6 जनवरी 2021 को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में हार के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की भीड़ ने संसद पर हमला बोल दिया था. जांच समिति ने भीड़ को संसद में बुलाने के लिए ट्रंप की निंदा करते हुए कहा है कि उनका इरादा हमारे संविधान के तहत सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण को बाधित करने का था.
वॉशिंगटन: अमेरिकी संसद परिसर में पिछले साल हुए दंगों की जांच समिति ने सोमवार (19 दिसंबर) को न्याय विभाग से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक आरोप तय करने की सिफारिश की. सदन की समिति ने 6 जनवरी 2021 को संसद पर ट्रंप समर्थकों द्वारा हिंसक हमले के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराया है.
करीब दो साल पहले भीड़ को संसद में बुलाने के लिए ट्रंप की निंदा करते हुए जांच समिति के अध्यक्ष बेनी थॉम्पसन ने लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास को कम करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की.
थॉम्पसन ने कहा, ‘अगर विश्वास तोड़ा जाता है, तो हमारा लोकतंत्र भी टूटता है. डोनाल्ड ट्रंप ने उस विश्वास को तोड़ दिया.’
द्विदलीय जांच समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की कि उन पर विद्रोह, आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालने, संयुक्त राज्य अमेरिका को धोखा देने की साजिश और झूठा बयान देने की साजिश का आरोप लगाया जाए.
थॉम्पसन ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली जवाबदेही तय कर सकती है. साथ ही कहा, ‘हमें पूरा विश्वास है कि इस समिति का काम न्याय की रूपरेखा प्रदान करने में मदद करेगा.’
ट्रंप बोले- यह मुझे किनारे करने का प्रयास है
सोमवार को ही ट्रंप ने जवाबी प्रतिक्रिया में सांसदों पर उनके खिलाफ ‘झूठे आरोपों’ की सिफारिश करने का आरोप लगाया और कहा कि यह उन्हें भविष्य में राष्ट्रपति की दौड़ से बाहर करने का प्रयास है.
ट्रंप ने अपने ट्रुथ नामक सोशल मीडिया मंच पर एक पोस्ट में कहा, ‘मुझ पर मुकदमा चलाने की यह पूरी कवायद महाभियोग की तरह है. मुझे और रिपब्लिकन पार्टी को किनारे करने का एक पक्षपातपूर्ण प्रयास है.’
गौरतलब है कि पिछले महीने ट्रंप ने 2024 में ह्वाइट हाउस की दौड़ में बने रहने के अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे.
जांच समिति ने ट्रंप के खिलाफ सबूत पेश किए
जांच समिति के सदस्य जेमी रस्किन ने कहा, ‘समिति ने महत्वपूर्ण सबूत जुटाए हैं कि ट्रंप का इरादा हमारे संविधान के तहत सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण को बाधित करने का था.’
अमेरिकी इतिहास में यह पहली बार है कि कांग्रेस ने पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ आरोपों की सिफारिश की है.
समिति के उपाध्यक्ष रिपब्लिकन पार्टी के लिज चेनी ने कहा, ‘हमारे इतिहास में हर राष्ट्रपति ने, सिवाय एक को छोड़कर, सत्ता के इस व्यवस्थित हस्तांतरण का बचाव किया है.’
समिति ने 154 पृष्ठ की रिपोर्ट तैयार की है, जिसे सुनवाई समाप्त होते ही सार्वजनिक कर दिया गया.
समिति ने पाया कि ट्रंप 2020 के चुनाव को उलटने की साजिश में शामिल थे, जिसके चलते जान-बूझकर मतदाता धोखाधड़ी के झूठे आरोपों का प्रसार किया और कांग्रेस, न्याय विभाग एवं अपने उपराष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे नतीजों को पलटने के उनके प्रयासों में शामिल हों, ताकि वे सत्ता में बने रह सकें और फिर वे 6 जनवरी 2021 को अपने समर्थकों को संसद छोड़ने के लिए कहने से घंटों तक इनकार करते रहे.
हालांकि, रिपोर्ट के अधिकांश मुख्य निष्कर्ष नए नहीं हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह हाल के इतिहास में एक अमेरिकी राष्ट्रपति के सबसे खराब चित्रण में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सिफारिशें ज्यादातर प्रतीकात्मक हैं, क्योंकि यह न्याय विभाग पर निर्भर करता है कि वह आरोपों को तय करे या नहीं.
समिति इस निर्णय तक कैसे पहुंची?
6 जनवरी 2021 को हुए दंगों की 18 महीने की जांच सोमवार की बैठक के साथ समाप्त हो गई.
ट्रंप समर्थकों के संसद में घुसने की उक्त घटना के दौरान या उसके तुरंत बाद एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी और 140 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे. संसद को लाखों डॉलर का नुकसान हुआ था.
इसके बाद सीनेट में रिपब्लिकन ने हिंसा की जांच के लिए एक द्विसदनीय आयोग बुलाने के प्रयास को रोक दिया.
इसके बाद निवर्तमान हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने सात डेमोक्रेट और दो रिपब्लिकन सदस्यों से बनी जांच समिति नियुक्ति की, और उसने जुलाई 2021 में अपनी पहली बैठक की.
समिति ने 1,000 से अधिक साक्षात्कार किए, 10 सार्वजनिक सुनवाई कीं और 10 लाख से अधिक दस्तावेज एकत्र किए.
(यह रिपोर्ट मूल रूप से डीडब्ल्यू पर प्रकाशित हुआ है, इसे अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)