दिल्ली सरकार कोविड-19 से मौत के लिए मुआवज़े की घोषणा से पीछे नहीं हट सकती: हाईकोर्ट

दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल का 5 मई 2020 को कोविड-19 ड्यूटी के दौरान संक्रमण से निधन हो गया था. तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की थी. याचिका में मृतक कॉन्स्टेबल की पत्नी ने कहा है कि वह वादे के बाद मुआवज़ा हासिल करने के लिए दर-दर भटकती रही हैं.

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अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल का 5 मई 2020 को कोविड-19 ड्यूटी के दौरान संक्रमण से निधन हो गया था. तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की थी. याचिका में मृतक कॉन्स्टेबल की पत्नी ने कहा है कि वह वादे के बाद मुआवज़ा हासिल करने के लिए दर-दर भटकती रही हैं.

अरविंद केजरीवाल. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि उन्हें कोविड-19 से मौत के लिए अनुग्रह राशि (मुआवजा) की घोषणा से पीछे नहीं हटना चाहिए और महामारी से जान गंवाने वाले दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने के मुद्दे पर निर्णय करना चाहिए.

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने मृतक की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिकारियों ने एक ‘स्पष्ट बातचीत’ थी, जिसकी प्रेस क्लिपिंग भी है और इसे देखकर इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता कि दिल्ली सरकार ने मृतक के परिवार के लिए एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की थी.

याचिकाकर्ता के पति का 5 मई, 2020 को निधन हो गया था और उस समय वह गर्भवती थीं. दिल्ली पुलिस के युवा कॉन्स्टेबल को कोविड-19 लॉकडाउन उपायों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए दीपचंद बंधु अस्पताल में तैनात किया गया था.

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला ‘कठिन’ है तथा इस पर एक सहानुभूतिपूर्ण विचार की आवश्यकता है. मुआवजे के भुगतान में और देरी नहीं की जा सकती.

दिल्ली सरकार ने कहा कि मार्च 2020 के एक कैबिनेट निर्णय के अनुसार, इस संबंध में कोई निर्णय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा राजस्व मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री के अनुमोदन से लिया जा सकता है और मामला उनके विचार के लिए भेजा जा सकता है.

अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा था, ‘इस हिसाब से 13 मार्च 2020 को कैबिनेट के फैसले के अनुसार मामले को मंत्रियों के उपरोक्त समूह के समक्ष रखा जाए.’

अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादियों को अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए की गई स्पष्ट घोषणा से पीछे नहीं हटना चाहिए. उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, याचिकाकर्ता को देय मुआवजे में अब और देरी नहीं की जा सकती.’

अदालत ने निर्देश दिया कि इस संबंध में अधिकारियों के फैसले को 15 जनवरी तक रिकॉर्ड में रखा जाए.

याचिकाकर्ता ने कहा कि महामारी के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेशों में दिल्ली पुलिसकर्मियों को शहर भर में कोविड-19 ड्यूटी के लिए तैनात करने की आवश्यकता थी और इसलिए प्रतिवादियों द्वारा यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि जान गंवाने वाला कॉन्स्टेबल कोविड-19 ड्यूटी पर नहीं था.

याचिका में मृतक कॉन्स्टेबल की पत्नी ने कहा है कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा सात मई, 2020 को एक ट्वीट में किए गए वादे के बाद मुआवजा हासिल करने के लिए दर-दर भटकती रही है.

इसमें केजरीवाल के ट्वीट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था, ‘अमितजी ने अपनी जान की परवाह नहीं की और हम दिल्लीवालों की सेवा करते रहे. वह कोरोना से संक्रमित हो गए और उनका निधन हो गया. मैं सभी दिल्लीवासियों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं. उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी.’

महिला ने कहा है कि उनके पति पुलिस बल से पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया और वह अपने पति की मृत्यु के समय गर्भवती थीं. उन्हें अपने दो बच्चों की देखभाल करनी है.

मामले में अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी.