’

उन्होंने सवाल किया कि ये दोहरे मानक क्यों हैं? उन्होंने कहा कि 2010 में उच्च सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद यह आज तक कानून नहीं बन पाया है.

बीजद सदस्य ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आज कुल 10 प्रतिशत और देश की विभिन्न विधानसभाओं में मात्र 9 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि परंपरावादी मुस्लिम देशों में भी आरक्षण है तथा पाकिस्तान एवं बांग्लादेश ने भी महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘किंतु हम अनिच्छुक हैं. हम एक ओर उनके अधिकार बढ़ाने की बात करते हैं, वहीं उनको उनका राजनीतिक अधिकार देने के इच्छुक क्यों नहीं हैं?’

उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से ओडिशा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा देने की मांग की.

बीजद नेता ने कहा कि वह अभिभाषण में राष्ट्रपति द्वारा 75 वर्ष की देश की विकास गाथा में योगदान करने वाली सारी महान विभूतियों को नमन करने का स्वागत करते है.

उन्होंने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए नींव तैयार करने में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित देश के सभी महान नेताओं के योगदान का सम्मान होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वह इस बात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की सराहना करते हैं कि वह कुछ मामलों में राष्ट्रवादी रुख अपना रही है. उन्होंने कहा कि नेताजी को लेकर किया गया निर्णय बहुत अच्छा है क्योंकि देश के सभी लोग उनके योगदान को स्वीकार करते हैं.

आचार्य ने कहा कि देश में कई लोगों का यहां तक मानना है कि यदि नेताजी जीवित रहे होते और स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के निर्णयों की अगुवाई कर रहे होते तो हमारे देश के स्वरूप की दिशा भिन्न होती, किंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया.

बीजद नेता ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश हमारे देश में कुछ ऐसे लोग रहे हैं, जिनके बारे में मैं संकेत नहीं करना चाहता, जिन्होंने कुछ नेताओं को आदर्श के रूप में पेश करने के लिए नेताजी एवं अन्य कई के योगदान को आराम से भुला दिया.’

उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय की सराहना करते हैं कि देश में हर वर्ष अब गणतंत्र दिवस उत्सव की शुरुआत नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी से होगी.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने जम्मू एवं कश्मीर में दो एम्स खोलने की घोषणा की है जिसका वह स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा, ‘किंतु देश में कई ऐसे स्थान है जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा बहुत ही खराब है. ओडिशा का सुंदरगढ़ एक ऐसा ही जिला है जहां एम्स को तुरंत खोलने की आवश्यकता है.’

आचार्य ने आरोप लगाया कि रेलवे ओडिशा के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है. उन्होंने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री ने मांग की थी राज्य में रेलवे की सभी परिसंपत्तियों का एकत्रीकरण करके पूर्वी तटवर्ती रेलवे जोन बनाया जाए, लेकिन सरकार ने यह कहते हुए इस मांग को खारिज कर दिया कि जोन राज्यों की सीमा के आधार पर गठित नहीं होते.

उन्होंने कहा कि किंतु अब राज्य सीमाओं के आधार पर दक्षिण तटवर्ती रेलवे जोन स्थापित किया गया है. उन्होंने सवाल किया कि यह भेदभाव क्यों किया गया?

आचार्य ने आरोप लगाया कि प्रत्येक विधेयक में सरकार राज्यों के कोई न कोई अधिकार ले लेती है. उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह का संघवाद है.

उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैया का ताजा उदाहरण भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में उसका नया फैसला है. उन्होंने कहा, ‘सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है.’

बीजद ने मांग की कि पेट्रोलियम पदार्थों और शराब पर जो उपकर और अधिभार केंद्र लगाता है उससे होने वाली प्राप्ति में से कुछ हिस्से को राज्यों को दिया जाना चाहिए, जो अभी नहीं दिया जा रहा है.