मामला बागलकोट का है. आरोप है कि एक महिला ने 23 मार्च को पाकिस्तान के गणतंत्र दिवस पर कथित तौर पर शुभकामना देता वॉट्सऐप स्टेटस पोस्ट किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. बताया गया कि उनकी ज़मानत से पहले स्थानीय हिंदू संगठनों के फोरम ने लॉयर्स एसोसिएशन से अपील की थी कि वे अदालत में महिला का प्रतिनिधित्व न करके ‘देशभक्ति’ का प्रदर्शन करें.
बागलकोटः कर्नाटक के बागलकोट जिले में पाकिस्तान के गणतंत्र दिवस पर कथित तौर पर शुभकामनाओं वाला वॉट्सऐप स्टेटस पोस्ट करने के आरोप में 24 मार्च को गिरफ्तार की गई महिला को हिंदुत्ववादी समूहों के भरसक प्रयासों के बावजूद सशर्त जमानत दे दी गई.
बागलकोट जिले के मुधोल कस्बे की रहने वाली कुठमा शेख (25) को 26 मार्च को सशर्त जमानत दी गई. कुठमा के परिवार के सदस्यों के मुताबिक, वह (कुठमा) आश्वस्त है कि वह मामले में अपनी बेगुनाही साबित कर देंगी.
कुठमा को 24 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, इससे एक दिन पहले कथित तौर पर एक हिंदुत्व कार्यकर्ता अरुण कुमार भजंत्री ने बागलकोट पुलिस थाने में उनके कथित आपत्तिजनक वॉट्सऐप स्टेटस को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.
कुठमा ने 23 मार्च को अपने वॉट्सऐप स्टेटस में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सभी देशों में शांति और समृद्धि की कामना की थी.
कुठमा के परिवार का आरोप है कि मुधोल हिंदू संगठनों के फोरम ने एक ज्ञापन के जरिये लॉयर्स एसोसिएशन से अपील की थी कि वे अदालत में कुठमा शेख का प्रतिनिधित्व न करें लेकिन स्थानीय समुदाय के नेताओं और करीबी दोस्तों की मदद से परिवार एक वकील नियुक्त कर पाया, जिन्होंने महिला को जमानत दिलाने में मदद की.
इसके बाद कुठमा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिस दौरान हिंदू फोरम के कुछ सदस्य अदालत परिसर के भीतर पहुंच गए और उन्होंने शेख परिवार के खिलाफ इस प्रकार प्रतिकूल माहौल बना दिया कि कुठमा का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने उन्हें (परिवार) अदालत से जाने और अगले दिन जमानत का आवेदन करने की सलाह दी.
अपराध और गिरफ्तारी
हालांकि, कुठमा को दी गई सशर्त जमानत में उन्हें इस मामले में मीडिया से बात करने से मना किया गया है.
उनके भाई सलमान ने द वायर को बताया कि भजंत्री कुठमा का वॉट्सऐप स्टेटस इसलिए देख पाया क्योंकि उनकी पत्नी ने कुठमा को सिलाई की सेवाएं मुहैया कराई थीं और दोनों महिलाओं के पास फोन एक-दूसरे के नबंर थे.
सलमान ने बताया, ‘सभी राष्ट्रों को शांति और समृद्धि की कामना करने वाले एक निजी वॉट्सऐप स्टेटस को जानबूझकर शिकायतकर्ता और उनके नेटवर्क से जुड़े लोगों ने वायरल किया. ऐसा कुठमा के खिलाफ बेहूदा शिकायत दर्ज कराने के लिए किया गया. मुधोल क्षेत्र में विभिन्न समुदायों के लोग एक-दूसरे से शांतिपूर्वक बातचीत करते रहे हैं और इस खबर के सामने आने तक सभी चीजें सामान्य थी.’
कुठमा के भाइयों में से एक रिजवान शेख 23 मार्च की रात को उस समय घर पर ही थे, जब पुलिस उनके घर पहुंची.
रिजवान ने याद करते हुए कहा, ’23 मार्च की रात लगभग आठ बजे दो महिला कॉन्स्टेबल हमारे घर पहुंची. जब मैंने दरवाजा खोला तो उन्होंने पूछा कि क्या घर में कोई महिला है. जब मैंने अपनी मां को बुलाया तो महिला कॉन्स्टेबल ने मेरी मां और बहन से बात की और उन्हें मेरी बहन का उस वॉट्सऐप स्टेट का स्क्रीनशॉट दिखाया, जो उसने अपलोड किया था.’
रिजवान के मुताबिक, उस दिन कुल छह पुलिसकर्मी आए थे, जिनमें से चार पुरुष और दो महिला कॉन्स्टेबल थे.
उन्होंने कहा, ‘उनके पास कोई वॉरंट नहीं था लेकिन उन्होंने कहा कि वह वहां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है क्योंकि मेरी बहन द्वारा अपलोड किए गए वॉट्सऐप स्टेटस को लोगों ने गलत तरीके से लिया है.’
रिजवान ने कहा, ‘हमने उनके साथ सहयोग किया और उनके सवालों के जवाब दिए. महिला कॉन्स्टेबल उस रात हमारे घर पर रुकीं जबकि चारों पुरुष कॉन्स्टेबल बाहर रहे. महिला पुलिसकर्मियों ने कुठमा की तस्वीरें भी लीं.’
उन्होंने कहा कि अगली सुबह लगभग पांच बजे सभी पुलिसकर्मी कुठमा को सर्किल पुलिस इंस्पेक्टर के कार्यालय ले गए. इस दौरान रिजवान भी साथ गए थे, जहां उन्होंने सुबह 10 बजे तक इंतजार किया.
