फेक न्यूज़ फैलाने वाले मनीष कश्यप भाजपा की ‘जाति की राजनीति’ के पोस्टर बॉय बन गए हैं

बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर कथित हमले की अफ़वाह फैलाने के आरोप में ख़ुद को पत्रकार बताने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप को बिहार पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. अब राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा मनीष कश्यप को ‘सवर्ण’ जाति के एक पीड़ित के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रही है, ताकि सत्तारूढ़ महागठबंधन का मुक़ाबला कर सके.

/
मनीष कश्यप. (फोटो साभार: Twitter/@BJYAM11)

बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर कथित हमले की अफ़वाह फैलाने के आरोप में ख़ुद को पत्रकार बताने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप को बिहार पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. अब राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा मनीष कश्यप को ‘सवर्ण’ जाति के एक पीड़ित के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रही है, ताकि सत्तारूढ़ महागठबंधन का मुक़ाबला कर सके.

मनीष कश्यप. (फोटो साभार: Twitter/@BJYAM11)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिसने पिछले कुछ महीने बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन की जातीय जनगणना की मांग को टालने में लगाए हैं, को लगता है कि मनीष कश्यप के रूप में अपनी समस्या का इलाज मिल गया है. कश्यप पर तमिलनाडु द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

कश्यप बिहार के ‘सिटीजन जर्नलिस्ट’ हैं, जिन्होंने बीते मार्च के पहले सप्ताह में फर्जी खबरों के वीडियो बनाए और अपलोड किए थे, जिनमें दिखाया गया था कि बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर तमिलनाडु में हमला किया जा रहा है.

13 मार्च 2023 को उनकी गिरफ्तारी के बाद से भाजपा उन्हें जाति की राजनीति के ‘शहीद’ के रूप में पेश कर रही है और आरोप लगा रही है कि मनीष को उनके भूमिहार जाति से होने के चलते निशाना बनाया जा रहा है.

भूमिहारों ने हमेशा लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का विरोध किया है, जो ‘निम्न’ जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करता है. राजद वर्तमान में बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन का हिस्सा है.

23 मार्च को बिहार में ब्राह्मण और भूमिहार समूहों ने कश्यप की गिरफ्तारी के विरोध में बंद का आह्वान किया था.

इससे पहले 15 मार्च को कश्यप के यूट्यूब चैनल को दिए एक साक्षात्कार में बिहार में भाजपा से नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा था, ‘बड़े भाई (बिहार के मुख्यमंत्री जदयू के नीतीश कुमार) और छोटे भाई (लालू यादव के बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव) ने शपथ ली थी कि वे जातिविहीन और भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाएंगे. वे भ्रष्ट लोगों की गोद में बैठे हैं और बिहार को प्रभावित करने के लिए जातिगत जहर की लहर का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे मनीष कश्यप को भूमिहार होने के कारण प्रताड़ित कर रहे हैं. आपको याद रखना चाहिए कि यह समुदाय (भूमिहार) आपके जंगल राज के पतन का कारण बना.’

कश्यप रणनीति

राजनीति और मीडिया पर लिखने वाले स्वतंत्र पत्रकार और शोधकर्ता नील माधव के अनुसार, मनीष कश्यप मामले ने भाजपा को ऐसे समय में महागठबंधन से दो-दो हाथ करने का सही मौका दिया है, जब पार्टी बिहार में बैकफुट पर आ गई है.

माधव ने कहा, ‘परंपरागत तौर पर भूमिहारों ने भाजपा को वोट दिया है और हालांकि वे राज्य की आबादी का केवल 4 फीसदी हैं, लेकिन वे बहुत अधिक प्रभाव रखते हैं और यहां तक कि अन्य समुदायों को भी इस बात के लिए मना सकते हैं कि उन्हें कहां वोट देना है.’

हालांकि, पिछले साल जब नीतीश कुमार की जदयू ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़ दिया था और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गई थी, तब तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि गठबंधन की नीति में अब हर जाति और वर्ग शामिल है, जिनमें भूमिहार भी शामिल हैं.

माधव के अनुसार, ‘इसने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया, क्योंकि कई वर्षों से भगवा पार्टी के पास राज्य में कोई वरिष्ठ भूमिहार नेता नहीं है. इसी समय, महागठबंधन ने जोर-शोर से जातिगत जनगणना की मांग शुरू कर दी, जिसका मुकाबला करना भाजपा के लिए मुश्किल हो गया.’

