न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता तो 36,000 करोड़ का होगा नुकसान: किसान संगठन

20 नवंबर को कृषि उत्पादों के लाभकारी मूल्य, ऋण माफी और अन्य मांगों को लेकर दिल्ली में होगी किसान मुक्ति संसद.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

20 नवंबर को कृषि उत्पादों के लाभकारी मूल्य, ऋण माफी और अन्य मांगों को लेकर दिल्ली में होगी किसान मुक्ति संसद.

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नई दिल्ली: किसानों संगठनों की एक संस्था ‘एआईकेएससीसी’ ने दावा किया है कि अगर किसानों को सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त नहीं होता है तो उन्हें धान सहित सात खरीफ फसलों में करीब 36,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

एआईकेएससीसी ने कहा है कि नुकसान के अनुमान का आंकड़ा मोटे आकलन पर आधारित है लेकिन इन बातों को राष्ट्रीय राजधानी में 20 नवंबर को एक किसान मुक्ति संसद में उभारा जाएगा.

इस आयोजन में कृषि उत्पादों के लाभकारी मूल्य, ऋण माफी और किसानों की अन्य मांगों पर विचार विमर्श किया जाएगा. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति एआईकेएससीसी के संयोजक वी एम सिंह ने कहा, कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से कम हो गयी हैं और किसान अपनी उत्पादन की लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उड़द का एमएसपी 5,400 रुपये है लेकिन इसकी मौजूदा बाजार कीमत 3,189 रुपये प्रति क्विंटल है. इसी प्रकार मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये है लेकिन इसका मौजूदा बाजार मूल्य 3,834 रुपये प्रति क्विंटल है.

वीएम सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि धान, मक्का, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली, उड़द और कपास जैसी सात फसलों के लिए समर्थन मूल्य न मिल पाने के कारण किसानों को मोटे तौर पर करीब 35,968 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

सरकार 14 खरीफ फसलों और सात रबी फसलों का समर्थन मूल्य तय करती है लेकिन आम तौर पर खरीद का काम केवल गेहूं, धान और कुछ दलहनों का ही होता है.

सरकार बाजार कीमतों के एमएसपी से कम होने की स्थिति में ही अन्य अनाजों की खरीद करती है. एआईकेएससीसी के सदस्यों में किसान नेता योगेन्द्र यादव और राजू शेट्टी भी हैं जिन्होंने कहा कि सरकार किसानों को उनकी उत्पादन लागत के इतर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त मुनाफा दिलाने के चुनावी वायदे को पूरा करने में विफल रही है.

उन्होंने कहा, चुनावी वायदों को लागू नहीं किए जाने के कारण किसानों का होने वाला नुकसान चालू खरीफ सत्र के दौरान सात फसलों में चालू खरीफ सत्र में दो लाख करोड़ रुपये से भी अधिक होने का अनुमान है.

उन्होंने दावा किया कि कीमतों के मामले में भारी अन्याय के कारण देश भर में किसान कर्ज जाल में उलझा रहे हैं और वे आत्महत्या के रास्ते पर धकेले जा रहे हैं. एआईकेएससीसी करीब 180 संगठनों का गठबंधन है.