राज्यसभा नियमों के अनुसार, बहस के दौरान राजनीतिक दलों की संख्या के अनुसार समय का आवंटन किया जाता है. जिस दल के जितने अधिक सदस्य होते हैं, उसे उतना ही अधिक समय दिया जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा सदन में अपनी पार्टी जद (एस) के एकमात्र सदस्य हैं, इसलिए उन्हें अपनी बात रखने के लिए सबसे कम समय आवंटित होता है.
नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को उच्च सदन को आश्वासन दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा जैसे अनुभवी सदस्यों को अहम मुद्दों पर विचार व्यक्त करने के लिए वरीयता दी जाएगी.
राज्यसभा के नए सभापति के रूप में धनखड़ का अभिनंदन करते हुए बुधवार (7 दिसंबर) को कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया था कि अनुभवी सदस्यों को राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर विचार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए.
धनखड़ ने संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान कहा, ‘आसन पर भरोसा रखें. आसन पक्षपाती नहीं है. आसन राष्ट्रीय है.’ उन्होंने सदस्यों से महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की विचारधारा से ऊपर उठने का भी आग्रह किया.
राज्यसभा के नियमों के अनुसार, किसी मुद्दे पर बहस के दौरान राजनीतिक दलों की संख्या के अनुसार समय का आवंटन किया जाता है और जिस दल के जितने अधिक सदस्य होते हैं, उस पार्टी को उतना ही अधिक समय दिया जाता है.
देवेगौड़ा सदन में अपनी पार्टी जद (एस) के एकमात्र सदस्य हैं और इसलिए उन्हें अपनी बात रखने के लिए सबसे कम समय आवंटित होता है.
धनखड़ ने कहा कि दो पूर्व प्रधानमंत्री – देवेगौड़ा और मनमोहन सिंह – सदन के सदस्य हैं और अहम मामलों पर उनके विचार पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण होंगे.
उन्होंने कहा, ‘अगर किसी मुद्दे पर माननीय पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा बोलना चाहते हैं तो यह पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण बात होगी. मैं पहले उनको और फिर नियम पुस्तिका को देखूंगा.’
उन्होंने यह भी कहा कि जयराम रमेश (कांग्रेस) जैसे वरिष्ठ सांसदों को भी समय दिया जाएगा अगर वे अपनी विशेषज्ञता वाले विषय पर हस्तक्षेप करना चाहते हैं.
धनखड़ ने सदन को आश्वासन दिया, ‘सभापति संरक्षक और रक्षक होते हैं.’