भाजपा ने दिल्ली के ‘मोहम्मदपुर’ का नाम बदलकर ‘माधवपुरम’ करने की घोषणा की

दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा कि आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी ग़ुलामी का कोई प्रतीक, चिह्न हमारा हिस्सा हो, ये कोई भी दिल्लीवासी नहीं चाहता. वहीं, सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नाम परिवर्तन आधिकारिक रूप से अमान्य होगा, क्योंकि ऐसा करने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है.

भाजपा सदस्यों ने मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलकर प्रवेश बिंदु पर माधवापुरम का साइन बोर्ड लगाया. (फोटो साभार: ट्विटर/@adeshguptabjp)

दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा कि आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी ग़ुलामी का कोई प्रतीक, चिह्न हमारा हिस्सा हो, ये कोई भी दिल्लीवासी नहीं चाहता. वहीं, सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नाम परिवर्तन आधिकारिक रूप से अमान्य होगा, क्योंकि ऐसा करने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है.

भाजपा सदस्यों ने मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलकर प्रवेश बिंदु पर माधवापुरम का साइन बोर्ड लगाया. (फोटो साभार: ट्विटर/@adeshguptabjp)

नई दिल्ली: दक्षिण दिल्ली के मोहम्मदपुर गांव के निवासियों ने भाजपा के कुछ नेताओं के साथ बुधवार को कहा कि उन्होंने अपने गांव का नाम बदलकर माधवपुरम कर दिया है. दूसरी ओर सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नाम परिवर्तन आधिकारिक रूप से अमान्य होगा, क्योंकि ऐसा करने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है.

भाजपा सदस्यों और स्थानीय लोगों ने गांव में नाम परिवर्तन सिलसिले में एक समारोह का आयोजन कर प्रवेश बिंदु पर नए नाम का एक ‘साइन बोर्ड’ लगा दिया गया.

इस कार्यक्रम में भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता और क्षेत्र पार्षद भगत सिंह टोकस ने भाग लिया. गुप्ता ने कहा कि उन्होंने गांव का नाम बदल दिया, क्योंकि स्थानीय लोग गुलामी के प्रतीक को नहीं ढोना चाहते थे.

उन्होंने यह भी कहा कि 40 अन्य गांवों के नाम मुगल काल के हैं और इन गांवों के नाम स्वतंत्रता सेनानियों व समाज की सेवा करने वाले व्यक्तियों के नाम पर रखने की जरूरत है.

गुप्ता ने ट्वीट किया, ‘माधवपुरम गांव के नामकरण का प्रस्ताव निगम में पास होने के बाद आज गांव के नामकरण की प्रक्रिया को पूरा किया. अब से यह गांव मोहम्मदपुर की जगह ‘माधवपुरम’ नाम से जाना जाएगा. आजादी के 75 वर्ष बाद भी गुलामी का कोई प्रतीक, चिह्न हमारा हिस्सा हो, ये कोई भी दिल्लीवासी नहीं चाहता.’

दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के महापौर मुकेश सूर्यन ने पिछले साल अगस्त में गांव का नाम मोहम्मदपुर से माधवपुरम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और बाद में इसे सदन की मंजूरी मिली थी.

एसडीएमसी अधिकारियों के अनुसार, नगर निकाय केवल पार्कों, सड़कों, स्कूलों, पुस्तकालयों और उद्यानों के नाम बदल सकता है, लेकिन इसके पास किसी भी ऐतिहासिक स्थान, गांव या शहर का नाम बदलने का अधिकार नहीं है.

एक अधिकारी ने कहा, ‘केवल राज्य सरकार ही नाम बदलने की पहल कर सकती है.’

एसडीएमसी स्थायी समिति के अध्यक्ष बीके ओबेरॉय ने बताया, ‘किसी गांव या कस्बे का नाम बदलने के संबंध में किसी भी प्रस्ताव को नगर निकाय के सदन द्वारा पारित किया जाना होता है और फिर इसे राज्य नामकरण प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया जाता है, जो राज्य सरकार के अधीन आता है. इसके बाद इस संबंध में राजपत्रित में अधिसूचना जारी की जाती है.’

इससे पहले गुप्ता ने कहा कि ‘मोहम्मदपुर’ का नाम बदलकर ‘माधवपुरम’ करने का प्रस्ताव पिछले साल दिसंबर में दिल्ली सरकार को भेजा गया था. हालांकि, सरकार ने पिछले छह महीने से इस पर कोई फैसला नहीं लिया.

दिल्ली भाजपा ने पिछले हफ्ते यह भी कहा था कि पार्टी केजरीवाल सरकार को एक प्रस्ताव भेजकर मांग करेगी कि शहर के 40 गांवों के नाम बदले जाएं, क्योंकि वे गुलामी के दौर के प्रतीक हैं.

गुप्ता के अनुसार, इन 40 गांवों में हुमायूंपुर, यूसुफ सराय, मसूदपुर, जमरूदपुर, बेगमपुर, सैदुल अजब, फतेहपुर बेरी, हौज खास और शेख सराय शामिल हैं.