क्यों बिजली उपभोक्ता स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे हैं?

देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें आ रही हैं. तकनीक के विरोध के पीछे अज्ञानता भी हो सकती है मगर इसी के नाम पर कई बार खेल भी होता है. उपभोक्ता को नहीं पता कि स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या है और क्यों केंद्र इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें थोप रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें आ रही हैं. तकनीक के विरोध के पीछे अज्ञानता भी हो सकती है मगर इसी के नाम पर कई बार खेल भी होता है. उपभोक्ता को नहीं पता कि स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या है और क्यों केंद्र इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें थोप रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

26 अगस्त को जम्मू डिवीज़न में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने के ख़िलाफ़ बंद का आह्वान किया गया था. यह बंद जम्मू पठानकोट हाईवे से टोल प्लाज़ा हटाने को लेकर भी था. जम्मू चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर ज़िलों के कई हिस्से में बंद रहा और कई राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया था. हाईकोर्ट बार संघ ने भी समर्थन किया. जम्मू के कई बड़े बाज़ार पूरी तरह बंद थे.

एक बड़े अख़बार की इस पर रिपोर्ट पढ़ रहा था. उस रिपोर्ट में यही नहीं है कि स्मार्ट मीटर का विरोध क्यों हो रहा है मगर बंद में कौन-कौन से संगठन शामिल हैं, इसी से पन्ना भर दिया गया है. इससे पहले 16 अगस्त को भी जम्मू में प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध हुआ. उनका कहना है कि इस मीटर के कारण बिजली बिल काफी हो गया है. हज़ारों रुपये के बिल आ रहे हैं.

श्रीनगर में इसे लेकर विरोध हुआ है. ऐसी कई ख़बरें मिलीं जिससे पता चला कि जम्मू और कश्मीर में स्मार्ट मीटर लगाए जाने का भयंकर विरोध हो रहा है और इसमें कांग्रेस सहित हर दल के लोग शामिल हैं. पीडीपी से लेकर गुलाम नबी आज़ाद की पार्टी भी. श्रीनगर में महिलाएं इस मीटर के विरोध में सबसे आगे हैं. जुलाई में आरएस पुरा में किसानों ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ़ भूख हड़ताल की थी.

केंद्र सरकार की योजना के तहत प्री-पेड मीटर लगाए जा रहे हैं. केरल में भी इसका विरोध हो रहा है. कांग्रेस और सीपीएम से संबंधित ट्रेड यूनियनें इसका विरोध कर रही हैं. वहां हड़ताल की नौबत आ गई. केरल के मुख्यमंत्री भी केंद्र की योजना का विरोध कर रहे हैं.

केरला कौमुदी नाम के अख़बार की साइट पर लिखा है कि राज्य सरकार ‘टोटेक्स’ (TOTEX) मॉडल का विरोध कर रही है. इसके तहत उपभोक्ता से 93 महीने तक मीटर की लागत, मीटर के डेटा प्रबंधन, क्लाउट स्टोरेज सिस्टम से लेकर साइबर सुरक्षा और रखरखाव का ख़र्चा तक किश्तों में वसूला जाएगा. इस काम के लिए किसी एजेंसी को निश्चित समय के लिए ठेका दिया जाएगा. ट्रेड यूनियन इसके विरोध में हैं.

अब केरल ने फैसला किया है कि मीटर बदलने और इसके डेटा के रखरखाव का काम ख़ुद करेगी, इससे उपभोक्ताओं पर कम बोझ पड़ेगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है कि केंद्र सरकार इस योजना के तहत राज्य सरकार को दस हज़ार करोड़ की सब्सिडी देगी. यह योजना बीस हज़ार करोड़ की है. केंद्र सरकार ने शर्त रख दी है कि टोटेक्स योजना के तहत स्मार्ट मीटर लगाने ही होंगे अन्यथा केंद्र राज्य को बिजली क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए फंड नहीं देगी.

अभी मीटर लगाने के लिए राज्य से दादागिरी की जा रही है, फिर मीटर लग जाएगा तो उपभोक्ता के साथ दादागिरी होगी. क्या जनता को पता है कि इस मीटर के डेटा का राजनीतिक इस्तेमाल किस तरह से होगा? इस डेटा से बिजली क्षेत्र में किस तरह का सुधार आएगा?

बिहार और बंगाल में भी स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध की ख़बरें छपी हैं. मुशहरी प्रखंड के लोगों ने बिजली उपभोक्ता संघर्ष मोर्चा का गठन किया है जो स्मार्ट मीटर का विरोध करेगा. साल 2020 की एक ख़बर मिली कि काशी में संतों ने स्मार्ट मीटर का विरोध किया है.

लोगों को अनाप-शनाप बिजली बिल भेजकर तंग किया जा रहा है. अब उनके विरोध का क्या हुआ, स्मार्ट मीटर के अनुभव इन वर्षों में बदल गए या उन्होंने समझौता कर लिया, पता नहीं.

असम के एक स्थानीय अख़बार की रिपोर्ट है कि इसी 25 अगस्त को वहां भी स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध हुआ है. यानी एक ही दिन जम्मू में भी इसका विरोध हो रहा था और गुवाहाटी में भी. गुवाहाटी ही नहीं, अन्य इलाकों में भी स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें छपी हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान छपा है कि उपभोक्ताओं को सही बिल दिया जाए. उन्हें ग़लत बिजली बिल न मिले और किसी को परेशान नहीं किया जाए.

तमाम ख़बरों को पलटकर देखने से यही मिलता है कि उपभोक्ता परेशान हैं. कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है. अख़बारों में उपभोक्ता के अनुभवों को लेकर बहुत कम रिपोर्टिंग है. जानबूझकर? पता नहीं चलता कि उन पर क्या गुज़र रही है, वसूली हो रही है या बिल सही आने लगा है.

तकनीक के विरोध के पीछे अज्ञानता भी कारण हो सकती है मगर इसी के नाम पर कई बार खेल भी हो जाता है. उपभोक्ता को नहीं पता कि इस स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या ? क्यों इसे लगाने के लिए केंद्र राज्य पर शर्तें थोप रहा है.

सॉफ्टवेयर है तो आशंकाएं होंगी और होनी भी चाहिए आम आदमी मीटर को लेकर अंधेरे में है और जैसे पेट्रोल के सौ रुपये लीटर दिए जाने के लिए मजबूर है, उसी तरह से इसे स्वीकार कर रहा है. स्वीकृति तब बेहतर होती है जब आम उपभोक्ताएं की आशंकाएं दूर हों. उन्हें चोर समझ कर दुत्कारा न जाए.

(यह लेख मूल रूप से रवीश कुमार की ट्विटर टाइमलाइन पर प्रकाशित हुआ है.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq