ईडी की अति सक्रियता का राज़ क्या है?

ईडी ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए एजेंसी द्वारा 2020 में जारी एक सर्कुलर को सीढ़ी बनाया है, जिसका मक़सद इसकी भूमिका को परिभाषित करना था. हालांकि इससे ईडी निदेशक को कई ऐसे अधिकार मिलते हैं, जिससे वे एक तरह से ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपने शिकंजे में ले सकते हैं, जिसमें सरकार की दिलचस्पी हो.

/
(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

ईडी ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए एजेंसी द्वारा 2020 में जारी एक सर्कुलर को सीढ़ी बनाया है, जिसका मक़सद इसकी भूमिका को परिभाषित करना था. हालांकि इससे ईडी निदेशक को कई ऐसे अधिकार मिलते हैं, जिससे वे एक तरह से ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपने शिकंजे में ले सकते हैं, जिसमें सरकार की दिलचस्पी हो.

(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली : 18 जून, 2018 को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के तत्कालीन प्रमुख ने अपने बॉस कैबिनेट सचिव के सामने एक असामान्य प्रेजेंटेशन दिया. रॉ प्रमुख को इसी समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से शारदा घोटाले में शामिल कोलकाता के एक टेलीविजन चैनल की मदद से कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कारण बताओ नोटिस थमाया गया था. भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी के अधिकारी इससे सकते में आ गए थे. यह न सिर्फ एक दूसरी सरकारी एजेंसी द्वारा एक गैर जरूरी हस्तक्षेप था, बल्कि इस नोटिस से रॉ के एक तत्कालीन ऑपरेशन पर भी खतरा पैदा हो गया था. इस संकट को टालने के लिए खुद प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा.

द वायर  को इस बात की जानकारी मिली है कि इस घटना के डेढ़ साल बाद एजेंसी ने 13 फरवरी, 2020 को एक ‘टेक्निकल सर्कुलर’ जारी किया. इस सर्कुलर के पीछे का तर्क इसके द्वारा हाथ में लिए जाने वाले मामलों के चयन में ‘एकरूपता सुनिश्चित करना’ था, लेकिन इसमें ईडी के दायरे या गतिविधियों को सीमित या उस पर अंकुश लगाने की कोई बात नहीं की गई थी. इसने और कुछ नहीं, वास्तव में ईडी निदेशक की शक्तियों में इजाफा करने का काम किया.

आधिकारिक तौर पर इस टेक्निकल सर्कुलर के प्रावधानों के पीछे का तर्क बताने के लिए कहे जाने पर ईडी ने ऐसे किसी सर्कुलर के वजूद को ही नकार दिया. हालांकि, द वायर  के पास दस्तावेज की एक प्रति मौजूद है.

इस सर्कुलर के अनुसार ईडी प्रमुख एक तरह से सर्वशक्तिमान हो गए हैं, क्योंकि वे कानून-व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, मामलों की विविधता, अपराधों की सीमापारीय प्रकृति, किसी मामले की जटिलता, आपराधिक कमाई की तलाश, व्यापक जनहित’ का ध्यान रखते हुए जांच का आदेश दे सकते हैं. इस तरह से ईडी प्रमुख एक तरह से किसी भी व्यक्ति को अपने शिकंजे में कस सकते हैं, जिसमें सरकार की दिलचस्पी हो.

ईडी द्वारा शक्ति प्रदर्शन?

जरा किसी मामले की जांच के लिए मौद्रिक सीमा पर विचार कीजिए. ईडी का सर्कुलर कहता है कि एजेंसी को अनिवार्य तौर पर ऐसे मामले अपने हाथ में लेने चाहिए जिसमें प्रिवेंशन ऑफ करप्शन  मामलों में संबंधित राशि एक करोड़ हो और दूसरे मामलों में 5 लाख हो. लेकिन नेशनल हेराल्ड वाले मामले में, सरकारी खजाने को किसी प्रकार के नुकसान की बात सिर्फ आयकर विभाग ने की है, जिसने कथित तौर पर 39.86 लाख रुपये के नुकसान का आंकड़ा पेश किया है.

