एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने रविवार को अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया था. इस मामले को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इस बीच अजीत पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नए नेता घोषित किए गए हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली.
288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया. तीन विधायक मतदान से दूर रहे, जबकि कांग्रेस के अशोक चव्हाण और विजय वडेट्टीवार समेत 21 विधायक विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे.
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की.
हाल में शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या घटकर 287 हो गई है, इसलिए बहुमत के लिए 144 मतों की आवश्यकता थी.
एकनाथ शिंदे पिछले महीने शिवसेना के खिलाफ बागी हो गए थे. अधिकतर विधायकों ने उनका समर्थन किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई.
ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान विधायक अबू आजमी और रईस शेख (दोनों समाजवादी पार्टी के नेता हैं) और शाह फारुख अनवर (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
इस दौरान कांग्रेस के 11 विधायक- अशोक चव्हाण, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, प्रणीति शिंदे, जितेश अंतापुरकर, जीशान सिद्दीकी, राजू आवले, मोहन हम्बर्दे, कुणाल पाटिल, माधवराव जवलगांवकर और शिरीष चौधरी अनुपस्थित रहे. चव्हाण और वडेट्टीवार देर से आए और मतदान के समय तक सदन में प्रवेश नहीं कर पाए.
इनके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अनिल देशमुख, नवाब मलिक, दत्तात्रेय भरणे, अन्ना बंसोडे, बाबनदादा शिंदे और संग्राम जगताप मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. मनी लॉन्ड्रिंग के अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी के बाद से देशमुख और मलिक फिलहाल जेल में हैं.
भाजपा विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप गंभीर रूप से बीमार होने के कारण सदन में नहीं आए, जबकि भाजपा के राहुल नार्वेकर विधानसभा अध्यक्ष होने के कारण मतदान नहीं कर सके.
एआईएमआईएम के नेता एवं विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल भी सत्र में शामिल नहीं हुए.
शक्ति परीक्षण से पहले उद्धव ठाकरे खेमे के शिवसेना विधायक संतोष बांगर शिंदे के गुट में शामिल हो गए, जिससे मुख्यमंत्री के धड़े की संख्या 40 हो गई.
फडणवीस ने शक्ति परीक्षण के बाद कहा कि विधानसभा में विश्वास मत पर मतदान के दौरान विपक्षी दलों के विधायक ‘ईडी, ईडी’ कहकर चिल्ला रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि नई सरकार का गठन ‘ईडी’ ने किया है, जिसका मतलब एकनाथ और देवेंद्र है.’
फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे का नाम लिए बिना दावा किया कि महाराष्ट्र ने पिछले कुछ वर्षों में ‘नेतृत्व की अनुपलब्धता’ देखी है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन, सदन में दो नेता (वह स्वयं और शिंदे) हैं, जो लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे.’
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने रविवार को अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया था.
इस मामले को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावले की नियुक्ति को भी मान्यता दे दी और ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को हटा दिया.
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास 55, राकांपा के पास 53, कांग्रेस के पास 44, भाजपा के पास 106, बहुजन विकास आघाड़ी के पास तीन, समाजवादी पार्टी के पास दो, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के पास दो, प्रहार जनशक्ति पार्टी के पास दो, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पास एक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पास एक, शेतकरी कामगार पार्टी के पास एक, स्वाभिमानी पक्ष के पास एक, राष्ट्रीय समाज पक्ष के पास एक, जनसुराज्य शक्ति पार्टी के पास एक, क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के पास एक और 13 निर्दलीय विधायक हैं.
मुझे लंबे समय तक दबाया गया था: एकनाथ शिंदे
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ अपने पुराने जुड़ाव के स्पष्ट संदर्भ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि उन्हें लंबे समय तक दबाया गया था और उनके नेतृत्व में विद्रोह उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार का नतीजा था.
शिंदे ने विधानसभा में उनके नेतृत्व वाली नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद अपने भाषण में कहा, ‘आज की घटनाएं सिर्फ एक दिन में नहीं हुईं.’
उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां चुनाव के लिए आया था, तो इस सदन में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने देखा कि मेरे साथ कैसा व्यवहार किया गया. मुझे लंबे समय तक दबाया गया. सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट से शिवसेना विधायक) भी गवाह हैं.’
पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार का हवाला देते हुए शिंदे ने कहा कि राकांपा के वरिष्ठ नेता ने उन्हें बताया था कि तीन दलों वाले महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के बाद शिवसेना में एक ‘दुर्घटना’ हुई है. एमवीए सरकार नवंबर 2019 में सत्ता में आई थी.
बिना नाम लिए शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें महा विकास आघाड़ी के गठन से पहले सूचित किया था कि कांग्रेस और एनसीपी के नेता शिंदे के तहत काम करने के इच्छुक नहीं हैं.
शिंदे ने स्पष्ट रूप से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा, ‘लेकिन एमवीए सरकार बनने के बाद अजीत पवार ने मुझसे कहा कि आपकी ही पार्टी (शिवसेना) में दुर्घटना हुई है. हम आपके मुख्यमंत्री बनने के खिलाफ कभी नहीं थे.’
शिंदे ने यह भी दावा किया कि जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन सत्ता में था, तो उन्हें पहले उप-मुख्यमंत्री पद का वादा किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय मंत्री (और भाजपा नेता) नितिन गडकरी ने मुझसे कहा था कि मुझे जल्द ही एक अच्छा पद मिलेगा.’
अजीत पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नए नेता
राकांपा नेता अजित पवार को सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नया नेता नामित किया गया. वह भाजपा के देवेंद्र फडणवीस का स्थान लेंगे, जिन्होंने 30 जून को उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने घोषणा की कि पवार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में पदभार संभालेंगे. उन्होंने कहा कि 288 सदस्यीय सदन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजित पवार को एक परिपक्व नेता और प्रशासक बताया.
विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव गुट की याचिका पर सुनवाई 11 जुलाई को
इस बीच सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के गुट के नए पार्टी सचेतक को मान्यता देने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे के गुट की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि नई याचिका पर लंबित अन्य मामलों के साथ 11 जुलाई को उसी पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी.
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा, ‘सचेतक को मान्यता देना अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. यह इस अदालत के समक्ष कार्यवाही की यथास्थिति को बदल रहा है. अध्यक्ष ने आधी रात को नए सचेतक की नियुक्ति की.’
जस्टिस बनर्जी ने कहा, ‘अभी मेरे समक्ष दस्तावेज मौजूद नहीं है. इन सब पर 11 जुलाई को ही सुनवाई करते हैं.’
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने रविवार को अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया था.
नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावले की नियुक्ति को भी मान्यता दे दी और ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को हटा दिया.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने एक जुलाई को कहा था कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित किए जाने का अनुरोध करने वाली शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं.