नोटबंदी के कारण अगले एक साल तक अर्थव्यवस्था धीमी रहेगी: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, नोटबंदी कालेधन का उचित समाधान नहीं है, इसने आर्थिक विकास की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया.

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, नोटबंदी कालेधन का उचित समाधान नहीं है, इसने आर्थिक विकास की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. (फोटो: रॉयटर्स)

कोच्चि: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि कालेधन के मुद्दे का नोटबंदी कोई उचित इलाज नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कर व प्रशासनिक प्रणाली को सरल बनाए.

सिंह ने एर्नाकुलम में सेंट टेरेसा कॉलेज में विद्यार्थियों के साथ संवाद में यह बात कही. उन्होंने कहा कि कालेधन की समस्या का जवाब हमारी कर, भूमि पंजीयन व प्रशासनिक प्रणाली को सरल बनाया जाना है. यही एक रास्ता है जिसके जरिये हमारा देश एक ऐस समाज की दिशा में आगे बढ़ सकता है जिसमें कालेधन सृजन के लिए कम से कम भूमिका होगा.

सिंह ने कहा कि उनका मानना है कि नोटबंदी कालेधन की समस्या का उचित समाधान नहीं है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल नोटबंदी से किसान, छोटे उद्योग भारी दबाव में आ गए तथा अनेक लोगों ने बैंकों के सामने कतारों में खड़े खड़े जान गंवा दी. सरकार ने नोटबंदी के तहत 1000 व 500 रुपये के मौजूद नोटों को चलन से बाहर कर दिया.

नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को किस तरह प्रभावित किया यह पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में ‘ठहराव’ आ गया.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों को विश्वास था कि अर्थव्यववस्था जल्द ही सामान्य गति में आ जाएगी. मुझे संदेह था. मेरा मानना है कि अगले एक साल तक नरम ही रहेगी और इस तरह से नोटबंदी ने एक तरह से आर्थिक विकास की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया.’

इससे पहले ‘भारत में वृहत आर्थिक घटनाएं: नीति परिप्रेक्ष्य’ विषय पर संगोष्ठी में सिंह ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत उद्देश्यपूर्ण दिशानिर्देश की जरूरत है ताकि देश 8 से 10 प्रतिशत वृद्धि दर की ओर बढ़ सके जो सरकार स्वयं चाहती है.