भाजपा नेता की सिख और मुस्लिम धर्म स्थलों के ख़िलाफ़ टिप्पणी का पंजाब में विरोध

राजस्थान में एक चुनावी रैली के दौरान भाजपा नेता संदीप दायमा ने कहा था कि अगर भाजपा सरकार बनाती है तो मस्जिदों और गुरुद्वारों को उखाड़ फेंकेंगे. इस दौरान मंच पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. बाद में उन्होंने माफ़ी मांगते हुए कहा कि वह मस्जिद और मदरसा कहना चाहते थे, लेकिन मुंह से गुरुद्वारा निकल गया.

/
भाजपा नेता संदीप दायमा. (फोटो साभार: एक्स)

राजस्थान में एक चुनावी रैली के दौरान भाजपा नेता संदीप दायमा ने कहा था कि अगर भाजपा सरकार बनाती है तो मस्जिदों और गुरुद्वारों को उखाड़ फेंकेंगे. इस दौरान मंच पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. बाद में उन्होंने माफ़ी मांगते हुए कहा कि वह मस्जिद और मदरसा कहना चाहते थे, लेकिन मुंह से गुरुद्वारा निकल गया.

भाजपा नेता संदीप दायमा. (फोटो साभार: एक्स)

जालंधर: चुनावी राज्य राजस्थान में एक भाजपा नेता द्वारा दिए गए भाषण से पंजाब में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने भाजपा नेता संदीप दायमा की उस टिप्पणी के लिए आलोचना की है जिसमें पहले मुस्लिम और सिख धार्मिक स्थलों और बाद में अकेले मुस्लिमों को निशाना बनाया गया था.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में दायमा ने राजस्थान के तिजारा विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो मस्जिदों और गुरुद्वारों को ‘उखाड़ फेंकेंगे’.

इस बयान के कारण सिखों में व्यापक गुस्सा फैल गया, जिसके बाद संदीप दायमा को माफी मांगनी पड़ी.

लेकिन ‘माफी’ भी धार्मिक घृणा से भरी हुई थी और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ थी. दायमा ने कहा, ‘मेरी जुबान फिसल गई थी. मैं कहना चाहता था कि ‘मस्जिदों और मदरसों’ को उखाड़ फेंकेंगे. मैं ‘मस्जिद और मदरसे’ कहना चाहता था, लेकिन किसी तरह गुरुद्वारा मुंह से निकल गया. मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं.’

भाजपा नेता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई अन्य पार्टी नेताओं की मौजूदगी में आयोजित एक रैली में बोल रहे थे. यह रैली भाजपा के तिजारा प्रत्याशी बाबा बालकनाथ के समर्थन में की गई थी.

भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि दायमा को अपनी ‘माफी’ पर शर्म आनी चाहिए, क्योंकि मुसलमानों के धार्मिक स्थलों के खिलाफ बोलना ‘गुरुद्वारों के खिलाफ बोलने जितना ही निंदनीय’ है.

धामी ने गुरुद्वारों को ‘उखाड़ने’ के उनके बयान पर संज्ञान लेते हुए कहा, ‘गुरुद्वारों ने हमेशा संकटग्रस्त और जरूरतमंदों की मदद की है. जब भी देश और विदेश में कोई आपदा आई है, गुरुद्वारे और सिख निकाय हमेशा सबसे आगे रहे हैं और बिना किसी भेदभाव के मानवता की सेवा की है.’

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि दायमा द्वारा दिए गए नफरत भरे बयान से ‘श्री गुरु नानक देव के पवित्र विचार को हराने की भाजपा नेताओं की साजिश’ का पता चलता है. उन्होंने कहा कि आज के भाजपा नेताओं की वही संकीर्ण सोच है, जिसके खिलाफ गुरु नानक ने लड़ाई लड़ी थी.

धामी ने दायमा के बयान की निंदा न करने के लिए योगी आदित्यनाथ की भी आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे घृणित बयानों का मौके पर ही विरोध करना उनकी जिम्मेदारी थी. यह दुखद है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आदित्यनाथ भी इसका हिस्सा बन गए. इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने भी इसी सोच के तहत सिख धर्मस्थलों पर हमला किया था और आज भाजपा भी उसी रास्ते पर चलती नजर आ रही है.’

उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ और रैली के आयोजक दायमा को सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगनी चाहिए. साथ ही, उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा.

अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाजपा का एजेंडा उजागर

भाजपा-आरएसएस की राजनीति के आलोचक रहे पूर्व अकाल तख्त प्रमुख ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने से ज्यादा निंदनीय कुछ नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यक पहले से ही डर में जी रहे हैं और ऐसा बयान कि अगर भाजपा राजस्थान में सत्ता में आई तो ‘मस्जिदों और गुरुद्वारों’ को उखाड़ दिया जाएगा… का मतलब और भी डर पैदा करने के लिए था.’

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मांग की कि भाजपा को सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए दायमा को बाहर करना चाहिए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य सभी जो मंच पर मौजूद थे और संदीप दायमा के भाषण की सराहना कर रहे थे, उन्हें भी माफी मांगनी चाहिए. इस बयान से भाजपा का अल्पसंख्यकों के खिलाफ एजेंडा साफ हो गया है. अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक धारणा गढ़ी जा रही है.’

उन्होंने कहा, ‘देश में नफरत की राजनीति प्रचलित है. इससे आपको शक्ति मिल सकती है लेकिन कोई मातृभूमि को होने वाले नुकसान और रक्तपात की भयावहता की कल्पना नहीं कर सकता है.’

पंजाब के भाजपा नेताओं की चुप्पी

पंजाब के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से संपर्क के बार-बार प्रयास के बावजूद उनसे बात नहीं हो सकी, जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने दावा किया कि उन्हें इस विवाद के बारे में जानकारी नहीं है.

शर्मा ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि (दायमा) कौन हैं. मैंने न तो वीडियो देखा है और न ही इस सबके बारे में सुना है. लेकिन मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे, जिन्होंने दिल्ली के लाल किला में श्री गुरु तेग बहादुर की शहादत पर एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम किया था. मुझे बताएं कि क्या ऐसी पार्टी कभी सिखों या गुरुद्वारों का अपमान कर सकती है?’

उन्होंने आगे के सवालों का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, ‘मैं ग्वालियर में हूं, मैं ज्यादा कुछ नहीं कह सकता.’

सुखबीर बादल ने दायमा की माफी ख़ारिज की

भाजपा नेता के माफीनामे का वीडियो साझा करते हुए शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि खालसा पंथ और इसका दाहिना हाथ अकाली दल राजस्थान के भाजपा नेता संदीप दायमा की माफी को अस्वीकार करता है.

बादल ने लिखा, ‘ऐसा लगता है कि वह अहंकारी और विकृत मानसिकता से ग्रस्त हैं और उन्हें यह समझ में नहीं आता कि विभिन्न धर्मों के तीर्थस्थलों में कोई अंतर नहीं है, चाहे वह मंदिर हो, गुरुद्वारा हो, मस्जिद हो या कोई अन्य पूजा स्थल हो.’

उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खड़ा है और उन्होंने संदीप दायमा के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘देश के सार्वजनिक जीवन में उनका कोई स्थान नहीं होना चाहिए,’

खडूर साहिब से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने भी एक्स पर अपना मत रखते हुए कहा, ‘गुरुद्वारों ने हमेशा मानवता की सेवा की है और कभी किसी के धर्म या जाति के बारे में नहीं पूछा. चाहे कोरोना हो या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा, गुरुद्वारों के दरवाजे, दान पेटियां और लंगर हमेशा सभी के लिए खुले रहे हैं. संदीप दायमा जैसे लोगों की निम्नस्तरीय सोच और मनोविज्ञान उन्हें महंगा पड़ेगा.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.