देश की अधिकांश विधानसभाओं में 15 प्रतिशत से भी कम महिला विधायक: सरकारी डेटा

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से कम है. पूरे देश में विधानसभाओं में महिला विधायकों का औसत केवल आठ प्रतिशत है. वहीं, लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी 14.94 प्रतिशत और राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत है. 

/
2016 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ विमेन लेजिस्लेटर में महिला सांसदों और विधायकों से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से कम है. पूरे देश में विधानसभाओं में महिला विधायकों का औसत केवल आठ प्रतिशत है. वहीं, लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी 14.94 प्रतिशत और राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत है.

2016 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ विमेन लेजिस्लेटर में महिला सांसदों और विधायकों से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: महिला आरक्षण विधेयक को दोबारा पेश किए जाने की मांगों के बीच सामने आया एक सरकारी डेटा संसद एवं विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व निराशाजनक तस्वीर पेश करता है.

लोकसभा में नौ दिसंबर 2022 को विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पुडुचेरी, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से कम है.

आंकड़ों के अनुसार, जिन राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से अधिक है, उनमें बिहार (10.70), छत्तीसगढ़ (14.44), हरियाणा (10), झारखंड (12.35), पंजाब (11.11), राजस्थान (12), उत्तराखंड (11.43), उत्तर प्रदेश (11.66), पश्चिम बंगाल (13.70), दिल्ली (11.43) शामिल हैं.

हाल में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में जीतने वाली महिलाओं की संख्या 8.2 प्रतिशत है, जबकि हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार केवल एक महिला उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहीं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी 14.94 प्रतिशत और राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत है. यह 25.5 फीसदी के वैश्विक औसत से कम है. वहीं, पूरे देश में विधानसभाओं में महिला विधायकों का औसत केवल आठ प्रतिशत है.

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने संसद एवं राज्य विधानसभाओं में महिला सांसदों/विधायकों के प्रतिनिधित्व एवं महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार का संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाने का विचार है?

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसके जवाब में सदन में कहा था, ‘लैंगिक न्याय सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है. इस मुद्दे पर संसद के समक्ष संविधान संशोधन विधेयक लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों को सहमति के आधार पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श करने की आवश्यक्ता है.’

उल्लेखनीय है कि इस सत्र के शुरू होने से पहले में बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल यूनाइटेड, तृणमूल कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों ने सरकार से महिला आरक्षण विधेयक को नए सिरे से संसद में पेश करने एवं पारित कराने की मांग की है.

इस विषय पर बीजू जनता दल के राज्यसभा सदस्य डॉ. सस्मित पात्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि उनकी पार्टी ने संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की सरकार से मांग की है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार विधेयक लाती है तो हमारी पार्टी इसका समर्थन करेगी.’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के विषय पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बार-बार अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं.

संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू हुआ है और यह 29 दिसंबर तक चलेगा.

कुछ दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की तथा शिरोमणि अकाली दल, जदयू, द्रमुक जैसे दलों ने इसका समर्थन किया था.

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अब समय आ गया है कि महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाए और महिलाओं को उनका हक दिया जाए. जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने का समय है और सरकार को यह विधेयक लाना चाहिए .

गौरतलब है कि लंबे समय से महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग हो रही है. इस विधेयक को पहली बार 1996 में संसद में पेश किया गया था. इसके बाद इसे कई बार पेश किया गया.

साल 2010 में इस विधेयक को राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद इस विधेयक की मियाद खत्म हो गई.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq