राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भाजपा की एक ख़ासियत यह है कि वह चुनावों के वक़्त क्षेत्रीय दल से हाथ मिलाती है, लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि सहयोगी दल कम सीटें जीते.
पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को धीरे-धीरे खत्म करने का आरोप लगाया और भाजपा से नाता तोड़ने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले का समर्थन किया.
महाराष्ट्र में पुणे जिले के बारामती में पत्रकारों से बातचीत में पवार ने दावा किया कि भाजपा यह योजना बना रही थी कि शिवसेना को कैसे कमजोर किया जाए और उसमें फूट डाली जाए.
दरअसल, शिवसेना के दो गुट पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे हैं. पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की आलोचना करते हुए कहा कि ‘धनुष और तीर’ चिह्न बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना का है और उससे यह चिह्न छीनना ठीक नहीं है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार (नौ अगस्त) को भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया. इसके बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को महागठबंधन के विधायकों के समर्थन से बनी नई सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
गौरतलब है कि हाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि भविष्य में विचारधारा से प्रेरित भाजपा जैसी पार्टियों का अस्तित्व ही बचा रहेगा, जबकि परिवार द्वारा संचालित सभी पार्टियां समाप्त हो जाएंगी.
शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और पार्टी के कई विधायक उनके पाले में आ गए थे. इसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. एमवीए गठबंधन में राकांपा और कांग्रेस भी शामिल थे.
पवार ने बुधवार को दावा किया, ‘भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हाल में अपने संबोधन में कहा था कि क्षेत्रीय दलों का कोई भविष्य नहीं है और उनका अस्तित्व नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि देश में केवल उनकी पार्टी रहेगी.’
राकांपा अध्यक्ष ने कहा, ‘इस बयान से एक बात तो स्पष्ट है कि भाजपा अपने सहयोगियों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है, जो नीतीश कुमार की भी शिकायत है.’
एक उदाहरण देते हुए पवार ने कहा कि अकाली दल जैसी पार्टी उनके (भाजपा) साथ थी. उन्होंने कहा, ‘उसके नेता प्रकाश सिंह बादल भाजपा के साथ थे, लेकिन आज पार्टी पंजाब में लगभग खत्म हो गई है.’
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा कई वर्षों तक साथ रहीं. उन्होंने कहा, ‘आज भाजपा यह योजना बना रही है कि शिवसेना में फूट डालकर उसे कैसे कमजोर किया जा सकता है और (महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री) एकनाथ शिंदे व अन्य ने इसमें मदद की है.’
राकांपा नेता ने कहा कि ऐसा करने में शिवसेना पर उस पार्टी ने वार किया, जो कभी उसकी सहयोगी थी. उन्होंने कहा कि बिहार में भी ऐसी स्थिति बनती दिख रही थी.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ा था.
पवार ने दावा किया, ‘भाजपा की एक और खासियत यह है कि वह चुनावों के वक्त क्षेत्रीय दल से हाथ मिलाती है, लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि सहयोगी दल कम सीटें जीते. महाराष्ट्र में भी ऐसा ही हुआ.’
उन्होंने कहा कि जब बिहार में भी ऐसी ही तस्वीर बनती दिखी तो राज्य के मुख्यमंत्री पहले ही सतर्क हो गए और उन्होंने भाजपा से संबंध तोड़ने का फैसला ले लिया.
पवार ने कहा, ‘चाहे भाजपा नेता नीतीश कुमार की कितनी भी आलोचना करें लेकिन उन्होंने विवेकपूर्ण फैसला किया है. उन्होंने भाजपा द्वारा पैदा किए जा रहे संकट को भांपते हुए यह फैसला लिया. मुझे लगता है कि उन्होंने अपने राज्य तथा पार्टी के लिए बुद्धिमानी भरा निर्णय लिया.’
पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर शिवसेना के दो गुटों के बीच खींचतान को लेकर पवार ने कहा कि ‘धनुष और तीर’ शिवसेना का चुनाव चिह्न है.
पवार ने कहा, ‘किसी राजनीतिक दल का चुनाव चिह्न ले लेना या उस पर बहस करना ठीक नहीं है, क्योंकि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना के समय से ही इसे (चिह्न) अपनाया था और जिसकी जड़ें महाराष्ट्र के लोगों के मस्तिष्क में हैं.’
उन्होंने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे या अन्य कोई अलग रुख अपनाना चाहते हैं तो वे निश्चित रूप से अपनी पार्टी बना सकते हैं और उनका अपना चुनाव चिह्न हो सकता है.
पवार ने कहा, ‘जब कांग्रेस के साथ मेरे मतभेद थे, तो हमने एक अलग पार्टी – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई और ‘घड़ी’ को इसके चिह्न के रूप में चुना. हमने उनका चिह्न नहीं लिया और कोई विवाद नहीं खड़ा किया.’
श्रीलंका में आर्थिक संकट और बांग्लादेश में इसी तरह की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि श्रीलंका में सत्ता कई वर्षों तक एक ही परिवार के हाथों में रही और देश का नेतृत्व लोगों की चिंताओं का समाधान करने में विफल रहा और इस वजह से उस देश में असंतोष बढ़ने लगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आज बांग्लादेश में भी यही स्थिति देखी जा रही है और पाकिस्तान में भी ऐसा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. हमारे देश में सत्ता में बैठे लोगों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के सभी घटकों को हमारे आस-पास की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है.’
पवार ने कहा कि लोगों के मन में इस बात को लेकर संदेह पैदा हो रहा है कि क्या भारत में राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का केंद्रीकरण होगा. उन्होंने कहा, ‘हालांकि आज ऐसी कोई तस्वीर नहीं है, लेकिन हमें सतर्क रहने और ध्यान रखने की जरूरत है.’
राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि संसद का मानसून सत्र 12 अगस्त तक चलेगा.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में हमें नहीं लगा कि केंद्र सरकार की संसद चलाने में दिलचस्पी है. जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे सत्र को रोक देते हैं और चर्चा का रास्ता बंद कर देते हैं.’