राजनीतिक फ़ायदे के लिए मोदी सरकार चुनाव आयोग पर दबाव डाल रही है: कांग्रेस

कांग्रेस का आरोप, गुजरात विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने में देर की गई ताकि नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को वहां लोकलुभावन घोषणाएं कर सकें.

/
New Delhi : Presidential Candidate Meira Kumar and Congress office bearer Surjewala address a press conference in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Shirish Shete(PTI6_27_2017_000074B)

कांग्रेस का आरोप, गुजरात विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने में देर की गई ताकि नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को वहां लोकलुभावन घोषणाएं कर सकें.

New Delhi : Presidential Candidate Meira Kumar and Congress office bearer Surjewala address a press conference in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Shirish Shete(PTI6_27_2017_000074B)
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने चुनाव आयोग की ओर से हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम एक साथ घोषित नहीं करने पर गुरुवार को सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार ने आयोग पर दबाव बनाया है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गुजरात चुनाव के कार्यक्रम घोषित करने में देरी इसलिए की गई ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को अपने गृह राज्य के दौरे के दौरान लोकलुभावन घोषणाएं कर फर्जी सांता क्लॉज के तौर पर पेश आएं और जुमलों का इस्तेमाल करें.

पार्टी ने कहा कि यदि गुजरात चुनाव के कार्यक्रम अभी घोषित कर दिए गए होते तो राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई होती. कांग्रेस के संचार प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने अपने ट्वटिर अकाउंट पर डाले गए एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया, अब यह साफ है कि हिमाचल के साथ गुजरात चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा टालने के लिए मोदी सरकार और भाजपा चुनाव आयोग पर दबाव डाल रहे हैं ताकि उनके राजनीतिक हित पूरे हो सकें.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, कारण यह है कि प्रधानमंत्री एक फर्जी सांता क्लॉज के तौर पर 16 अक्टूबर को गुजरात जा रहे हैं ताकि ऐसी लोक लुभावन घोषणाएं कर सकें और ऐसे जुमलों का इस्तेमाल कर सकें जो उन्होंने 22 साल से लागू नहीं किए.

कांग्रेस नेता ने कहा कि गुजरात चुनाव की तारीखें घोषित कर और तत्काल आदर्श आचार संहिता लागू कर सभी को समान अवसर मुहैया कराने की जिम्मेदारी अब चुनाव आयोग पर है.

PTI10_12_2017_000115B
गुरुवार को हिमाचल प्रदेश में चुनाव की घोषणा करते मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति.(फोटो: पीटीआई)

उन्होंने कहा, सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग सरकार के ऐसे दबाव में घुटने टेक सकता है. क्या यह परंपरा सही है और चुनाव आयोग को इस बाबत लोगों को विस्तार से जवाब देना चाहिए.

सुरजेवाला ने दावा किया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से भाजपा की पिछली 22 साल की नाकामियों की पोल खोल देने के बाद मोदी को हार का भान हो गया है.

उन्होंने दावा किया कि भाजपा को हार का डर सता रहा है और वह आखिरी समय में वोटरों को ललचाने की कोशिश में जुटी है. सुरजेवाला ने कहा, हम मांग करते हैं कि गुजरात और हिमाचल में नवंबर में चुनाव कराए जाएं और आदर्श आचार संहिता तत्काल लागू की जाए. यह दोनों राज्यों के लोगों की मांग भी है और संवैधानिक दायित्व भी है.

हिमाचल प्रदेश मामलों की प्रभारी सचिव रंजीत रंजन ने भी चुनाव आयोग पर ऐसे ही सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि गुजरात में मुख्य विपक्षी कांग्रेस को समर्थन हासिल हो रहा है और इसलिए भाजपा को डर है कि गुजरात उसके हाथों से निकल जाएगा.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान का स्वागत करते हुए रंजन ने कहा कि उनकी पार्टी पूरे चुनाव प्रचार मोड में है और वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से किए गए कामकाज के आधार पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है.

उन्होंने हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार वीवीपीएटी के इस्तेमाल के फैसले का भी स्वागत किया. रंजन ने इन खबरों को खारिज किया कि हिमाचल के मुख्यमंत्री सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच मतभेद हैं.