पचास रुपये के नये नोटों में नेत्रहीन लोगों के लिए किसी प्रकार का पहचान चिह्न नहीं है जिससे कि वे इसे पहचान सकें.

नई दिल्ली: पचास रुपये के नये नोट ऐसे हैं जिन्हें दृष्टिहीन व्यक्ति नहीं पहचान सकते. इस बात का दावा करते हुए बीते शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
याचिका में कहा गया है कि पचास रुपये के नये नोटों में नेत्रहीन लोगों के लिए किसी भी प्रकार का पहचान चिन्ह नहीं रखा गया है, जिससे वह मूल्यवर्ग के बीच अंतर कर सकें.
इस पर अदालत ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है.
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को केंद्र सरकार और आरबीआई के तत्काल ध्यान में लाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह सार्वजनिक महत्व का मामला है.
पीठ ने कहा कि यह मुद्दा सार्वजनिक महत्व और नेत्रहीन लोगों के अधिकारों से जुड़ा हुआ है. इस पर आरबीआई और केंद्र सरकार के तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है.
न्यायालय ने सरकार और आरबीआई को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है. हालांकि पीठ ने 50 रुपये के नये नोटों के मुद्रण और वितरण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
तीन वकीलों और एक कंपनी सचिव ने यह याचिका दायर की है. याचिका में दावा किया है कि नये पचास के नोटों में नेत्रहीनों के मूल्यवर्ग पहचानने के लिए किसी तरह की पहचान चिन्ह नहीं दिया गया है.