राजस्थान: राजीव युवा मित्र योजना बंद करने के भाजपा सरकार के फैसले के विरोध में उतरे युवा

राजस्थान में कांग्रेस की पिछली अशोक गहलोत सरकार द्वारा लाई गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना के तहत युवाओं को 17,500 रुपये का मासिक भुगतान किया जाता था. इसके तहत युवा केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करते थे. योजना बहाल करने की मांग पर युवा लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

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राजीव युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को बंद करने का विरोध करते युवा. (फोटो साभार: X/@KamleshJakharIt)

राजस्थान में कांग्रेस की पिछली अशोक गहलोत सरकार द्वारा लाई गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना के तहत युवाओं को 17,500 रुपये का मासिक भुगतान किया जाता था. इसके तहत युवा केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करते थे. योजना बहाल करने की मांग पर युवा लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं.

राजीव युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को बंद करने का विरोध करते युवा. (फोटो साभार: X/@KamleshJakharIt)

जयपुर: राजस्थान में भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने सत्ता संभालते ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की कई योजनाओं के नाम बदलने के साथ उसकी कुछ योजनाओं को बंद कर दिया, जबकि कुछ योजनाएं जो कांग्रेस सरकार के समय बंद कर दी गई थीं, उन्हें फिर से शुरू कर दिया है.

हालांकि एक योजना अचानक बंद कर दिए जाने से युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और पिछले लगभग एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के शपथ लेने के 10 दिन बाद 25 दिसंबर 2023 को आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने एक कार्यालय आदेश जारी कर कहा कि राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम, जो 2021-22 से चालू था, को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जा रहा है.

उसी दिन, शांति और अहिंसा विभाग – जो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिमाग की उपज थी – ने एक और आदेश जारी किया, जिसमें महात्मा गांधी सेवा प्रेरक की भर्ती प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया और इस संबंध में अगस्त 2023 का एक विज्ञापन भी वापस ले लिया.

महात्मा गांधी सेवा प्रेरक योजना की घोषणा गहलोत ने 2023 की शुरुआत में अपनी बजट घोषणा के दौरान की थी.

गहलोत ने पिछले साल 10 फरवरी को अपने बजट भाषण में घोषणा की थी, ‘प्रत्येक गांव और शहरी वार्ड के लिए 50,000 स्थानीय युवा पुरुषों और महिलाओं को मानदेय पर ‘महात्मा गांधी सेवा प्रेरक’ के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव है. वे पूरे राज्य में हर परिवार तक महात्मा गांधी के शांति और सद्भाव के संदेश को पहुंचाने के साथ-साथ जरूरतमंद परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करेंगे. महात्मा गांधी पुस्तकालय और संविधान केंद्र भी इन सेवा प्रेरकों द्वारा चलाए जाएंगे.’

हालांकि महात्मा गांधी सेवा प्रेरक योजना के लिए भर्ती तब प्रक्रिया में ही थी, जब इसे रद्द किया गया, लेकिन राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को समाप्त करने के राजस्थान सरकार के फैसले के परिणामस्वरूप 4,000 से अधिक युवाओं ने विरोध किया है, जो इस योजना के तहत काम पर लगे हुए थे और अब उन्होंने अपनी मासिक आय खो दी है.

प्रदर्शनकारी राजीव गांधी युवा मित्र 25 वर्षीय दिलीप सपेरा कहते हैं, ​‘राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना के हिस्से के रूप में, हमारे काम में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करना शामिल था. हर महीने हमें लगभग 17,500 रुपये का भुगतान मिलता था. योजना अचानक समाप्त होने के बाद लगभग 4,200 युवा बेरोजगार हो गए.​’

उन्होंने आगे कहा, ​‘हम पहले इस पैसे का इस्तेमाल अपने परिवार चलाने के लिए करते थे. लगभग एक महीने से हम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार से हमारे अनुरोधों का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला है. हम चाहते हैं कि सरकार हमें संविदा कर्मचारियों के नेटवर्क में समाहित कर ले.​’

भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए भी इस योजना का विरोध किया था और कांग्रेस पर पार्टी की विचारधारा का प्रचार करने के लिए युवा मित्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.

शुक्रवार (19 जनवरी) को कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जयपुर में आंदोलनकारी युवा मित्रों के विरोध स्थल का दौरा किया और सरकार से उन्हें बहाल करने का आग्रह किया.