चूंकि ईडी अभी भी भी अपनी एंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर)(एफआईआर के समकक्ष) की जांच के चरण में ही है और अभी तक एक विधेय (प्रेडिकेट) या प्राथमिक अपराध का भी निर्धारण नहीं किया गया है, इसलिए यह अस्पष्ट है कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला कभी स्थापित किया भी जा सकता है.

कार्ति चिदंबरम-चाइनीज वीजा मामले में ईडी ने खुद 50 लाख रुपये की रिश्वत का एक मामला बनाया है और एक जांच शुरू की है. पीएमएलए के तहत ऐसे मामलों में जहां संबंधित राशि एक करोड़ से कम है, तत्काल जमानत दी जा सकती है. इस मामले के बारे में पूछे जाने पर ईडी ने कहा कि ‘कार्ति चिदंबरम मामले को लेकर आपके आरोप सही नहीं हैं क्योंकि यह सर्कुलर की सही व्याख्या पर आधारित नहीं है.’

आईएनएक्स मीडिया मामले में- जिसमें भी चिदंबरम परिवार का नाम है- सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि कार्ति चिदंबरम के स्वामित्व वाली एक कंपनी- एडवांटेज स्ट्रेटिजिक कंसंल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को 9.96 लाख रुपये का भुगतान किया गया. यह ईडी द्वारा कोई जांच शुरू करने के लिए (राशि की) की न्यूनतम सीमा से काफी कम है, लेकिन इसके ईसीआईआर में ईडी ने कहा है कि 2007 में एएससीपीएल को रिश्वत के तौर पर करीब 3 करोड़ रुपये दिए गए.

चिदंबरम परिवार के नजदीकी स्रोतों का कहना है, ‘सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक ‘कार्ति ने इंद्राणी मुखर्जी (आईएनएक्स मीडिया की मालिक और अपनी बेटी की हत्या के मामले में जमानत पर) से कथित तौर पर 2008 में मुलाकात की. ऐसे में 2007 में रिश्वत कैसे दी जा सकती थी?’

जांच के लिए भौगोलिक सीमाएं

पीएमएलए भारत के भीतर मामलों के चयन को लेकर किसी प्रकार का भौगोलिक सीमा तय नहीं करता, लेकिन ईडी ने ऐसा किया है. अपने सर्कुलर में ईडी ने जांच शुरू करने के लिए ‘दिल्ली एनसीआर….मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, चेन्नई, बेगलुरू, हैदराबाद के लिए 10 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की सीमारेखा निर्धारित की है, जबकि अन्य शहरों के लिए यह सीमा 1 करोड़ ही है.’

एक  भाजपा विधायक और उनके बेटे, जो खुद एक लोकसेवक हैं, से जुड़े एक हालिया छापे में जिसमें कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने बेंगलुरू में कथित रिश्वत के 8 करोड़ रुपये जब्त किए, ईडी या सीबीआई द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का कारण शायद यह भौगोलिक भेदभाव ही है.

मादक पदार्थों (ड्रग्स) से संबंधित मामले

मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों की जांच पर विचार कीजिए. सर्कुलर में कहा गया है, ‘ऐसे मामलों में जिनमें आरोपी ड्रग्स या साइकोट्रॉपिक पदार्थों के साथ जो कि ‘व्यावसायिक मात्रा’ (एनडीपीएस एक्ट की परिभाषा के अनुसार) से पांच गुना मात्रा में हो, पाया जाता है, तो मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर मामले की जांच की जाएगी. उदाहरण के लिए, इस हिसाब से आरोपी के 500 ग्राम कोकीन, 5 किलो भांग या 100 ग्राम गांजे के साथ पाए जाने पर ही ईडी कार्रवाई शुरू करेगी.

लेकिन दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मित्र रिया चक्रवर्ती पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ड्रग विक्रेता से ‘मैरिउआना की कई डिलिवरी लेने’ के आरोप में चार्जशीट दायर कर दिया. निश्चित तौर पर ईडी के पास कानून के हिसाब से मादक पदार्थों से संबंधित मामलों की जांच करने का अधिकार है, लेकिन इस मामले में इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वह ‘व्यावसायिक मात्रा’ में ड्रग्स की बिक्री में शामिल थीं, जो सर्कुलर के हिसाब से केस चलाने की शर्त है. फिर भी ईडी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर दिया.

