विजय माल्या को घोषित अपराधी करार देने की मांग लेकर अदालत पहुंचा प्रवर्तन निदेशालय

ईडी ने अदालत को बताया कि एजेंसी के पास माल्या को अपराधी घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

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विजय माल्या (फोटो: पीटीआई)

ईडी ने अदालत को बताया कि एजेंसी के पास माल्या को अपराधी घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

विजय माल्या (फोटो: पीटीआई)
विजय माल्या (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: विजय माल्या को घोषित अपराधी करार देने की मांग को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

यह मामला माल्या द्वारा फेरा (फॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन एक्ट) कानून के उल्लंघन के मामले में कथित तौर पर समन से बचने का है. संभावना है कि इस मामले को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत बुधवार को खुद उठाएंगे.

ईडी की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने अदालत को बताया कि एजेंसी के पास माल्या को घोषित अपराधी घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.

अदालत ने 12 अप्रैल को शराब कारोबारी माल्या के खिलाफ समयसीमा रहित गैर जमानती वारंट, ओपन एंडेड नॉन बेलेबल वारंट जारी किया था. इस तरह के वारंट की तामील के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं होती है, जबकि गैर जमानती वारंट में समयसीमा होती है.

माल्या के खिलाफ पिछले वर्ष चार नवंबर को गैर जमानती वारंट जारी करते हुए अदालत ने कहा था कि ऐसा लगता है माल्या का वापस लौटने का कोई इरादा नहीं है और कानून के प्रति भी उनके मन में नाममात्र ही सम्मान है.

अदालत ने कहा था कि माल्या कई मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं और उन मामलों में पेश भी नहीं हो रहे हैं. ऐसे में उनके खिलाफ अनिवार्य प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है.

अदालत ने यह भी कहा था कि माल्या की वह याचिका बदनीयत से दाखिल की गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह भारत लौटना चाहते हैं लेकिन ऐसा करने में इसलिए सक्षम नहीं है क्योंकि भारतीय अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है. अदालत ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करना करार दिया.

बताया जाता है कि माल्या लंदन में हैं. उन्होंने 9 सितंबर को अदालत में कहा था कि वह भारत लौटना चाहते हैं और नेक इरादों के बावजूद ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है.

गत 9 जुलाई को अदालत ने माल्या को व्यक्तिगत पेशी से प्राप्त छूट रद्द कर दी थी और उन्हें 9 सितंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.