बिहार: अपराधों से निपटने में ढिलाई बरतने पर 70 थानाध्यक्षों का वेतन रोका

पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि निर्देशानुसार गंभीर अपराधों के लंबित मामलों में प्रतिदिन कम से कम एक गिरफ़्तारी होनी चाहिए, लेकिन हफ़्ते में एक गिरफ़्तारी भी नहीं हो रही.

फोटो: विकीपीडिया

पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि निर्देशानुसार गंभीर अपराधों के लंबित मामलों में प्रतिदिन कम से कम एक गिरफ़्तारी होनी चाहिए, लेकिन हफ़्ते में एक गिरफ़्तारी भी नहीं हो रही.

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पटना:  केंद्रीय प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने गंभीर अपराधों से निपटने में ढिलाई बरतने पर 70 थाना अध्यक्षों के वेतन रोक दिए हैं, साथ ही 10 पुलिस उपाधीक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

कुमार ने गुरुवार को बताया कि निर्देश दिए गए हैं कि हत्या, डकैती, लूट और अपहरण से जुडे़ गंभीर अपराधों के लंबित के मामलों में प्रतिदिन कम से कम एक गिरफ्तारी होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘रोज तो छोड़ दीजिए एक सप्ताह में गिरफ्तारी के आंकडे़ शून्य हैं जबकि हजारों मामले लंबित पडे़ हैं. पुलिस मुख्यालय का भी निर्देश रहा है. बार-बार समझााने के बाद इसमें प्रगति नहीं हुई.’

राजेश ने बताया कि 70 थाना अध्यक्षों और थाना प्रभारियों का वेतन उन्होंने रोक दिया है तथा 10 पुलिस उपाधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

उन्होंने कहा कि अन्य मामलों में गिरफ्तारी हुई है, पर उसका अपराध के नियंत्रण पर प्रभाव नहीं दिखेगा. इस संदेश से आने वाले दिनों में स्थिति में काफी सुधार आएगा.

हालांकि, बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि वेतन रोके जाने का कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वे इससे प्रभावित होंगे इसलिए इस निर्णय को वापस लिया जाना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानमंडल के जारी शीतकालीन सत्र में विपक्षी दल प्रदेश में कथित गिरती विधि व्यवस्था पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा कराए जाने की मांग लगातार करते रहे हैं.