नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने कहा- वह स्वतंत्र भारत को धर्मनिरपेक्ष देखना चाहते थे

स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने उनकी जयंती पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि जो लोग नेताजी से प्यार करते हैं वे उनके अवशेषों को वापस लाकर उन्हें सबसे अच्छा सम्मान दे सकते हैं. वह अपने पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान से भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार से बार-बार अनुरोध करती रही हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा. (फोटो साभार विकिपीडिया)

स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने उनकी जयंती पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि जो लोग नेताजी से प्यार करते हैं वे उनके अवशेषों को वापस लाकर उन्हें सबसे अच्छा सम्मान दे सकते हैं. वह अपने पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान से भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार से बार-बार अनुरोध करती रही हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा. (फोटो साभार विकिपीडिया)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर उनकी बेटी अनिता बोस फाफ द्वारा जारी पूरा प्रेस कथन नीचे दिया गया है. उनका यह कथन दो दिन पहले उनके द्वारा यह कहे जाने के बाद आया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा उनके पिता का जन्मदिन मनाने की योजना उनके पिता की विरासत का ‘आंशिक रूप से शोषण’ करने के लिए है. गौरतलब है कि फाफ अपने पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान से भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार से बार-बार अनुरोध करती रही हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 126 साल पहले हुआ था.

भले ही उनकी मृत्यु 77 साल से अधिक समय पहले विदेश में हुई थी और उनके अवशेष अभी भी विदेशी जमीन पर हैं, फिर भी उनके देश के लोग उन्हें भूले नहीं हैं.

वे उन्हें न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के तौर पर एक अलग तरीके से याद करते हैं, बल्कि पूरी राजनीतिक बिरादरी के सभी दलों के सदस्य, जिनमें उनके विचार और विचारधारा को साझा करने वाले दल और जो साझा नहीं करते हैं वो भी, उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और भारत के लिए उनके बलिदान के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं.

अपने सम्मान और प्यार के साथ वे अपने देश के लिए उनके बलिदान का बदला चुकाते हैं.

नेता जी को उनके विचारों और स्वतंत्र भारत की परिकल्पना के लिए याद किया जाना चाहिए:

  • भारत को एक आधुनिक राज्य बनना था, जिसका अन्य देश सम्मान करते थे. इसलिए सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए शिक्षा उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी.
  • वह सभी धर्मों, जातियों और सभी सामाजिक स्तरों के सदस्यों के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए समान अधिकारों, अवसरों और कर्तव्यों में विश्वास करते थे. इसका मतलब सभी वंचित लोगों का सशक्तिकरण और उद्धार था.
  • व्यक्तिगत तौर पर वे एक धार्मिक व्यक्ति थे. हालांकि, वह चाहते थे कि स्वतंत्र भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बने जहां सभी धर्मों के सदस्य शांतिपूर्वक और परस्पर सम्मान के साथ रह सकें. इन मूल्यों का इंडियन नेशनल आर्मी और उनके निजी क्रियाकलापों में भी पालन होता था.
  • वह समाजवाद से प्रेरित एक राजनेता थे, जिन्होंने भारत के एक आधुनिक और समाजवादी, या आज के संदर्भ में सामाजिक-लोकतांत्रिक, राज्य बनने की कल्पना की थी, जिसमें सभी की भलाई के लिए समान अवसर हों. भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में उन्हें ऐसे फासीवादी देशों का सहयोग और समर्थन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा जो उनकी विचारधारा और राजनीतिक एजेंडे को साझा नहीं करते थे: उस समय वे सिर्फ ऐसे देश थे, जो इस संघर्ष का समर्थन इसलिए करना चाहते थे, क्योंकि दुश्मन समान था.

जो पुरुष एवं महिलाएं नेताजी से प्यार करते हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं, वे अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत कार्यों में उनके मूल्यों को बरकरार रखते हुए और भारत में उनके अवशेषों को वापस लाकर उन्हें सबसे अच्छा सम्मान दे सकते हैं.

आइए हम नेताजी के अवशेष घर वापस लाएं!

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंं.

(अनीता बोस फाफ एक अर्थशास्त्री हैं. वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी हैं.)