सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान मांगा जवाब, याचिका में केंद्र से 40,000 करोड़ के सूखा राहत पैकेज, कृषि ऋण माफी और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग की गई है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 23 अक्टूबर को तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह धान और बाजरा जैसी अधिसूचित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत किसानों के कल्याण के लिये उसके द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी दे.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने के पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार को निर्देश दिए कि वह इस मामले में न्यायमित्र द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करे और चार हफ्तों में समग्र हलफनामा दायर करे.
पीठ ने कहा, इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए इसे लेकर एक समग्र हलफनामा दायर करे. पीठ में प्रधान न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड भी शामिल हैं.
उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के जरिये दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में केंद्र से 40,000 करोड़ के सूखा राहत पैकेज, कृषि ऋण माफी और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना करने की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र के तौर पर अदालत की मदद कर रहे एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने छह पेज का एक नोट अदालत में जमा किया, जिसमें किसानों के संदर्भ में राज्य सरकार के हलफनामे को लेकर बिंदुवार तरीके से किया गया उनका आकलन था.
ज्ञात हो मार्च महीने से ये किसान तमिलनाडु से आकर दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. हाल में किसानों की आत्महत्या की दर बढ़ने, किसानों पर कर्ज बढ़ने, खेती में लागत न निकलने और अन्य कृषि संकट के चलते किसानों में गुस्सा है. यह गुस्सा जगह जगह आंदोलन के रूप में सामने आ रहा है.