आपत्तिजनक भाषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ याचिका ख़ारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में राजस्थान के अलवर में चुनाव प्रचार के दौरान कथित आपत्तिजनक भाषण देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का अनुरोध करने वाली याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसे मुक़दमे सिर्फ़ अख़बारों के पहले पन्ने के लिए होते हैं.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में राजस्थान के अलवर में चुनाव प्रचार के दौरान कथित आपत्तिजनक भाषण देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का अनुरोध करने वाली याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसे मुक़दमे सिर्फ़ अख़बारों के पहले पन्ने के लिए होते हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में राजस्थान के अलवर में चुनाव प्रचार के दौरान कथित आपत्तिजनक भाषण देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि वह मामले में हस्तक्षेप करना नहीं चाहती. पीठ ने कहा, ‘ऐसे मुकदमे सिर्फ पेज 1 (अखबारों) के लिए होते हैं. इसे खारिज किया जाता है.’

याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी थी और याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था.

यह याचिका मऊ जिले के नवल किशोर शर्मा ने दायर की थी. याचिकाकर्ता के अनुसार, आदित्यनाथ ने 23 नवंबर, 2018 को अलवर में एक चुनावी भाषण में उनकी धार्मिक भावनाएं आहत की थीं.

सुप्रीम कोर्ट का रुख करने से पहले याचिकाकर्ता ने मऊ की जिला अदालत में मुख्यमंत्री के भाषण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जिसे क्षेत्रीय न्यायाधिकार के आधार पर खारिज कर दिया गया.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 28 नवंबर, 2018 को आदित्यनाथ ने मालाखेड़ा, अलवर (राजस्थान) में विधानसभा चुनाव के संबंध में एक जनसभा को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने भगवान बजरंग बली के लिए कुछ शब्द कहे थे, जिसके कारण उनकी अनुयायी जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है.