केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा, 24 में से 16 लोगों की मौत आरोपी बनाए जाने से पहले ही हो गई थी, बाक़ी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं.
नई दिल्ली: सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि व्यापमं घोटाले से जुड़ी मौतों पर विवाद तब पैदा हुआ जब मध्य प्रदेश पुलिस ने दाखिले और भर्ती घोटाले से जुड़े मामलों में अपनी प्राथमिकी में मृत व्यक्तियों के नाम बतौर आरोपी शामिल किए.
मध्य प्रदेश में दाखिले और भर्ती घोटाले में शामिल संदिग्धों को बचाने की कथित साजिश की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. जांच एजेंसी को 24 लोगों की मौत की जांच करने के लिए कहा गया था.
जांच में पाया गया कि 24 मौतों में से 16 लोगों की मौत व्यापमं घोटाले में राज्य पुलिस द्वारा आरोपी बनाए जाने से काफी पहले ही हो चुकी थी. सीबीआई ने मौतों के पीछे किसी तरह की साजिश से इनकार किया है.
सीबीआई ने कहा कि बाकी लोगों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई. सूत्रों ने बताया कि राम शंकर (बदला हुआ नाम) की मौत 18 जून, 2007 को डूबने के कारण हुई थी लेकिन मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) में कथित अनियमितताओं से जुड़ी प्राथमिकी में सात साल बाद बतौर आरोपी उसका नाम जोड़ा गया.
सूत्रों ने बताया कि शंकर की मौत की जांच यह दिखाती है कि उसकी मौत 18 जून, 2007 को हुई थी. हालांकि 18 जून, 2014 को दर्ज प्राथमिकी ने राज्य पुलिस ने उसका नाम कथित बहरुपिये के तौर पर दर्ज किया जिसने रुपयों के बदले उम्मीदवारों के परीक्षा पत्र हल किए.
जांच में कहा गया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी डूबने से मौत की बात कही गई है. दो प्रत्यक्षदर्शियों ने इस बात की पुष्टि की.
वह अकेले नहीं है. जांच में यह पाया गया है कि करीब 23 मौतों में कुछ भी संदिग्ध नहीं है. इन मौतों में से सीबीआई ने 15 मौतों की प्रारंभिक जांच शुरू की.
इन मौतों में एक प्रमुख हिंदी समाचार चैनल के पत्रकार की मौत भी शामिल है. एजेंसी ने कहा कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई और जहर खाने का कोई संकेत नहीं मिला जिसके बाद प्रारंभिक जांच बंद कर दी गई.