वैज्ञानिकों ने मंगल पर एक ऐसे ज्वालामुखी की खोज की है जो दो अरब वर्ष से लगातार सक्रिय है. इसका नाम ‘ओलंपस मून’ है. यह मंगल ग्रह का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है जिसकी ऊंचाई 27.3 किलोमीटर है.
पृथ्वी का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी अमेरिका के हवाई में स्थित है, जिसका नाम ‘मौना की’ है. ‘ओलंपस मून’ इससे तीन गुना ऊंचा है. ‘मौना की’ की कुल ऊंचाई 10 किलोमीटर ही है.
वैज्ञानिकों ने ‘ओलंपस मून‘ के दो अरब वर्ष से सक्रिय होने का पता मंगल ग्रह के एक उल्कापिंड से लगाया है. इस उल्का पिंड का नाम ‘नॉर्थ वेस्ट अफ्रीका 7635‘ है. इसकी खोज साल 2012 में अल्जीरिया से की गई थी. मंगल ग्रह से गिरे अधिकांश उल्कापिंड धरती पर अंटार्कटिका और उत्तर अफ्रीका में पाए गए हैं. इस शोध से पता चला है कि ब्रह्मांड के कुछ अति प्राचीन ज्वालामुखी मंगल पर मौजूद हो सकते हैं.
अमेरिका में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के प्रो. टॉम लापेन ने बताया कि इस अध्ययन से ग्रह के विकसित होने के नए सुराग और मंगल पर ज्वालामुखी गतिविधि के इतिहास का पता चला है. मंगल ग्रह पर स्थित ज्वालामुखी के पत्थरों के घटक का पता हमें अब तक पृथ्वी पर मिले उल्कापिंडों से ही चला है. अध्ययन में यह भी पता चला कि मंगल ही वो ग्रह है, जिस पर लंबे समय तक ज्वालामुखी सक्रिय रहते हैं. यह अध्ययन साइंस एडवांस नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है.