आलोचकों को गांधी के प्रासंगिक पहलुओं पर नज़र डालने की ज़रूरत: रामचंद्र गुहा

इतिहासकार एवं लेखक रामचंद्र गुहा ने के एक कार्यक्रम में कहा कि गांधी अपने जीवनकाल में सभी के थे, जीवन के बाद वह किसी के नहीं हैं. गांधी पहचान की राजनीति से परे हैं. वह एक सार्वभौमिक हस्ती हैं. दुनिया के कई हिस्सों में उन्हें मान्यता एवं स्वीकार्यता हासिल है.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा. (फोटो साभार: फेसबुक/Ramachandra Guha Fan)

इतिहासकार एवं लेखक रामचंद्र गुहा ने के एक कार्यक्रम में कहा कि गांधी अपने जीवनकाल में सभी के थे, जीवन के बाद वह किसी के नहीं हैं. गांधी पहचान की राजनीति से परे हैं. वह एक सार्वभौमिक हस्ती हैं. दुनिया के कई हिस्सों में उन्हें मान्यता एवं स्वीकार्यता हासिल है.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा. (फोटो साभार: फेसबुक/Ramachandra Guha Fan)

नई दिल्ली: इतिहासकार एवं लेखक रामचंद्र गुहा ने कहा कि महात्मा गांधी की आलोचना भले ही कई लोग करते हों, लेकिन उनके कुछ स्थायी प्रासंगिक पहलू हैं, जिन पर आलोचकों को आज के समय में ध्यान देना चाहिए.

यहां ‘द इटिनरीज ऑफ अ हिस्टोरियन’ कार्यक्रम में समाजशास्त्री नंदिनी सुंदर से हुई बातचीत में गुहा ने कहा, ‘गांधी अपने जीवनकाल में सभी के थे, जीवन के बाद वह किसी के नहीं हैं. गांधी पहचान की राजनीति से परे हैं. वह एक सार्वभौमिक हस्ती हैं. दुनिया के कई हिस्सों में उन्हें मान्यता एवं स्वीकार्यता हासिल है.’

उन्होंने कहा, ‘भले ही कई भारतीय उनकी आलोचना करते हों, लेकिन गांधी के कुछ स्थायी प्रासंगिक पहलू हैं. मैं चाहता हूं कि उनके कुछ आलोचक इन पहलुओं पर ध्यान दें, खासकर आज के समय में.’

गुहा ने कहा कि गांधी ने आधुनिक काल के किसी भी भारतीय की तुलना में मौजूदा पर्यावरण संकट का ज्यादा सटीक और मार्मिक अनुमान लगाया था.

यह बातचीत एक इतिहासकार और गांधी की जीवनी के लेखक के तौर पर गुहा के अनुभवों के साथ-साथ क्रिकेट और पारिस्थितिकी पर उनके लेखन एवं एक लेखक के रूप में उन्हें प्रभावित करने वाले लोगों पर केंद्रित थी.

इसका आयोजन ‘अ सुटेबल एजेंसी’ और दिल्ली के लोकप्रिय विरासत उद्यान सुंदर नर्सरी द्वारा शुरू की गई ‘सुटेबल कन्वरसेशन’ श्रृंखला के तहत किया गया था, जिसका मकसद पढ़ने के शौकीन शहर के लोगों को कुछ बेहतरीन लेखकों और साहित्यकारों तक पहुंच उपलब्ध कराना है.

कुछ पुराने किस्सों को साझा करते हुए गुहा ने प्राथमिक शोध के महत्व से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि कैसे छिपे और अनछुए तथ्यों को खोजने की खुशी तथा विषयों की गहराई में दर्ज पहलुओं को तलाशने की जिज्ञासा ने उन्हें एक लेखक के रूप में आगे बढ़ाया है.

गुहा के मुताबिक, क्रिकेट और गांधी पर उनका काम उनकी खुद की दिलचस्पी का नतीजा है.

उन्होंने इतिहासकारों को व्यापक दर्शकों को ध्यान में रखते हुए लेखन की सलाह दी. गुहा ने कहा कि विद्वानों के लिए यह अहम है कि वे खुद को किसी विशिष्ट राजनीतिक दल, स्कूल या शिक्षक से न जोड़ें.

कार्यक्रम में ‘अ सुटेबल एजेंसी’ की संस्थापक हेमाली सोढ़ी ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में ‘ए सुटेबल एजेंसी’ ने ‘सुटेबल कन्वरसेशन’ के शानदार आयोजन के लिए सुंदर नर्सरी के साथ साझेदारी की है. ‘सुटेबल कन्वरसेशन’ भारत के कुछ सबसे दिग्गज लेखकों और उभरती आवाजों की राय सामने लाने वाली रोमांचक श्रृंखला है.’

श्रृंखला के पिछले सत्रों में मनु पिल्लई, श्रेयना भट्टाचार्य, स्निग्धा पूनम, विलियम डेलरिंपल और माया जसनॉफ शिरकत कर चुके हैं.

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