किसानों को बाज़ार स्थलों से जोड़ने के मक़सद से अगस्त 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान ‘किसान रेल सेवा’ शुरु की गई थी. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने इसमें 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी आवंटित की थी, लेकिन कुल सब्सिडी 121.86 करोड़ रुपये होने पर उसने शेष राशि का भुगतान करने से मना कर दिया.
नई दिल्ली: रेलवे को पिछले वित्त वर्ष में किसानों की मदद के लिए संचालित ‘किसान रेल सेवा’ पर अतिरिक्त सब्सिडी के रूप में खर्च की गई 71.86 करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डालनी पड़ी है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, रेलवे ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ‘किसान रेल सेवा’ के तहत सब्सिडी पर कुल 121.86 करोड़ रुपये खर्च किए. यह राशि इस सेवा के नोडल निकाय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की तरफ से सब्सिडी के लिए स्वीकृत 50 करोड़ रुपये की राशि से दोगुनी थी.
दरअसल, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने स्वीकृत राशि से अधिक रकम का बोझ उठाने से मना कर दिया है. इसकी वजह से रेल मंत्रालय को ‘किसान रेल सेवा’ के तहत 71.86 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का बोझ खुद ही उठाना पड़ा है और उसने इस राशि को बट्टे खाते में डाल दिया है.
किसानों की मदद के लिए संचालित ‘ऑपरेशन ग्रीन्स- टॉप टू टोटल’ योजना के तहत ही किसान रेल सेवा चलाई गई. इस योजना के तहत रेलवे के माध्यम से फलों एवं सब्जियों की ढुलाई के लिए सीधे किसानों एवं कारोबारियों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है.
किसान रेल सेवा की शुरुआत कोविड-19 महामारी के दौरान अगस्त 2020 में की गई थी. इसके जरिये कृषि उपज पैदा करने वाले किसानों को बाजार स्थलों से जोड़ने का मकसद रखा गया था.
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष के लिए इस सब्सिडी के मद में 50 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इस राशि का भुगतान मंत्रालय ही करता है, लेकिन इससे अधिक सब्सिडी राशि का भुगतान करने से उसने मना कर दिया है.
इस संदर्भ में समाचार एजेंसी पीटीआई की तरफ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेलवे ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उसने सब्सिडी पर 121.86 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की तरफ से उसे 50 करोड़ रुपये ही मिले.
रेलवे ने कहा, ‘अतिरिक्त सब्सिडी व्यय की भरपाई का मुद्दा कई बार उठाया गया लेकिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने कहा है कि इसके लिए अतिरिक्त कोष का आवंटन संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में बकाया 71.86 करोड़ रुपये की राशि रेलवे के बहीखाते में बकाया के रूप में दर्ज है. रेल मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद इस राशि को बट्टे खाते में डाल दिया गया है.’
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान किसान रेल सेवा के तहत रेलवे ने 1,851 ट्रेनों का परिचालन किया था. वहीं, चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक ऐसी 63 ट्रेन चलाई जा चुकी हैं.