सूचना आयोग ने कहा था कि मतदाता के पास जनप्रतिनिधि की घोषित शैक्षणिक योग्यता जांचने का अधिकार है, सीबीएसई ने दिया था निजता का हवाला.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सीबीएसई से कहा कि अगर इसने आरटीआई आवेदक को संबंधित सूचना नहीं दी है तो वह केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश पर स्थगन का लाभ लंबे समय तक नहीं उठा सकता. सीआईसी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के दसवीं कक्षा और 12वीं कक्षा के रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति दी थी.
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने आवेदक की याचिका पर यह फैसला दिया जिसने ईरानी के स्कूल रिकॉर्ड के बारे में जानकारी मांगी थी. आवेदक को अभी तक यह सूचित नहीं किया गया था कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सीआईसी के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है या इस पर स्थगन लगाया गया है.
अदालत ने आरटीआई आवेदक मोहम्मद नौशादुद्दीन को नया नोटिस जारी किया और बोर्ड को निर्देश दिया कि सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें जानकारी मिले और ऐसा नहीं होने पर इस वर्ष 21 फरवरी को दिया गया अंतरिम आदेश खारिज हो जाएगा.
अदालत ने सीबीएसई से कहा, केवल स्थगनादेश पर कायम रहना पर्याप्त नहीं है. मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 फरवरी तय की गई.
सीबीएसई ने 17 जनवरी के सीआईसी के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि ईरानी के स्कूल रिकॉर्ड का खुलासा सूचना के अधिकार कानून के तहत नहीं हो सकता क्योंकि यह तीसरे पक्ष की सूचना है जो किसी जिम्मेदार पक्ष के हवाले है.
सीआईसी ने 17 जनवरी के आदेश में आवेदक को ईरानी के स्कूल रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दे दी थी और सीबीएसई के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि मोहम्मद नौशादुद्दीन द्वारा मांगी गई सूचना निजी है.
सीआईसी ने कहा था कि जब किसी जन प्रतिनिधि ने अपनी शैक्षणिक योग्यता की घोषणा की है तो उस घोषणा की जांच करने का अधिकार मतदाता के पास है.