उपराष्ट्रपति ने कृषि में और अधिक सरकारी निवेश की हिमायत करते हुए कहा, किसानों की आय नहीं बढ़ी, वे कृषि छोड़ना चाहते हैं.
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कृषि में और अधिक सरकारी निवेश की हिमायत की है. साथ ही, उन्होंने अफसोस जताया कि संसद, नेताओं और प्रेस ने किसानों से जुड़े मुद्दे के हल के लिए बहुत कुछ नहीं किया है.
बीते जून महीने में ताबड़तोड़ आत्महत्याओं और देश भर में किसान आंदोलन के बीच तत्कालीन केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि ‘कृषि क़र्ज़ माफ़ी आजकल फैशन बन गया है. क़र्ज़ माफ़ी होनी चाहिए लेकिन सिर्फ़ विशेष परिस्थितियों में. किसानों की बेहतरी के लिए क़र्ज़ माफ़ी अंतिम चारा नहीं है.’
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब भी एक कृषि प्रधान देश है लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी करीब 18,000 गांवों में बिजली नहीं है. उन्होंने शनिवार शाम दिल्ली स्थित अपने आवास के गार्डन में बाहरी दिल्ली के किसानों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं.
नायडू ने कहा कि यह सच है कि लोग कृषि से दूर हो रहे हैं क्योंकि यह फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है. इसके कई कारण हैं, जैसे कभी कम बारिश, कभी ज्यादा बारिश. इसलिए, आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि खेती को फायदेमंद कैसे बनाया जाए.
उपराष्ट्रपति ने एक सामाजिक संदेश देते हुए कहा कि मीडिया किसानों और गांवों की स्थिति को यथोचित ध्यान नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि खराब सड़कें और बिजली की कमी के मुद्दे की ओर प्रेस का ध्यान जाता है. लेकिन गांवों की स्थिति को उतना उजागर नहीं किया जा रहा, जितना किया जाना चाहिए था.
इसके अलावा, नेता और संसद को भी और ध्यान देना चाहिए क्योंकि पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद, प्रेस और राजनीतिक पार्टियों द्वारा किसानों के कल्याण के लिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
नायडू ने कहा कि राज्यसभा का सभापति होने के नाते वह सदन के सदस्यों को कृषि से जुड़े मुद्दों पर बोलने के ज्यादा अवसर देंगे और जिस किसी मंच पर वह जाएंगे, वह किसानों के मुद्दे को रखेंगे.
उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार, दोनों स्तरों से कृषि में निवेश बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही, एक प्रणालीगत और नीतिगत बदलाव की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य सरकारें, मंत्री, कृषि विविद्यालय, शोध संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और वैज्ञानिकों, सभी को किसानों के फायदे के लिए काम करना चाहिए. उन्हें अधिक शीत भंडार गृह और रेफ्रीजेरेशन वाहन की सुविधा मुहैया कराने पर भी बल दिया.
उन्होंने कहा कि देश में हरित क्रांति और संवृद्धि के कारकों के बावजूद किसानों की आय नहीं बढ़ी है. इसलिए कुछ किसान कृषि छोड़ना चाहते हैं.
ये किसान ककरोला, नजफगढ़ और छावला से आए थे. उनमें से एक ने नायडू के सिर पर पगड़ी बांधी. नायडू ने कहा, मुझो खुशी है कि अन्नदाता मुझो आशीर्वाद देने आए.