राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने का अनुरोध उन्हें जवाबदेह बनाने और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि वह सियासी दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाने संबंधी ज्ञापन पर विचार करे. राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने का अनुरोध उन्हें जवाबदेह बनाने और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए किया गया है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि इस संबंध में पहले वह चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रखें. उपाध्याय दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता एवं अधिवक्ता हैं.
याचिकाकर्ता ने सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार से निबटने के लिए केंद्र को कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की थी.
इसमें कहा गया, ‘जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2 एच के तहत सार्वजनिक प्राधिकार घोषित किया जाए ताकि उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जा सके और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल को रोका जा सके.’
जनहित याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग को आरटीआई कानून एवं राजनीतिक दलों से संबंधित अन्य कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए और ऐसा नहीं होने की स्थिति में उनकी मान्यता रद्द किया जाए.