हाल ही में केंद्र सरकार ने अमेरिकी सिख व्यवसायी दर्शन सिंह धालीवाल को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया है. किसान आंदोलन के दौरान लंगर चलाने के चलते अक्टूबर 2021 में धालीवाल को सरकार ने भारत में प्रवेश करने से रोक दिया था और दिल्ली हवाई अड्डे से निर्वासित कर दिया था.
जालंधर (पंजाब): केंद्र सरकार ने अमेरिकी व्यवसायी दर्शन सिंह धालीवाल को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से नवाजा है. गौरतलब है कि इन्हीं धारीवाल को किसान आंदोलन के दौरान सबसे बड़ा लंगर चलाने के चलते अक्टूबर 2021 में दिल्ली हवाई अड्डे से निर्वासित (देश से वापस भेजना) कर दिया गया था.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार (12 जनवरी) को मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस के 17वें संस्करण के दौरान धालीवाल को पुरस्कार प्रदान किया. विस्कॉन्सिन के मिल्वौकी में रहने वाले धालीवाल भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. उन्हें व्यवसाय और सामुदायिक कल्याण में उनके योगदान के लिए पहचाना गया.
President #DroupadiMurmu confers #PravasiBharatiyaSamman Award on Dr. Darshan Singh Dhaliwal(USA) for his contribution in Business and Community Welfare
Founder of Bulk Petroleum Corporation, Dr.Dhaliwal has provided thousands of scholarships for Indian Students@IndianEmbassyUS pic.twitter.com/eeMARIxblI
— All India Radio News (@airnewsalerts) January 10, 2023
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर लंबे चले किसान आंदोलन के दौरान जब धालीवाल भारत आए तो इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने उनसे और उनके परिवार के अन्य सदस्यों से आंदोलन को समर्थन देने या देश में प्रवेश करने के विकल्पों में से एक का चयन करने के लिए कहा था.
उन्होंने अपने पिता की याद में सिंघू बॉर्डर पर लंगर का आयोजन किया था.
दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरते ही धालीवाल को देश में प्रवेश करने से मना करने के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था और उनसे मामले में निजी हस्तक्षेप करने के लिए कहा था.
सम्मान प्राप्त करने के बाद मीडिया ने धालीवाल के हवाले से लिखा, ‘प्रधानमंत्री मोदी भारत के अंदर और बाहर दोनों जगह सिख समुदाय के साथ काम करने के लिए वास्तव में बहुत अधिक प्रयास कर रहे हैं. वह देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. और मुझे नहीं मालूम कि वह और क्या कर सकते हैं?’
धालीवाल को अप्रवासी भारतीयों के लिए सबसे बड़े सम्मानों में से एक मिला है, जिसने दो कारणों से सुर्खियां बटोरी हैं: पहला, मोदी सरकार का धालीवाल को लेकर अपने रुख में स्पष्ट बदलाव; दूसरा, धालीवाल का मोदी सरकार की तारीफ करना.
दर्शन सिंह धालीवाल के भाई पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता सुरजीत सिंह रखड़ा हैं.
धालीवाल 1972 में अमेरिका चले गए थे. वे अमेरिका के छह राज्यों में 100 से अधिक पेट्रोल और गैस स्टेशन के मालिक हैं. उनका नाम परोपकारी कार्य करने वालों में गिना जाता है.
उन्होंने तमिलनाडु में भी 2004 की सुनामी के बाद लंगर चलाए थे और राहत कार्यों में धन दिया था, भारत और अन्य जगहों पर अनेक छात्रों को छात्रवृत्ति दी है, अमेरिका में व्यवसाय स्थापित करने के लिए कई भारतीयों की मदद की और अमेरिका के मिल्वौकी में फुटबॉल मैदान के लिए भी पैसा दान दिया. इसके अलावा पंजाब में विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया है.
सम्मान से खुश हूं: धालीवाल
द वायर से फोन पर बात करते हुए धालीवाल ने कहा कि उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान के संबंध में तीन हफ्ते पहले एक पत्र मिला था.
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी पत्नी और बेटी के साथ पुरस्कार लेने भारत आया. मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने मुझे किसी भी एनआरआई या पीआईओ को मिलने वाले सर्वोच्च स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया.’
लंगर का आयोजन और किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए 2021 में निर्वासित किए जाने के बाद उन्हें सम्मानित करने के मोदी सरकार के फैसले के बारे में टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर धालीवाल ने कहा कि अप्रैल 2022 में जब उन्हें सिख प्रतिनिधिमंडल के बीच आमंत्रित किया गया था, तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे व्यक्तिगत तौर पर बात की थी.
उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की थी.
उन्होंने कहा, ‘किसान आंदोलन के दौरान जब मुझे निर्वासित किया गया था तो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई थी और मेरे पास अब भी कहने के लिए बहुत कुछ नहीं है. ऐसा सम्मान पाकर मैं बहुत खुश हूं. मैं हमेशा अपने समुदाय के साथ रहा हूं और उनकी सेवा करता रहूंगा.’
उन्होंने दावा किया कि मुलाकात के दौरान मोदी ने उनसे कहा था, ‘हमसे गलती हो गई थी, जो हमने आपको वापस भेजा, आपका बड़प्पन है कि हमारे कहने पर आप फिर आए.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी अपने आवास पर 150 लोगों के सामने मुझसे मिले थे.’
