पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले के संदेशखाली इलाके में घटित घटना के आरोपी टीएमसी नेता शेख़ शाहजहां की गिरफ़्तारी पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि अदालतों द्वारा उनकी गिरफ़्तारी पर रोक के कारण पुलिस उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकी है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में अशांति का मामला सोमवार (26 फरवरी) को कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गई, जहां मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि फरार तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता जिला परिषद के शेख शाहजहां की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है.
पीठ में शामिल जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य ने पूछा, ‘उन्हें गिरफ्तार करो. शिकायतें चार साल पहले भी की गई थीं, फिर भी उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?’
अदालत, जिसने तृणमूल कांग्रेस नेताओं द्वारा संदेशखाली में व्यवस्थागत यौन उत्पीड़न और धमकी के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया है, ने स्पष्ट किया कि शाहजहां की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है.
टीएमसी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने इससे पहले कहा था कि अदालतों द्वारा शाहजहां की गिरफ्तारी पर रोक के कारण पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी है. विभिन्न हलकों से आरोप लग रहे थे कि पुलिस टीएमसी नेता को बचा रही है.
गिरफ्तार किया जाएगा: टीएमसी प्रवक्ता
हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने सोशल मीडिया पर कहा कि शाहजहां को ‘सात दिनों में गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’
संदेशखाली में दावों को लेकर आलोचना झेल रही टीएमसी ने 10 मार्च को कोलकाता के प्रतिष्ठित ब्रिगेड परेड मैदान में एक रैली की घोषणा की है.
राज्यसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ‘टीएमसी के शेख शाहजहां पूरी तरह से राज्य पुलिस की शरण में हैं.’
इस बीत कलकत्ता हाईकोर्ट ने एबीपी आनंद के उपाध्यक्ष और पत्रकार सुमन डे के खिलाफ राज्य सीआईडी के मामले पर तीन महीने की रोक लगाने का आदेश दिया है.
जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा, ‘एंकर ने प्रसारित की गई झूठी खबर के लिए बार-बार माफी मांगी है. हालांकि इसकी जांच की जा सकती है कि यह खबर क्यों प्रसारित की गई, लेकिन उनके खिलाफ आरोप स्वीकार्य नहीं हैं.’
टीएमसी नेता को हिरासत में लिया गया
संदेशखाली की बात करें तों टीएमसी नेताओं के घरों पर भारी पुलिस और सुरक्षा बल की मौजूदगी है, जिन पर अक्सर गुस्साए ग्रामीण धावा बोल रहे हैं.
26 फरवरी की सुबह बरमाजुर के टीएमसी नेता शंकर सरदार के घर पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया. शंकर ग्राम पंचायत सदस्य हैं.
स्थानीय महिलाओं ने आरोप लगाया कि शंकर अक्सर उन्हें डराने-धमकाने के लिए बंदूकों का इस्तेमाल करते थे और वह टीएमसी मंत्रियों के करीबी हैं. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक अन्य ताकतवर व्यक्ति तपन सरदार के साथ मिलकर शंकर मजदूरों द्वारा अर्जित दैनिक मजदूरी भी छीन लेते थे.
सप्ताह के अंत में गुस्साए ग्रामीणों ने स्थानीय दिग्गज नेता अजीत मैती के घर पर भी धावा बोल दिया था. मैती ने भागकर एक नागरिक स्वयंसेवक के घर में शरण ली. आखिरकार पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
पुलिस जीप पर चढ़ते हुए मैती ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं लंबे समय से भाजपा कार्यकर्ता हूं. मैं 2019 में टीएमसी में शामिल हुआ. मुझे नहीं पता कि मेरे खिलाफ पुरानी शिकायतें क्या हैं.’
ग्रामीण इस बात पर दृढ़ हैं कि मैती की कथित मजबूत हथियार रणनीति पहले भी लागू थी. एक महिला निर्मला सरदार कहती हैं, ‘उन्होंने हमेशा गरीबों पर अत्याचार किया है. उन्होंने पहले भी हमारी जमीन ली थी. लालच उन्हें टीएमसी में ले गया.‘’
टीएमसी मंत्रियों का दौरा
रविवार (25 फरवरी) को टीएमसी नेताओं ने संदेशखाली में सार्वजनिक बैठकें कीं. झाड़ू और लाठियों से लैस ग्रामीणों ने सुजीत बोस और पार्थ भौमिक को रास्ते में रोक दिया. दोनों को बरमाजुर स्कूल में बैठक करनी थी.
अजीत मैती के सलाखों के पीछे होने पर बोस और भौमिक ने घोषणा की कि हलधर अरी और शक्तिपद राउत पार्टी की स्थानीय शाखा का अस्थायी प्रभार संभालेंगे.
राज्य के सिंचाई मंत्री भौमिक ने दावा किया कि गलत काम के आरोप पूरी तरह से सच नहीं हैं.
भौमिक ने कहा, ‘शायद कुछ लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया हो, लेकिन शारीरिक रूप से कभी नहीं. हम दीदी (सीएम ममता बनर्जी) द्वारा शासित बंगाल में जमीन लूटने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ेंगे.’
इसके बाद दोनों मंत्रियों ने कीर्तन सभा में भाग लिया.
सोमवार (26 फरवरी) सुबह नवनियुक्त पंचायत समिति प्रमुख हलधर अरी के घर में रखे फसल के अनाज में आग लगा दी गई.
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 का दुरुपयोग कर रही है कि वे एकत्र न हों.
जहां टीएमसी नेता क्षेत्र में आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं, वहीं विपक्षी नेता भाजपा के सुवेंदु अधिकारी को क्षेत्र का दौरा करने के लिए अदालत का आदेश प्राप्त करना पड़ा और सीपीआई(एम) नेता मीनाक्षी मुखर्जी जब एक दिन पहले वहां गई थीं, तो उन्हें इलाके से बाहर कर दिया गया.
मुखर्जी ने कहा, ‘हम पुलिस को 29 फरवरी तक का समय दे रहे हैं और उसके बाद लौटेंगे. यह कैसे सही है कि राज्य के मंत्री विशाल काफिले के साथ क्षेत्र में घूम सकते हैं?’ उन्होंने बशीरहाट पुलिस को यह शिकायत में लिखा है.
स्थानीय लोगों ने भी राज्य पुलिस को पत्र लिखकर उन लोगों की सुरक्षा की मांग की है, जिन्होंने टीएमसी नेताओं के खिलाफ विस्फोटक आरोप लगाए हैं.
(सौमश्री सरकार द्वारा बांग्ला से अंग्रेज़ी में अनूदित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)