माधव समझाते हैं कि इन परिस्थितियों में मनीष कश्यप की गिरफ्तारी को अगड़ी जातियों के प्रति राजद की मनमानी के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करना भाजपा के लिए एक उत्कृष्ट रणनीति है. तेजस्वी यादव की घोषणा के बाद जो भूमिहार महागठबंधन में रुचि रखते थे, वे अब भाजपा में वापस आ जाएंगे. वहीं, जो लोग सोचते थे कि जातिगत जनगणना ‘उच्च’ जातियों के लिए बुरी खबर होगी, उनके इस विश्वास की पुष्टि होगी.

माधव कहते हैं, ‘उच्च जाति की असुरक्षा को बढ़ाने के लिए भाजपा को ‘उच्च जाति के शहीदों’ को खोजने की जरूरत है.’

वे कहते हैं, ‘मनीष कश्यप एक ‘उत्तम शहीद’ बनते हैं – वह आम आदमी है जो बुरे राजनेताओं से लड़ता है. कश्यप के मामले का इस्तेमाल बिहार के बाहर भी ब्राह्मणों समेत उच्च जातियों को यह दिखाकर प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है कि राज्य में अभी भी जंगलराज मौजूद है, जैसा कि राजद सरकारों को अक्सर उनके विरोधियों द्वारा ऐसा कहकर संबोधित किया जाता था.’

कश्यप के व्यक्तिगत हित भी भाजपा की नीतियों से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं, जिससे भगवा पार्टी का उन्हें एक ‘सवर्ण’ जाति के पीड़ित के रूप में चित्रित करने का कार्य आसान हो जाता है.

जब कश्यप ने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले संबंधी अपना एक फर्जी वीडियो जारी किया, तो उन्होंने उसके साथ जातिगत जनगणना के बारे में भी एक ट्वीट किया था.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘तेजस्वी यादव जी, चश्मा हटाकर इस वीडियो को देखिए मजदूरों के चेहरे पर घाव हैं और जिस मीडिया ने रिकॉर्डिंग किया है, उसका मोबाइल नंबर भी है. एक बार बात करके तो देखिए, क्या पता आप झूठ बोल रहे हैं और मजदूर सच में तमिलनाडु में परेशान हैं. साथ ही साथ (आप) जातीय जनगणना की बात करते हैं न, तो एक बार इन लोगों से जाति भी पूछ लीजिएगा, थोड़ा आपके दिल को सुकून मिलेगा.’

यूट्यूबर कश्यप भाजपा की सांप्रदायिक सोच से भी मेल खाते हैं – एक सिटीजन जर्नलिस्ट के तौर पर वह जो वीडियो बनाते हैं, उनमें से कई अल्पसंख्यक विरोधी हैं और भाजपा की तरह ही वह राजद का विरोध करते दिखते हैं. उन्होंने अक्सर लालू यादव की पार्टी पर भ्रष्ट वंशवाद का नेतृत्व करने का आरोप लगाया है और शिकायत की है कि बिहार में अशिक्षित लोगों द्वारा शासन किया जा रहा है.

आपराधिक पृष्ठभूमि

हालांकि, भाजपा कश्यप को जातिगत राजनीति के शिकार के रूप में पेश करते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि इस यूट्यूबर की आपराधिक पृष्ठभूमि और हिंसा के इतिहास को भूल गई है.

कश्यप के खिलाफ कम से कम 9 आपराधिक मामले हैं. फर्जी समाचार वीडियो मामले में तीन, एक मामला 2019 में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर हमला करने का है और बाकी धोखाधड़ी, जालसाजी, गलत तरीके से बंधक बनाने, दंगा, हमला, आपराधिक साजिश, धमकी देने और गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित हैं.

हाल ही में फर्जी वीडियो मामले में तमिलनाडु पुलिस द्वारा उन पर एनएसए के तहत भी आरोप लगाया गया है.

9 मार्च 1991 को जन्मे बिहार के चंपारण के रहने वाले कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. उन्होंने 2016 में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी.

भ्रष्टाचार से लड़ने और स्थानीय मुद्दों को उठाने वाले एक ‘सिटीजन जर्नलिस्ट’ के रूप में खुद को ‘सन ऑफ बिहार’ के रूप में प्रस्तुत करने से पहले कश्यप हिंदू पुत्र संगठन से जुड़े थे.

