अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव.
आगरा: अखिलेश यादव गुरुवार को दोबारा निर्विरोध समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष चुने गये. ताजनगरी आगरा में चल रहे सपा के दसवें राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना गया. वह लगातार दूसरी बार दल के अध्यक्ष चुने गए हैं.
निर्वाचन अधिकारी एवं सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने अखिलेश के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की. इस घोषणा के दौरान सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई व अखिलेश के प्रतिद्वंद्वी चाचा शिवपाल यादव मौजूद नहीं थे.
इससे पहले गत एक जनवरी, 2017 को लखनऊ में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को मुलायम सिंह यादव के स्थान पर सपा का अध्यक्ष बनाया गया था.
अखिलेश का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा. उनके दोबारा अध्यक्ष बनने के साथ ही यह तय हो गया है कि वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
गौरतलब है कि सपा के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि मौजूदा तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया.
अखिलेश का सपा के अध्यक्ष पद पर दोबारा निर्वाचन महज औपचारिकता था, क्योंकि उन्हें चुनौती देने वाला कोई और उम्मीदवार नहीं था. सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश भर से पार्टी के करीब 15,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
इस अधिवेशन में विभिन्न राष्ट्रीय तथा स्थानीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा और आर्थिक तथा राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये जाएंगे. सपा का यह अधिवेशन ऐसे समय हो रहा है जब पार्टी में अखिलेश और शिवपाल धड़ों में रस्साकशी का दौर जारी है.
फिलहाल हालात अखिलेश के पक्ष में नजर आ रहे हैं. माना जा रहा था कि खुद को सपा के तमाम मामलों से अलग कर चुके मुलायम गत 25 सिंतबर को लखनऊ में हुए संवाददाता सम्मेलन में अलग पार्टी या मोर्चे के गठन की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर शिवपाल खेमे को करारा झटका दिया.
मुलायम के सहारे समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के गठन की उम्मीद लगाये शिवपाल पर अब अपनी राह चुनने का दबाव है. शिवपाल के करीबियों का कहना है कि सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद वह कोई फैसला ले सकते हैं.
हालांकि अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने उन्हें अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी है. शिवपाल ने ट्विटर के माध्यम से अखिलेश यादव को बधाई दी. अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से उन्होंने ट्वीट किया कि अखिलेश को हार्दिक बधाई, हृदय से शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद
नेताजी ने फोन पर दिया आर्शीवाद
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से भाजपा के पहाड़ जैसे झूठ का पर्दाफाश करके वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी ताकत के साथ आगे लाने का आह्वान किया.
अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा होने के बाद अपने पहले संबोधन में सपा अध्यक्ष ने कहा, देश के जो हालात हैं, वह किसी से छुपे नहीं हैं. आज ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश का किसान संकट में है. भाजपा के लोगों ने प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन जो कर्ज माफ होना चाहिये, वह नहीं हुआ.
अखिलेश ने इस मौके पर अपने पिता व सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा कि उनकी मुलायम से कई बार फोन पर बात हुई और उनसे आशीर्वाद भी मिला.
उन्होंने कहा, हमने नेताजी मुलायम से भी कहा था कि सम्मेलन होने जा रहा है, अगर आप आएंगे तो हम सभी को बहुत अच्छा लगेगा. मैंने उनसे बुधवार को भी बात की. सम्मेलन में आने से पहले भी बात की और कहा कि सम्मेलन बहुत बड़ा होगा लेकिन अगर आपका आशीर्वाद नहीं होगा तो पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी. इस पर नेताजी ने हम सबको फोन पर आशीर्वाद दिया है. मालूम हो कि सपा के इस अधिवेशन में मुलायम ने शिरकत नहीं की है.
सपा के राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव में निशाने पर रही भाजपा
सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव में मुख्य रूप से भाजपा ही निशाने पर रही. सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि भाजपा ने जिस तरह हथकंडे अपनाते हुए इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का दुरुपयोग किया, मीडिया के सहारे सफेद झूठ बोलकर, धार्मिक उन्माद फैलाकर और झूठे नारे देकर सत्ता हासिल की, उससे भाजपा की तुलना हिटलर से की जा सकती है.
प्रस्ताव में कहा गया कि सम्पूर्ण भारत में भाजपा द्वारा विपक्षी दलों को तोड़ना या उनके नेताओं को भाजपा में शामिल कराना लोकतंत्र के लिये खतरा है और इससे आतंक का माहौल बना है. हमारे संविधानकर्ताओं ने कभी नहीं सोचा था कि कभी किसी पार्टी को लोकतंत्र के मुकाबले बड़ा माना जाने लगेगा.