सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में पोस्टग्रेजुएशन की 50 फ़ीसदी सीट तथा शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान की सभी सीट इस साल से अखिल भारतीय कोटे के लिए तय करने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रस्ताव के विरोध हो रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर इसे लागू किया गया तो जम्मू कश्मीर के पीजी उम्मीदवारों के हितों को नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि यहां जो मामूली सीट हैं वह और घट जाएंगी.
जम्मू: सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय (जीएमसी) में स्नातकोत्तर (पोस्टग्रेजुएट – पीजी) की 50 फीसदीसीट तथा शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) की सभी सीट इस साल से अखिल भारतीय कोटे के लिए तय करने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रस्ताव के विरोध में डॉक्टरों ने जम्मू में प्रदर्शन किया.
चिकित्सा विद्यार्थियों के साथ डॉक्टरों ने इस केंद्रशासित प्रदेश में नए चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातोकोत्तर की और सीट आवंटित किए जाने तक इस विचार को स्थगित करने की अपनी मांग के समर्थन में जीएमसी के सामने प्रदर्शन किया.
डॉ. सुशांत खरके नामक एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘यदि इस विचार को लागू किया गया तो जम्मू कश्मीर के आकांक्षी पीजी उम्मीदवारों के हितों को नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि हमारे यहां जो मामूली सीट हैं वह और घट जाएंगी.’
इसे और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि यदि जीएमसी की 50 फीसदी और एसकेआईएमएस की सभी सीट अखिल भारतीय कोटे से भरी जाएंगी तो बस 172 सीट ही स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए बचेंगी.
खरके ने कहा कि अनंतनाग, बारामूला, राजौरी, डोडा और कठुआ में नए खुले सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू किया गया है, लेकिन वहां पीजी सीट आवंटित नहीं की गई हैं.
इस प्रदर्शन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए जम्मू कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से नए चिकित्सा महाविद्यालयों में पीजी सीट सृजित किए जाने तक अखिल भारतीय कोटे में स्नातकोत्तर सीट लाने में देरी करने की मांग पर विचार करने की अपील की.
नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने इस मांग का समर्थन किया है और प्रशासन से केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के व्यापक हित में प्रस्तावित कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.