प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबरॉय ने कहा कि भ्रष्टाचार से अपेक्षाकृत गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है और भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने गुरुवार को कहा है कि भ्रष्टाचार मिटाना और काले धन को खत्म करना एक दिन का काम नहीं है पर इस दिशा में काम शुरू हो चुका है.
प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबरॉय ने कहा कि भ्रष्टाचार से अपेक्षाकृत गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है और भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है.
देबरॉय ने ‘ऑन द ट्रायल ऑफ द ब्लैक: ट्रैकिंग करप्शन’ नाम की किताब पर पीटीआई से बात करते हुए यह बात कही. यह किताब उन्होंने ही संपादित की है.
देबरॉय से जब पूछा गया कि भ्रष्टाचार का खात्मा और काले धन का बाहर आना संभंव है तो उन्होंने कहा कि … यह काम चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘आपको जब्त की गई बेनामी संपत्तियों और मुखौटा कंपनियों की संख्या को देखना चाहिए जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है.’
हालांकि, ‘देबरॉय ने खेद व्यक्त किया कि कुछ नागरिक व्यक्तिगत रूप से आसान रास्ता अपनाना पसंद करते हैं जैसे ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती पार करने के बाद घूस देते हैं और बाद में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत करते हैं.’
यही नहीं कुछ लोग करीब सात दशकों से, ‘चलता है और कुछ नहीं होने वाला’ जैसे रवैये के साथ जी रहे हैं लेकिन अब वे सरकार से परेशान हैं. उन्होंने कहा, ‘अब चीजें होना शुरू हुई है, कुछ लोगों को परेशानी हो रही है. इसलिए मैं इसे सकरात्मक रूप से देख रहा हूं.’
भ्रष्टाचार और काला धन रातभर में सुलझाने वाली समस्या नहीं है, लेकिन मैंने आपको इस प्रक्रिया के शुरू होने के कुछ उदाहरण दिए हैं. देबरॉय ने तथ्यों से परे आंकड़े का उदाहरण देते हुए है कि दिल्ली में काले और सफेद धन (घोषित धन) का अनुपात नीचे आया है. उन्होंने कहा, जो दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं वो इस अनुपात से वाकिफ है.
यह अनुपात 50:50 प्रतिशत काला और सफेद धन था. नोटबंदी के बाद जमीन के कारोबार जुड़े बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि अब यह अनुपात 50:50 का नहीं बल्कि 20:80 काला धन और सफेद धन का हो गया है.