सूरत कोर्ट में राहुल गांधी की अपील सुनने वाले जज फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले में अमित शाह के वकील थे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत की अदालत में मोदी सरनेम मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि और सज़ा के ख़िलाफ़ अपील दायर की है, जिसकी सुनवाई सूरत के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश रॉबिन पॉल मोगेरा कर रहे हैं. जज मोगेरा वकील के तौर पर 2006 तुलसीराम प्रजापति फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (स्क्रीनग्रैब साभार: यूट्यूब/कांग्रेस)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत की अदालत में मोदी सरनेम मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि और सज़ा के ख़िलाफ़ अपील दायर की है, जिसकी सुनवाई सूरत के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश रॉबिन पॉल मोगेरा कर रहे हैं. जज मोगेरा वकील के तौर पर 2006 तुलसीराम प्रजापति फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (स्क्रीनग्रैब साभार: यूट्यूब/कांग्रेस)

नई दिल्ली: सूरत की अदालत में मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई करने वाले जज रॉबिन पॉल मोगेरा 2006 तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह के वकील रह चुके हैं.

बीते 23 मार्च को गुजरात में सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.

राहुल गांधी ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी, उनके नाम में मोदी क्यों है.’

दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. इसके बाद उन्हें उनका सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी मिला था.

गांधी ने उनकी दोषसिद्धि और सजा के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है.

बार एंड बेंच के अनुसार, 13 अप्रैल (गुरुवार) को जज मोगेरा राहुल गांधी की इस फैसले पर रोक की अपील सुनने वाले हैं, जिससे कि गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने का निर्णय पलटा जा सके.

द वायर  ने अपने सूत्रों से इस बात की पुष्टि की है कि 2018 में जज के तौर पर नियुक्ति पाने वाले रॉबिन पॉल मोगेरा 2006 के फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह के वकील थे. यह मामला उस समय सुर्ख़ियों में रहा था, जहां आरोप गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह पर थे. मोगेरा ने कम से कम 2014 तक इस केस में शाह का प्रतिनिधित्व किया था, जब मुंबई की एक सीबीआई अदालत में मामले की सुनवाई चल रही थी.

जनसत्ता ने भी पहले बताया था कि 2014 में सीबीआई की अदालत में मोगेरा अमित शाह की तरफ से पेश हुए थे. साल 2014 में द हिंदू की एक खबर में बताया गया था कि शाह की सुनवाई में पेश होने से छूट की अपील को लेकर सीबीआई अदालत ने मोगेरा की खिंचाई की थी, क्योंकि उन्होंने इसके लिए दिए गए आवेदन में ऐसा किए जाने की कोई वजह नहीं बताई थी.

जज मोगेरा सूरत के आठवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हैं.

चूंकि कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी की सजा और फिर इसके चलते लोकसभा सदस्यता रद्द होने को भाजपा की कथित बदले की राजनीति का परिणाम बताया जा रहा है, ऐसे में यदि जज मोगेरा गांधी को लेकर कोई प्रतिकूल आदेश देते हैं, तो इसे लेकर हितों के टकराव के आरोप लग सकते हैं.

गौरतलब है कि तुलसीराम प्रजापति (28) एक छोटा-मोटा अपराधी था, जो 2006 में एक फर्जी एनकाउंटर में मारा गया था, जिसे सीबीआई ने ‘अंतरराज्यीय नेता-पुलिस नेक्सस’ का हिस्सा बताया था.

सीबीआई द्वारा सोहराबुद्दीन-कौसरबी-तुलसीराम प्रजापति हत्याकांड में दायर शुरुआती चार्जशीट में 37 लोगों को नामजद किया गया था, जिसमें अमित शाह, राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के कई आईपीएस अधिकारी और निचले स्तर के पुलिसकर्मी शामिल थे. बाद में मामले से सभी राजनीतिक नामों और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को हटा दिया गया था और केवल निचले स्तर के पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चला.

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