इस संगठन पर मुस्लिम विरोधी हिंसा का आरोप लगा है और पटना एवं हाजीपुर में कई मामले इसके खिलाफ दर्ज हैं. हिंदू पुत्र संगठन उन 18 संगठनों में से एक था, जिनका ब्योरा बिहार पुलिस की विशेष शाखा ने मई 2019 में मांगा था.

2019 में कश्यप पर पुलवामा आतंकी हमले के बाद पटना के ल्हासा बाजार में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर हमला करने का आरोप लगा था.

कश्यप के करीबी सहयोगी और हिंदू पुत्र संगठन के एक प्रमुख कार्यकर्ता नागेश सम्राट को भी उस समय पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था. दो साल बाद सम्राट का नाम नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के संबंध में सामने आया था. हिंसा में हिंदू पुत्र संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर अमीर हंजाला नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला गया था.

बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार के अनुसार, तमिलनाडु के संबंध में फर्जी खबरों की बाढ़ के सिलसिले में नागेश सम्राट को भी गिरफ्तार किया गया था. जब पुलिस मनीष कश्यप को अदालत ले गई, तो जिस वैन में कश्यप को ले जाया गया, उसका नागेश सम्राट ने पीछा किया था.

उनके अनुसार, सम्राट की हिंदुत्व नेताओं से निकटता को देखते हुए पुलिस का मानना है कि अदालत तक वैन का पीछा करने का विचार शायद कानून प्रवर्तकों पर दबाव बनाने के लिए था. कुमार ने कहा कि वीडियो वायरल होने पर कश्यप लगातार सम्राट के संपर्क में थे.

अल्पसंख्यकों के खिलाफ उग्र रुख

जब कश्यप ने खुद को सिटीजन जर्नलिस्ट के तौर पर पेश किया तो खुद को स्थापित करने में उन्हें चार साल लग गए. हालांकि, अब उनके और उनके चैनल ‘सच तक न्यूज’ के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुल एक करोड़ फॉलोअर्स हैं.

उनके छह यूट्यूब चैनलों पर संयुक्त फॉलोअर 70 लाख के करीब हैं और फेसबुक पर उनके 40 लाख से अधिक फॉलोअर हैं. यह उनके नाम के दर्जनों फैन पेज से अलग है.

पटना में कश्मीरी प्रवासियों पर कथित हमले से पहले, कश्यप एक वायरल मीम वीडियो के लिए प्रसिद्ध हुए जिसका शीर्षक था ‘गां* पर गोली मार देंगे.’

वीडियो में कश्यप एक्साइड बैटरी वर्कशॉप के कर्मचारियों को बाइक की खराब बैटरी के लिए गाली देते हैं और धमकाते हैं. एक अन्य वायरल वीडियो अंतरधार्मिक विवाहों के खिलाफ है, जिसमें कश्यप बार-बार ऊंची और गुस्सैल आवाज में ऐलान कर रहे हैं, ‘नहीं होनी चाहिए.’

हालांकि, उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कई वीडियो बनाए हैं, जिनमें लगभग हमेशा एक मुस्लिम अपराधी और एक हिंदू पीड़ित शामिल होते हैं, जैसा कि थंबनेल पर नामों से देखा जा सकता है.

2020 में कश्यप ने बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. जब वे चुनाव हार गए, तो उन्होंने अपने वीडियो स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित करने शुरू कर दिए.

उनके वीडियो में कई तरह के हास्य और नाटकीय नुस्खों का इस्तेमाल होता है. एक वायरल वीडियो में वह नाटकीय तरीके से कार से एक ऑटो चालक का पीछा करके उसे रोकते हैं और उस पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगाते हैं.

एक अन्य वीडियो में वह बिहार में एक खचाखच भरी बस का पीछा करते हैं और फिर ड्राइवर पर चिल्लाते हैं. एक अन्य वीडियो में उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने अभिनेता शाहरुख खान को मुंबई में एक वेब सीरीज की शूटिंग करने से रोक दिया.