पायलट ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ​‘5 हज़ार युवाओं को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया है. राजस्थान के इन युवाओं के साथ जो हो रहा है, मैं उसकी निंदा करता हूं और सरकार से मेरा अनुरोध है कि वह इस पर पुनर्विचार करे और उन्हें उनकी नौकरियां वापस दे.​’

भाजपा इस बात पर कायम है कि युवा मित्रों का इस्तेमाल कांग्रेस ने पार्टी की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए किया था.

भाजपा के राज्य प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा, ​‘जहां तक राजीव गांधी युवा मित्रों की बात है, उनका एकमात्र काम अशोक गहलोत के ट्वीट को रीट्वीट करना और राज्य के खजाने से पैसा प्राप्त करते हुए कांग्रेस पार्टी का प्रचार करना था. कांग्रेस ने युवा मित्र के नाम से अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नियुक्त किया था.’

हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने आरोपों का खंडन किया और यहां तक कि भाजपा सरकार से इस योजना का नाम बदलने और इसे जारी रखने का भी आग्रह किया.

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे युवा मित्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय मीणा कहते हैं, ‘हमें स्क्रीनिंग, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार की उचित प्रक्रिया के बाद नियुक्त किया गया था. इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है कि हम कांग्रेस समर्थक हैं. अधिकांश युवा मित्र वे युवा हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मंत्रिस्तरीय विभागों के आवंटन से पहले ही नई सरकार ने अचानक योजनाओं को समाप्त कर दिया, जिससे हमारी आय छिन गई. हमारा अनुरोध है कि भले ही आप योजना का नाम राजीव गांधी युवा मित्र से बदलकर अटल युवा मित्र करना चाहते हैं, तो कृपया कर दीजिए, लेकिन हमारी आजीविका न छीनें.’

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कई फैसलों में बदलाव

दिसंबर 2023 की शुरुआत में कांग्रेस नेतृत्व वाली अशोक गहलोत सरकार को सत्ता से बेदखल हुए अभी एक महीना ही हुआ है, इस महीने भर की अवधि में भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली नवगठित भाजपा सरकार के प्रमुख फैसलों में अपने पूर्ववर्ती शासन की योजनाओं का नाम बदलना या बंद करना शामिल है.

बीते गुरुवार (18 जनवरी) को हुई अपनी मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में राजस्थान सरकार ने आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत जेल गए लोगों की पेंशन योजना को वापस लाने का फैसला किया है, जिसे पिछली कांग्रेस सरकार ने 2019 में रोक दिया था.

सरकार की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब मीसा के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को 4,000 रुपये की मासिक स्वास्थ्य सहायता के साथ 20,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी.

कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह पिछली गहलोत सरकार द्वारा लाई गईं कल्याणकारी योजनाओं की उपेक्षा करते हुए मीसा बंदियों के लिए पेंशन वापस लाकर अपनी विचारधारा के लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है.

भाजपा के राज्य प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा, ​‘आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले लोग स्वतंत्रता सेनानी हैं, जो लोकतंत्र के लिए खड़े हुए थे, क्योंकि कांग्रेस ने आपातकाल लागू करके इसे समाप्त कर दिया था. कांग्रेस सरकार ने उनकी पेंशन बंद कर दी थी, जिसे हमने सत्ता में आने के बाद फिर से शुरू किया है.​’

मंत्रिपरिषद की इसी बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में लिए गए निर्णयों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई जाएगी.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक के दौरान भाजपा सरकार के पहले 30 दिनों की उपलब्धियों की एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें इस अवधि में लिए गए सरकार के फैसलों पर प्रकाश डाला गया, जिनमें उज्ज्वला और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वाले लाभार्थियों को 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर प्रदान करना, पेपर लीक को रोकने के लिए एक विशेष जांच दल का गठन और एक एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स का निर्माण शामिल है.

विज्ञप्ति के अनुसार, भाजपा सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को प्रत्येक मामले में राज्य सरकार की अनुमति के बिना राज्य में मामलों की जांच के लिए सामान्य सहमति भी बहाल कर दी है. 2020 में, पिछली कांग्रेस सरकार ने सीबीआई से अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी, जिसके बाद उसे हर मामले में राज्य सरकार से सहमति लेनी होती थी.

राजस्थान सरकार ने जनता को रियायती दर पर भोजन उपलब्ध कराने वाली इंदिरा रसोई योजना का नाम भी बदलकर श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना कर दिया है. गौरतलब है कि अन्नपूर्णा रसोई योजना मूल रूप से 2016 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद गहलोत सरकार ने 2020 में इसका नाम बदलकर इंदिरा रसोई योजना कर दिया था.

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