इस मामले से परिचित एक पूर्व जांच अधिकारी के अनुसार, ‘मात्रा चाहे जितनी भी हो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मामला दर्ज कर सकता है और ईडी इसमें शामिल हो सकता है, क्योंकि यह पीएमएलए के तहत एक अनुसूचित अपराध है. लेकिन बात यह है कि ईडी ने सर्कुलर के तहत अपने लिए निर्धारित दिशानिर्देश का ही उल्लंघन किया. ऐसा इस तथ्य के बावजूद हुआ कि 2020 के सर्कुलर को जारी करने के पीछे तर्क ‘मामलों की प्राथमिकता तय करना’ था. ऐसा संसाधनों और श्रमबल की कमी को देखते हुए किया गया था.’

एक ट्रायल कोर्ट द्वारा ईडी पर हालिया टिप्पणी

द वायर ने इस बात की पड़ताल करने की कोशिश की कि ईडी अपने सर्कुलर और पीएमएलए के प्रमुख उद्देश्य पर किस हद तक खरा उतरा है. शिवसेना-यूबीटी नेता संजय राउत से जुड़े पात्रा चॉल मामले में ईडी को कोर्ट से धक्का लगा. पिछले साल नवंबर में कथित 1000 करोड़ के घोटाले के मामले में राउत को जमानत देते हुए जज की टिप्पणी किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा अब तक की गई सबसे तल्ख टिप्पणी थी.

सेशन कोर्ट के जज एमजी देशपांडे ने अपने आदेश में कहा, ‘ईडी किसी आरोपी को गिरफ्तार करने में तो असाधारण तेजी दिखाती है, लेकिन मुकदाम चलाने के मामले में उसकी रफ्तार घोंघे से भी धीमी हो जाती है.’ आवेदनकर्ता द्वारा जमानत अर्जी दायर करने के बाद ईडी अपना जवाब देने में कम से कम तीन से चार हफ्ते का समय ले लेती है… हर मामले में यह देखा गया है कि ईडी आरोपी द्वारा दायर साधारण आवेदन का जवाब देने में भी बहुत-बहुत लंबा वक्त लेती है.’

जज ने कहा कि पिछले एक दशक में ईडी ने एक भी मामले का मुकदमा पूरा नहीं किया है. ‘क्या ईडी अपनी इस एक भी मुकदमे को शुरू करके उसे खत्म न करने की कार्य पद्धति के लिए जवाबदेह नहीं है?

ईडी ने द वायर से कहा, -जहां तक दूसरे मामलों का सवाल है, आपके आरोप सही नहीं हैं. सभी मामलों में ईडी द्वारा उठाए गए सारे कदमों को समय-समय पर संबंधित न्यायाधिकारीय क्षेत्रीय अदालतों द्वारा अनुमोदित किया गया है. इसके अलावा आपके द्वारा किए गए सवाल संवेदनशील मामलों से जुड़े हैं और इस पर जवाब देना लंबित मामलों में जो कि न्यायालय समक्ष विचाराधीन हैं, तथ्यों को उजागर करना होगा. साथ ही यह जांच से जुड़े तथ्यों को भी उजागर करने जैसा होगा जो उचित नहीं होगा. जब भी किसी न्यायिक फोरम में आरोपी की गिरफ्तारी आदि को लेकर सवाल उठाए गए हैं, ईडी ने उनका समुचित तरीके से, सही सूचना उपलब्ध कराकर जवाब दिया है,  जिसे न्यायालयों द्वारा स्वीकार किया गया है.

‘इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि आपने दूसरे मामलों में आरोपी द्वारा दायर आवेदनों और ईडी द्वारा दायर जवाबों का अध्ययन किए बगैर ही ईडी से गैरजरूरी सवाल पूछे हैं. इसका कारण यह हो सकता है कि आपका इस्तेमाल अपना निहित स्वार्थ रखने वाले कुछ लोगों द्वारा अपने पूर्वाग्रहपूर्ण दृष्टिकोण का प्रसार करने और साथ ही आपके जरिये खोजी पत्रकारिता की आड़ में ईडी से संवेदनशील सूचनाएं निकालने के लिए किया जा रहा हो.’

‘आप से आग्रह है कि आप मामले के सार्वजनिक रिकॉर्ड को अध्ययन करें जो कि विभिन्न न्यायालयों में उपलब्ध हैं. इससे आपको आपके सवालों का जवाब मिल जाएगा.’