कश्यप सिटीजन जर्नलिस्ट के उस उग्र ब्रांड का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कहानी का हिस्सा बन जाता है. कभी-कभी वे कहानी भी बन जाते हैं. उनके सबसे ज्यादा वायरल कई वीडियो के शीर्षक कुछ ऐसे होते हैं, ‘क्यों मनीष फलाने पर गुस्सा हुए?’

द वायर ने कश्यप के चैनलों पर कई वीडियो, साक्षात्कार, ट्वीट्स और पोस्ट को खंगाला और पाया कि वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुर्व्यवहार से भरे हुए हैं. बॉलीवुड के बाद यह उनका दूसरा सबसे पसंदीदा निशाना है.

उनके सत्यापित ‘सच तक न्यूज’ अकाउंट पर पुराने ट्वीट्स मुस्लिम व इस्लाम के बारे में अपशब्दों और हिंसक शब्दावली से भरे हुए हैं. ट्वीट में मुसलमानों को ‘पंक्चरवाला’ और इस्लाम को ‘सिरदर्द’ बताया गया है. कुछ में अल्पसंख्यक समुदाय और असदुद्दीन ओवैसी जैसे राजनेताओं के खिलाफ खुली धमकी है.

बॉलीवुड का विरोध

कश्यप ने सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले पर भी कई वीडियो बनाए थे और मामले के संबंध में साजिश के सिद्धांतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था.

वह ‘जस्टिस फॉर एसएसआर’ सोशल मीडिया अभियान से करीब से जुड़े थे और इस अभियान को चलाने वाले व्यक्ति नीलोत्पल मृणाल के साथ कई वीडियो में दिखाई दिए थे.

जिस तरह तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के उनके फर्जी वीडियो ने राष्ट्रीय तनाव पैदा किया, उसी तरह सुशांत सिंह राजपूत मामले पर उनके वीडियो ने मुंबई में भारी हलचल मचा दी थी.

एक वीडियो में वह कहते नजर आते हैं, ‘प्रारंभिक जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत को गलत तरीके से अपने वश में कर लिया था और उनका सारा पैसा अपने खाते में अवैध तरीके से ट्रांसफर कर रही थी… वह इस देश की सबसे बड़ी चोर है.’

एक वीडियो में वह रिया चक्रवर्ती के महेश भट्ट के साथ रिश्ते के संबंध में कहते नजर आते हैं, ‘अगर वह उनके लिए एक पिता की तरह हैं, तो मुझे ऐसे पिता को गोली मारने का मन करता है.’

रिया चक्रवर्ती की पूछताछ के लिए मुंबई के एनसीबी कार्यालय जाने के दौरान की एक तस्वीर. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कश्यप ने शाहरुख खान की फिल्म के विरोध में ‘बॉयकॉट पठान’ अभियान में भी भाग लिया था. उनकी एक समस्या- जो कि उचित है – शाहरुख खान और अन्य बॉलीवुड सितारों के साथ यह है कि वे तंबाकू उत्पादों को बढ़ावा देते हैं. लेकिन वह इस समस्या को भद्दे तरीके से पेश करते हैं, यह कहते हुए कि वह ‘शाहरुख के मुंह पर गुटखा थूक देंगे और उससे इसे चटवाएंगे और कहलवाएंगे कि इसका स्वाद अच्छा है या नहीं’.

उन्होंने शाहरुख के बेटे आर्यन की गिरफ्तारी के बाद मुंबई में उनके घर के बाहर एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया था, जिसमें वह कहते हैं, ‘यह मन्नत है, जहां शाहरुख खान रहते हैं और इस घर में उनके बेटे आर्यन खान भी रहते थे. अभी वह जेल में है. हमने उन्हें स्टार बनाया है. देखिए, लोग यहां फोटो खिंचवाने आते हैं और उन्हें लगता है कि जैसे वे जन्नत में हैं. अब मुझे बताओ, एक ऐसा व्यक्ति जिसका बेटा ड्रग्स लेता है और एक बेटा जिसका पिता आपको टीवी पर बताता है कि उसका बेटा बड़ा होकर व्यभिचारी बनेगा और नशे की लत में शामिल होगा… हमने किसे सुपरस्टार बनाया है?’

इसके बाद वह शाहरुख खान को लताड़ने लगते हैं, क्योंकि उनके घर के बाहर की सड़क साफ नहीं है.

बहरहाल, अब यह देखना होगा कि क्या मनीष कश्यप की ‘शहादत’ भाजपा के पक्ष में काम करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.