रिजवान ने कहा, ‘सुबह 10 बजे के बाद हमें पुलिस थाने ले जाया गया, जहां अलग-अलग अधिकारियों ने मेरी बहन से पूछताछ की. मेरी बहन का वॉट्सऐप स्टेटस सभी देशों की कामनाओं के लिए था इसलिए उसने अपना पक्ष उन्हें समझाते हुए कहा कि उसे नहीं पता था कि इस मैसेज का इस तरह से मुद्दा बना दिया जाएगा. उसने स्पष्ट किया कि उनकी मंशा सभी देशों के लिए शांति की कामना करने के अलावा कुछ और नहीं थी.’
उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन में कुठमा की दोबारा तस्वीरें खींची गई और उससे कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए. दोपहर लगभग एक बजे पुलिसकर्मी उसे मेडिकल टेस्ट के लिए सरकारी अस्पताल ले गए.
रिजवान ने कहा, ‘मुझे उसके साथ अस्पताल जाने की इजाजत नहीं दी गई.’
रिजवान के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान परिवार के किसी भी सदस्य को कुठमा की गिरफ्तारी का वारंट नहीं दिखाया गया.
कुठमा के भाई भी इस तथ्य से हैरान रह गए कि गिरफ्तारी और पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा कुठमा की ली गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.
सलमान ने बताया, ‘कुठमा ने कोई भी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं की थी. हालांकि, जब पुलिस उसे पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई, तो उन्होंने उसकी तस्वीर खींची, जो बाद में कस्बे में वॉट्सऐप समूहों पर वायरल हो गई.’
जमानत याचिका
सलमान के मुताबिक, कुठमा को सबसे पहले 24 मार्च को अदालत के समक्ष पेश किया गया और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
सलमान ने द वायर को बताया, ‘हमने एक वकील को हायर किया और 24 मार्च से पहले उसकी जमानत सुनिश्चित करने की कोशिश की लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया. अगले दिन 25 मार्च को कुठमा की जमानत सुनिश्चित करने के लिए मैं वकील के साथ अदालत गया लेकिन मुधोल के हिंदू के लगभग 10-15 सदस्य अदालत परिसर में इकट्ठा हो गए. इस समूह ने लॉयर्स एसोसिशन से कुठमा का केस नहीं लड़ने की अपील की.’
उन्होंने कहा कि अदालत में हिंदू समूह के सदस्यों की मौजूदगी के बीच माहौल खराब हो गया और कुठमा के वकील ने सलमान से यह कहकर परिसर से जाने को कहा कि वह अगले दिन जमानत याचिका दायर करेंगे.
सलमान ने कहा, ‘अदालत ने 26 मार्च को मेरी बहन को जमानत दे दी. हमें शाम लगभग 4.30 बजे जमानत के आदेश मिल गए और उसे उसी दिन शाम को सात बजे रिहा कर दिया गया.’
ज्ञापन
मुधोल के हिंदू संगठनों द्वारा लॉयर्स एसोसिशन को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, ‘उपरोक्त विषय के संबंध में 23 मार्च को मुधोल की रहने वाली एक मुस्लिम महिला कुठमा शेख राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल है क्योंकि उसने अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर पाकिस्तान के झंडे की तस्वीर लगाकर भारत के खिलाफ स्टैंड लिया है. इस संबंध में हमने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया है. ऐसी संभावना है कि वह जमानत के लिए आवेदन कर सकती है इसलिए हम मुधोल के हिंदू संगठन वकीलों के संघ से आग्रह करते हैं कि वे जमानत याचिका की कार्रवाई को आगे बढ़ाने में मदद नहीं कर देशभक्ति दिखाएं.’
द वायर को वकीलों के संघ से इस ज्ञापन की प्रति प्राप्त हुई है.
कुठमा के वकील लकप्पा अवधी ने द वायर को बताया कि उन पर किसी का कोई दबाव नहीं है और वह अदालत में उनकी ओर से पेश होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.
इस बीच लॉयर्स एसोसिशन के अध्यक्ष वीडी कट्टी ने इस ज्ञापन पर प्रतिक्रिया जानने के लिए द वायर के बार-बार किए गए प्रयासों का कोई जवाब नहीं दिया.
जब द वायर ने अरुण कुमार भजंत्री से पूछा कि क्या उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी समूह या संगठन ने उकसाया तो उसने कहा कि शिकायत दर्ज कराने का फैसला उसका खुद का था.
यह पूछने पर कि क्या वह किसी संगठन से जुड़े हुए हैं तो उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
पुलिस का नज़रिया
बालाकोट के पुलिस अधीक्षक लोकेश भरमप्पा जगलसर ने द वायर को बताया कि कुठमा शेख के खिलाफ मामले की अभी भी जांच चल रही है.
जगलसर ने कहा, महिला ने पाकिस्तान से जुड़ी एक पोस्ट अपलोड की थी. हमें शिकायत मिली की पोस्ट भड़काऊ थी और इसका उद्देश्य समाज में वैमनस्य पैदा करना था. चूंकि आरोपी की मंशा का पता नहीं है इसलिए मामले की जांच चल रही है.
कुठमा पर आईपीसी की धारा 153 (ए) (धर्म, जाति, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों में दुश्मनी पैदा करना) और 505 (2) (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया.
जगलसर ने कहा, ‘हमारी भूमिका दोनों के बीच तनाव को कम करने की है. पुलिस होने के नाते हमने दोनों ओर से भड़काऊ पोस्ट देखी और हमने इस पर ध्यान दिया है. हमने इसमें शामिल सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं. हमारा ध्यान क्षेत्र में शांति, कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना है. हम इसके अनुरूप ही जांच करेंगे.’
जिस आधार पर कुठमा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उसकी प्रति मांगने पर जगलसर ने कहा कि उनकी वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड की गई है लेकिन वह एफआईआर की संख्या भूल गए हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)
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