बहुदलीय याचिका

जांच एजेंसियासें की भूमिका को लेकर पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न पार्टियों की एक संयुक्त याचिका में यह स्पष्ट तौर पर लिखा गया था कि ‘सरकार के पक्ष में पाला बदल लेने वाले राजनीतिक शख्सियतों को रहस्यमय ढंग से या तो ‘क्लीन चिट’ दे दी गई हैं या यह देखा गया है कि जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार को धीमा कर दिया है.’

उन्होंने जिन मामलों का उल्लेख किया, उनमें कुछ मामले हैं :

कांग्रेस से भाजपा में शामिल होनेवाले असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर भाजपा ने गुवाहाटी में जल आपूर्ति घोटाला करने का आरोप लगाया था. इस मामले में अमेरिकी निर्माण कंपनी लुइस बर्जर का नाम भी शामिल था. अमेरिका में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा देश के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट के तहत दायर न्यायालय के दस्तावेजों में यह आरोप लगाया था कि कंपनी ने गुवाहाटी में जल आपूर्ति का ठेका पाने के लिए रिश्वत दिया, लेकिन इसमें रिश्वत पाने वालों का नाम नहीं लिया गया था.

भाजपा ने शुरू में रिश्वत पाने वाले अनाम लोगों में हिमंता बिस्वा सरमा का नाम भी शामिल होने का आरोप लगाते हुए इस मामले की जांच की मांग की. लेकिन उनके पार्टी बदलने के बाद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. इस मामले में सीबीआई का एक केस गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने के बाद ही रजिस्टर किया गया, लेकिन अमेरिकी कंपनी से गैरकानूनी तरीके से रिश्वत पानेवालों के नामों का पता लगाने की कोई कोशिश नहीं की गई है. ईडी ने इस अपराध को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को व्यापमं मामले में सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दे दी गई, जिसमें कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 40 से ज्यादा गवाहों की मौत हो गई है.

कर्नाटक में 16,500 करोड़ रुपये के खनन घोटाले के आरोपी राज्य भाजपा सरकार के भूतपूर्व मंत्री सोमशेखर रेड्डी और जी. जनार्दन रेड्डी को 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सीबाई द्वारा क्लीन चिट दी गई.

वर्तमान में सूक्ष्म, लघु और मघ्यम उद्योगों के केंद्रीय मंत्री नारायण राणे, जो पहले शिवसेना में थे, फिर कांग्रेस में और अब सत्ताधारी दल के साथ हैं, के कांग्रेस में रहते हुए अविघ्न हाउसिंग घोटाले में ईडी द्वारा जांच हो रही थी. लेकिन उनके भाजपा में शामिल होने और केंद्रीय मंत्री बनने के बाद इस जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है.

पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रमुख नेता को सीबीआई ने नारदा स्टिंग मामले में एक आरोपी बनाया था, लेकिन 2020 में उनके भाजपा में शामिल होने के बाद ऐसा लगता है कि उनके खिलाफ चल रही जांच को खत्म कर दिया गया है.

इन दलों का आरोप था कि ‘केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा जांच/गिरफ्तारी या धमकी का इस्तेमाल सत्ताधारी दल के पक्ष में देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने के एक औजार के तौर पर किया जा रहा है.’

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सर्वप्रभावी गाइडलाइंस जारी नहीं कर सकता है और कहा कि ‘आप किसी व्यक्तिगत मामले में हमारे पास आ सकते हैं. आप एक या ज्यादा मामलों को एक साथ लेकर हमारे पास आ सकते हैं. हमारी समस्या यह है कि तथ्यात्मक आधार के बिना दिशा निर्देश जारी करने का सुप्रीम कोर्ट का अधिकार अनकहा है.’

लेकिन वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल का कहना है, ‘गैर भाजपा शासित राज्यों को निशाना बनाकर की जानेवाली ईडी की कार्रवाई देश के परिसंघीय ढांचे और राजव्यवस्था को अस्थिर कर रही है. और जहां तक प्रेडिकेट अपराधों का सवाल है, ईडी का न्यायाधिकार क्षेत्र अखिल भारतीय है, जो हालात को ओर भी ज्यादा गंभीर बना रहा है. और (सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एएम खानवलकर) के निर्णय की यथाशीघ्र समीक्षा करने की दरकार है.’

