उत्तराखंड में नवजात शिशुओं की मौत के मामले बढ़े: आरटीआई

आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में 2016-17 से 2020-21 तक मातृ मृत्यु दर में 122.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में नवजात मृत्यु दर में 238 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में 2016-17 से 2020-21 तक मातृ मृत्यु दर में 122.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में नवजात मृत्यु दर में 238 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के अस्पतालों में खराब चिकित्सा सुविधाओं के कारण गर्भवती स्त्रियों और नवजात की मृत्यु के मामले बढ़ रहे हैं. सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत प्राप्त आंकड़ों से यह जानकारी मिली हैं.

आरटीआई के जानकारी हासिल करने वाले एक समूह के समन्वयक शिवम ने कहा, ‘सितंबर, 2021 में एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से हमारे समूह द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य के सभी 13 जिलों में 2016-17 से 2020-21 तक मातृ मृत्यु दर में 122.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसी अवधि में नवजात मृत्यु दर में 238 प्रतिशत की वृद्धि हुई.’

आंकड़ों में बताया गया है कि इस अवधि में उत्तराखंड में कुल 798 महिलाओं की गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं के कारण मौत हो गई. राज्य में 2016-17 में 84 महिलाओं की मौत गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं के कारण हुई और यह संख्या 2020-21 में बढ़कर 187 हो गई.

जन्म के 28 दिन के भीतर शिशु की मृत्यु को नवजात मृत्यु में गिना जाता है.

शिवम ने बताया कि राज्य में 2016-2017 में 228 नवजात की मौत हुई थी और 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 772 हो गई.

आरटीआई के अनुसार, 2016 से 2021 तक राज्य में कुल 3,295 शिशुओं की मौत हुई, जिनमें से नैनीताल में सर्वाधिक 402 शिशुओं की मौत हुई. इसके अलावा इस अवधि में गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं के कारण सर्वाधिक 230 महिलाओं की मौत हरिद्वार जिले में हुई.