धालीवाल जिस बैठक का जिक्र कर रहे थे, उसे अप्रैल 2022 में ‘सद्भावना: अ जेस्चर ऑफ गुडविल’ कहा गया था, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया था.
सिख समुदाय के लिए मोदी की पहल की सराहना करने वाले अपने बयानों पर धालीवाल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने लंगर पर जीएसटी माफ किया, करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोला, छोटे साहिबजादे (श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्र) को एक नई अंतरराष्ट्रीय पहचान दी और गुरु श्री तेग बहादुर का 400वीं जयंती राष्ट्रीय स्तर पर मनाई, सिख समुदाय के लिए कभी किसी ने ये काम नहीं किए. वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति हैं.’
हालांकि, सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले कई किसानों और कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री मोदी के रुख के बारे में टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर धालीवाल बोले, ‘मैं किसानों के ठहरने और भोजन के लिए समर्थन कर रहा था. मैं कानून के लिए नहीं था और न ही उनके खिलाफ था. मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है.’
उन्होंने कहा कि विरोध राजनीतिक था और वह केवल सामाजिक कार्य करते हैं.
व्यवसायी ने यह भी कहा कि सोमवार को प्रवासी भारतीय सम्मान कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. धालीवाल ने कहा, ‘उन्होंने मुझे पहचान लिया और कहा कि वह सितंबर में अमेरिका आएंगे. मैंने उनसे हमसे मिलने आने के लिए कहा.’
Darshan Singh Dhaliwal meeting PM narendra modi at Pravasi Bharatiya Samman Awards-2023 in indore, MP #darshansinghdhaliwal #NarendraModi #PravasiBhartiyaDivas2023 #Indore #MadhyaPradesh #punjab #indian @narendramodi #PMOIndia pic.twitter.com/cWpa7A88Sh
— shivraj singh virk (@ShivrajVirk) January 9, 2023
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद धालीवाल को जून 2022 में अमेरिका के शिकागो में एक कार्यक्रम में देखा गया था, जहां प्रधानमंत्री मोदी पर लिखीं दो पुस्तकों का अनावरण श्री श्री रविशंकर और अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू द्वारा किया गया था. धालावील, जो भारतीय राजदूत के पास खड़े थे, ने प्रधानमंत्री मोदी को समर्पित पुस्तकों का अनावरण किया था.
मोदी ने भी विशेष तौर पर दिल्ली के लाल किला में गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के दौरान राष्ट्र को संबोधित किया था. उस घटना को कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद सिख समुदाय का दिल जीतने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा गया था.
ज्ञात हो कि देश भर के किसानों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान, ने दिल्ली की सीमाओं पर साल भर चले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसने मोदी सरकार और किसान समुदाय के बीच एक दरार पैदा कर दी थी.
भाजपा के सिखों तक पहुंचने के प्रयास
अपने भाई को दिए गए सम्मान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिरोमणि अकाली दल नेता सुरजीत सिंह रखड़ा ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि देर आए, दुरुस्त आए. जब किसान आंदोलन के दौरान मेरे भाई को प्रताड़ित किया गया और दिल्ली हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया, हमारा मन में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं था और अभी भी हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. मीडिया ने इस पर व्यापक तौर पर खबरें की हैं, लेकिन हमने कुछ नहीं कहा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें नहीं पता कि क्या कोई गलतफहमी थी जिसके कारण मेरे भाई को इतनी परेशानी का सामना करना पड़ा. ज्यादा से ज्यादा हम केंद्र सरकार से अनुरोध कर सकते थे कि उन्हें हवाईअड्डे से बाहर आने दिया जाए, लेकिन उस समय कुछ भी नहीं कर सके. हालांकि, मेरे भाई को सम्मानित करने के लिए हम सरकार के शुक्रगुजार हैं. यह हमारे लिए एक बड़ा सम्मान है.’
चंडीगढ़ स्थित पत्रकार, लेखक और पंजाब मामलों पर टिप्पणीकार जगतार सिंह ने मोदी सरकार के फैसले को सिख नेताओं को खुश करने का प्रयास करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘वे सिख नेताओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा का व्यापक एजेंडा सिख समुदाय का दिल जीतना है. वे एक साल से अधिक समय से इस नीति का पालन कर रहे हैं. पिछले साल भी कुछ लोग भारत आए थे, जिनमें वो भी शामिल थे, जिन्हें भारत सरकार ने ब्लैक लिस्ट कर दिया था. दूसरी बात, मूल मुद्दा भाजपा की पंजाब में अपनी जमीन बनाने आकांक्षा है. वे पंजाब में समानांतर सिख नेतृत्व तैयार करना चाहते हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या सिख समुदाय तक पहुंच बनाने के मोदी सरकार के प्रयास पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेंगे, जगतार सिंह ने कहा, ‘भाजपा जिन सिख नेताओं से संपर्क कर रही है, उनका पंजाब में कोई जमीनी आधार या नेतृत्व नहीं है. ऐसे लोग हैं, जिन्हें भाजपा अपने साथ जोड़ रही है, लेकिन उसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. पंजाब में भाजपा अपने दम पर नेतृत्व नहीं कर सकती. उन्हें जमीन हासिल करने के लिए किसी न किसी पार्टी से गठबंधन करना होगा.’
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