2022 में जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने पीएमएलए के एक काफी निरंकुश प्रारूप को बरकरार रखा, जिसमें जमानत को एक तरह से असंभव बना दिया गया है और खुद को बेगुनाह साबित करने का जिम्मा आरोपी पर डाल दिया गया है.

क्या कहना है ईडी का

गौरतलब है कि ईडी निदेशक विवादों के केंद्र में हैं और उन्हें बार-बार सेवा विस्तार दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट लगातार नाराजगी जता रहा है. केंद्र सरकार ने उन्हें पांच साल का कार्यकाल देने के लिए कानून का संशोधन किया. अब वे नवंबर, 2023 में सेवानिवृत्त होंगे.

आलोचनाओं के जवाब में ईडी का कहना है कि उसका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है.

इसकी वेबसाइट के मुताबिक एजेंसी की दोषसिद्धि दर (कंविक्शन रेट) 96 प्रतिशत है. इसके सभी मामलों में सिर्फ 3 फीसदी मामलों राजनेताओं से जुड़े हैं और 8.99 फीसदी इन मामलों में सर्च वारंट जारी किए गए.

लेकिन यह दोषसिद्ध दर उन 25 में से 24 मामलों पर आधारित है, जिसमें पीएमएलए ट्रायल पूरे हो गए थे. वित्त मंत्रालय के स्रोतों के हवाले से आईएएनएस ने कहा कि 2018-19 और 2021-22 के दरमियान ईडी द्वारा रजिस्टर्ड केसों की संख्या 505 प्रतिशत बढ़ गई और  यह 2018 में 195 मामलों से बढ़कर 2021-22 में 1,180 हो गई.

ईडी द्वारा ली जाने वाली तलाशियों की संख्या में 2004-14 से 2014-2022 के बीच 2,555 प्रतिशत का भारी उछाल आया. वित्त मंत्रालय के अपने डेटा के अनुसार 2004 से 14 के बीच ईडी द्वारा 112 तलाशियां ली गईं जिसके नतीजे के तौर पर 5,346 करोड़ रुपये मूल्य की गैरकानूनी संपत्ति को अटैच किया गया.

ईडी ने द वायर  के सवालों का तीन पन्ने में जवाब दिया, लेकिन एजेंसी की भूमिका को लेकर कुछ सवालों के जवाब इसमें नहीं दिए गए:

  • कितने मामलों में जांच पूरी हो गई है ताकि ट्रायल शुरू हो सके.
  • कितने मामलों में आरोपी के रिहाई या आरोपों के खारिज होने या आरोपों से बरी होने पर मामले रजिस्टर्ड होकर बंद हुए हैं?
  • कोर्ट में शिकायत दर्ज करने के बाद कितने आरोपियों को रिहा किया गया है?
  • जिन संपत्तियों को अटैच किया गया है, उनमें से कितने को ईडी द्वारा कुर्क किया गया है?

इन सबके जवाब में में ईडी ने कहा,

आपकी चिट्ठी के लहजे या उसकी विषय वस्तु से यह साफ़ है कि यह न सिर्फ गलत और भ्रामक तथ्यों पर आधारित है, बल्कि यह यह भी दिखाता है कि आपने न समुचित रिसर्च किया है और न ही ईडी की वेबसाइट को ठीक से देखा है. अगर ऐसा होता तो आप आंकड़ों से संबंधित कुछ सवाल नहीं पूछते और हमसे उसका जवाब नहीं मांगते. यह साफ है कि इस चिट्ठी का मकसद एक अप्रत्यक्ष मकसद से एक पूछताछ करना है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games pkv games bandarqq dominoqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq https://sayalab.com.mx/lab/pkv-games/ https://sayalab.com.mx/lab/dominoqq/ https://sayalab.com.mx/lab/bandarqq/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/pkv-games/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/bandarqq/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/dominoqq/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/bocoran-admin-jarwo/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/bocoran-admin-jarwo/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/depo-25-bonus-25/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/depo-50-bonus-50/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/slot77/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/kakek-merah-slot/ https://kis.kemas.gov.my/kemas/kakek-merah-slot/